एक पत्रकार के रुप में और एक व्यक्ति के रुप में जानने वाले लोग मुझे घोर नीतीश विरोधी मानते हैं।घर से लेकर दफ्तर तक सुबह से शाम तक कभी न कभी नीतीश की कार्यशैली को लेकर गर्मा गर्म बहस हो ही जाती हैं।शुक्र हैं इस बहस के दौरान जातिवादी या सामंती होने का आरोप अभी तक नही लगा हैं।नीतीश के कार्यशैली पर सवाल खड़े करने का यह कतई मतलव नही हैं की मैं लालू के कार्यशैली को सही मान रहा हूँ।इतिहास का छात्र रहा हूं और पत्रकारिता मेरा जुनुन हैं,इतिहास गवाह हैं कि दर्जनों ऐसे शासक हुए हैं जिन्होने काफी कम समय में राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाये हैं।नीतीश जी के पांच वर्षों का कार्यकल समाप्त होने की उलटी गिनती शुरु हो गयी हैं।उपलब्धि सड़क बन रहे हैं कानून व्यवस्था में काफी सुधार हुआ हैं दो तीन नये संस्थान खुले हैं।राजधानी पटना में इस मंदी के दौर में भी रियल स्टेट की किमत काफी तेजी से बढ रही हैं।ऐसे ही उपलब्धियों का बखान करने वाले मेरे एक करीबी रिश्तेदार सुबह सुबह अपने बेटे के साथ मिलने आये थे।उनका बेटा उड़ीसा इनजीनयरिंग टेस्ट में काफी बेहतर रिजल्ट लाया हैं और कांन्सलिंग कराने कल भूवनेश्वर जा रहे हैं।मिलने इस उद्देश्य से आये थे कि उड़िसा में आपके चैनल के जो पत्रकार मित्र हैं उनसे कांलेज के बारे में जानकारी लिजिए।कांलेज छोड़े मुझे भी दस वर्ष होने को हैं और शिक्षा मेरा बीट भी नही हैं,लेकिन सवाल सशुराल पंक्ष का था इसलिए पता तो किसी भी स्थिति में करनी ही थी।बात आगे बढी तो पता चला कि बिहार इनजीनियरिंग टेस्ट में भी बेहतर रिज्लट लाया हैं और पटना इनजीनयरिंग कांलेज में नामंकन हो सकता हैं।मैंने तुरंत यह सवाल किया की क्यों भाई पटना इनजीनयरिंग कांलेज को छोड़ कर उड़िसा जाने का क्या मतलव हैं।पता चला की पटना इनजीनयरिंग कांलेज की आधे से अधिक शिक्षकों का पद रिक्त हैं और प्रयोगशाला में वर्षों से ताला लटक रहा हैं।लड़के की बात सुन कर थोड़ा अटपटा लगा लेकिन इस मामले में जब पटना इनजीनयरिंग कांलेज के एक पूर्व शिक्षक से बात की तो मेरे होश ही उड़ गये अस्सी के बाद नियमित नियुक्ति हुई ही नही हैं अधिकांश शिक्षक रिटायर हो गये हैं ।जांच के लिए जब ए0आई0सी0टी0ई0की टीम आती हैं तो सरकार पोलटेकनिंक के शिक्षक को प्रतिनियुक्त कर देती हैं।अनुबंध पर शिक्षक बहाली की प्रक्रिया अभी चल रही हैं,यह स्थिति हैं देश के कभी एक से दस में रहे पटना इनजीनयरिंग कांलेज का।बाकी के बारे में जानकारी लेने का साहस नही जुटा पाया।इस जानकारी के बाद नीतीश जो खुद पटना इनजीनयरिंग कांलेज का छात्र रहे हैं उनसे मैं और निराश हो गया और मेरी धारना नीतीश कुमार के बारे में जो रही हैं वह और बलवती हो गयी ।रिश्तेदार से मैं पुछा आप ही बताये इस राज्य का भविष्य क्या होगा।भैंस चराने वाले और इनजीनियर होने का दभं रखने वाले लालू और नीतीश में कोई फर्क हैं क्या।बात उड़िसा के बारे में शुरु हुई जो बिहार से अलग होकर ही 1938में अलग राज्य बना हैं आज भी जमीन और प्रशासनिक कार्यों से जुड़े हुए कई कानून बिहार उड़ीसा एक्ट के नाम से जाना जाता हैं।उड़ीसा के मित्र से जब कांलेज के बारे में जानकारी लेना शुरु किया तो मेरी बैचेनी और बढने लगी आप को जानकर आशचर्य होगा की 1986तक उड़ीसा में मात्र एक इनजीनयरिंग कांलेज था।दो हजार से जो कांलेज खुलने का सिलसिला शुरु हुआ आज 66इनजीनयरीग कांलेज हैं जिसमें 2008में 18 कांलेज खुला हैं।सरकार ने ऐसे इलाकों में कांलेज खोलने की अनुमति दी जहां निरजन पहाड़ और जगल का इलाका था आज वैसे इलाकों में करोड़ो रुपये की लागत से कालंजे खुल गये ।ऐसे ही एक जगह हैं गाजापट्टी नाम सुना तो आशचर्य हुआ की खोजने पर भारत में अमेरिका नाम का जगह भी मिल जायेगा ।अब आप ही बताये भौगोलिक रुप से उड़ीसा बिहार से काफी पिछड़ा हैं बाढ यहां भी आती हैं लोग दो वक्त की रोटी के लिए बच्चे तक को बेच देते हैं कम से कम ये हलात तो बिहार का कभी नही रहा।फिर भी बिहार के हालात में बदलाव क्यों नही हो रहा हैं नवीन पटनायक और चन्द्रबावू नायडू जैसे नेता बिहार में पैंदा क्यों नही हो रहे हैं।काफी उम्मीद से लोगो ने नीतीश को बिहार की गद्दी पर बैठाया और दूसरी पाली के लिए भी लोगो ने लगभग सहमति दे ही दी हैं ।मैं यह सोच कर खबड़ा रहा हुं की नीतीश से लोगो का जब मोह भंग होगा तो फिर बिहार में क्या होगा।
5 टिप्पणियां:
आप की रचना अती सुन्दर है ।
धन्यवाद ! अच्छी जानकारी |
लालू जी के शासन के बाद नीतिश जी का राज्यकाल वस्तुतः एक प्रकार से जेठ की तपती दुपहरी में पेड़ की छाँव सी लग रही है....
बहत नजदीक से तो नहीं जानती की जमीनी हकीकत क्या है ,पर लोगों को बात करते सुना है की पहले से स्थति बहुत ही बेहतर है...हाँ उड़ीसा के बारे में आपने जो कहा उससे पूर्णतः सहमत हूँ.....
ईश्वर करें तमाम मुश्किलों के बाद भी बिहार भी उसी राह चलकर अपनी स्थिति बेहतर करे...
पोलिटेक्निक के पास ही आई आई टी, पटना देख कर फिर वोहीं सोफ्टवेयर पार्क का निर्माण एक अद्भुत एहसास करने वाला था... गाँधी मैंदान से दानापुर और पाटलिपुत्र में सड़कों का निर्माण कार्य भी सराहनीय है... हम रातों-रात चमत्कार की उम्मीद नहीं कर सकते... बदलाव हो रहे है... आपने आलोचनात्मक नज़र रखी है अच्छी बात है... बधाई... लेकिन हर मोर्चे पर एक साथ धावा नहीं बोला जा सकता... खास कर जब आप ज़मीनी हकीकत जानते ही है बिहार की... कल दिल्ली में थे नीतिश जी... मेल टुडे में प्रधानमंत्री की भाषण के दौरान सोते हुए फोटो आई है... वैसे सोते हुए और भी कई मुख्यमंत्री हैं....
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