tag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post3236539421523327445..comments2023-10-19T22:27:05.076+05:30Comments on तूती की आवाज: बिहार की जनता ने अपना सब कुछ दाव पर लगा दियासंतोष कुमार सिंहhttp://www.blogger.com/profile/08520071837262802048noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post-49201511442656790702011-01-16T10:45:35.777+05:302011-01-16T10:45:35.777+05:30लालू के पुराने साथी नितीश कुमार जी और उनके बगल में...लालू के पुराने साथी नितीश कुमार जी और उनके बगल में बैठे पूर्व लालू समर्थक शिवानन्द महोदै दो उंगलियाँ दिखा कर यह बात कह रहे हैं की उनका BJP के साथ गठबंधन केवल दो साल के लिए है. उसके बाद वो अपनी सरकार अलग बनायेंगे.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post-20470360446927351282010-11-28T19:01:51.996+05:302010-11-28T19:01:51.996+05:30संतोषजी, संसदीय राजनीति की अपनी खूबी और खामियां है...संतोषजी, संसदीय राजनीति की अपनी खूबी और खामियां हैं. बिहार के हालिया चुनाव परिणामों और खास कर नीतीश कुमार नामक सख्सियत को सामजिक राजनैतिक सन्दर्भ में विश्लेषण की जरूरत है. नीतीश कुमार की छवि को पता नहीं आप किस आधार पर महज मिडिया कीरियेशन मान रहें हैं. संसदीय राजनीति में व्यक्तियों और पार्टियों के जनता की जरूरत और उम्मीदों पर खरा न उतर पाने की आशंका तो बनी हिन् रहती है. लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार को निराशा हीं मिलेगी यह भविष्यवाणी करने के लिए साहस की जरूरत है.<br />एक और बात , क्या नीतीश कुमार के शासन में उनके kisi स्व जातीय को कोई पद दिया जाना absolut offence है ? हाँ किसी को भी कोई पद मिलने का आधार महज जन्मना संयोग न हो ऐसी आशा तो लोक तांत्रिक मूल्यों में विश्वास करने वाला हर आदमी करेगा. <br />बिहार की जनता ने किन आधारों पर नीतीश कुमार के नेतृत्व में आस्था व्यक्त की है इस पर काफी चर्चा हो चुकी है . इस बात से कौन इनकार करेगा की बिहार को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए व्यापक कार्रवाई की जरूरत है.इसमें अगर नीतीश कुमार फेल होतें हैं तो वे जरूर बिहार की जनता के द्वारा नकार दिए जायेंगें.हाँ नए बिहार के निर्माण की प्रकिर्या जोर पकड़ रही है. तरह तरह के निहित स्वार्थ बिहार की राजनीति में हासिये पर जा रहें हैं. पचास ,साठ ,सत्तर और अस्सी के दशक में सत्ता सुख भोगने वाले व्यक्ति , और जातीय गिरोह किनारे हटते जा रहें हैं. उस दौर में किसने क्या क्या और किन आधारों पर पाया वह सब सर्व विदित हो चुका है. उन बातों को चलिए फिलहाल तो हम इतिहास कारों के लिए छोड़ देते हैं.लेकिन अब सामजिक राजनैतिक परक्रिया में नए जोश से नए लोग और समूह समाहित हो रहें हैं. बिहारी समाज का लोकतांत्रिक करण हो रहा है . और अब गतिशील बिहार रफ़्तार पकड़ रहा है . बहुत सारे मुद्दों को बिहार की जनता ने सालता लिया है. नए जमाने की मांग है सामजिक न्याय के साथ विकास . देखते चलिए आगे आगे होता है क्या.<br />सादरkaushal Kishorenoreply@blogger.com