tag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post7588116941404738136..comments2023-10-19T22:27:05.076+05:30Comments on तूती की आवाज: निरुपमा की मौंत ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं।संतोष कुमार सिंहhttp://www.blogger.com/profile/08520071837262802048noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post-68672407993154996972010-05-10T11:56:13.283+05:302010-05-10T11:56:13.283+05:30भाई संतोष,
आपके तथ्यों को देखते हुए मुझे लगा कि इस...भाई संतोष,<br />आपके तथ्यों को देखते हुए मुझे लगा कि इसे विस्तृत करना होगा सो आपके पोस्ट को अपने ब्लॉग पर चस्पा दे रहा हूँ, कि सूचना के साथ निर्भीक पत्रकारिता के लिए बधाई.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post-43800888694441203892010-05-10T00:15:30.361+05:302010-05-10T00:15:30.361+05:30संतोषजी
त्वरित रेस्पोंस काफी अच्छा लगा.
आपने जिस ...संतोषजी<br />त्वरित रेस्पोंस काफी अच्छा लगा.<br />आपने जिस तकनीकी समस्या का जिक्र किया उसका निदान मेरे पास नहीं है.<br />आपकी बात दिल को छू गयी. मगही में एक कहावत है जिसका आशय है की <br />जिस का सामान चोरी होता है उसका ईमान डोल / हिल ( ईमान भी चला जाता है ) जाता है .यूं तो यह बात काउंटर intuitive लगाती है <br />पर निहितार्थ यह है की जिसका माल /साज सामान चोरी होता है वह वेबजः सब पर शक -शुबहा करने लगता है.<br />शायद मैं भी उसी मनह स्थिति में पंहुच गया था. संतोषजी संवाद जारी रहना चाहिए. कहें तो नए जमाने और नए तर्जे-सियासत ( जम्हूरियत ) की यह बुनियादी शर्त है.<br />रही बात निरुपमा की - ह्त्या या आत्म ह्त्या - सच्चाई सामने आनी चाहिए. किसी ने कहा था की - बलात्कार और वायदा खिलाफी के अलावा स्त्री- पुरुष के बीच सारे सम्बन्ध जायज हैं. कहने वाले ने इतना हीं कहा था. मेरी समझ से इसमें INCEST TABOO भी शामिल अगर कर दें तो स्त्री- पुरुष संबंधों का एक मुकम्मल संहिता सरीखा लगने लगता है .नैतिकता का यह नया माप दंड मुझे नए जमाने की आवश्यकताओं के अनुकूल लगता है. आपका प्रयास काबिले तारीफ़ है. वैसे भी सत्य भीड़ का मुहताज नहीं होता है.धारा के विपरीत जाकर सोचने तक की भी हिम्मत कितने लोग कर पाते हैं.<br />संतोषजी , दनिआमा प्रखंड के पश्चिमी हिस्से की जिन समस्याओं का मैंने जिक्र किया (१. INCOMPLETE FLOOD CONTROL BAANDH SCHEME OF kHARBHAIA , मेरे गाँव महाल की अर्थ व्यवस्था को बर्बाद कर दिया है / २.भुतही नदी की लंबित उड़ाही / प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों में शिक्षकों की ANUPASTHETI और मिड डे MEAL SCHEME में घनघोर भ्रष्टाचार ) उनके समाधान के लिए आपने पटना डीएम से बात की यह आप का बड़प्पन है और मैं इसके लिए आपना आभार व्यक्त करता हूँ.<br />सादरKaushal Kishore , Kharbhaia , Patna : कौशल किशोर ; खरभैया , तोप , पटनाhttps://www.blogger.com/profile/07416678636893602698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post-30875262876707609622010-05-09T23:05:01.528+05:302010-05-09T23:05:01.528+05:30कौशल जी मै अपकी भावना का कद्र करता हूं, लेकिन परेश...कौशल जी मै अपकी भावना का कद्र करता हूं, लेकिन परेशानी यह हैं कि फोटो हटाने के प्रयास में ब्लांक का बाकी हिस्सा भी मुख्य पेज से हट जाता हैं।दो तीन मित्रो से सलाह लिया लेकिन ऐसा नही हो पा रहा हैं।कृप्या आपसे आग्रह का हैं ब्लांक पर अंकित फोटो को हटाने का तरीके मुझे लिख भेजेगे।आप की भवनाओ पर ठेस पहुचा इसके लिए मैं शर्मिदा हूं।निरुपमा प्रकरण के बाद आपसे बात करुगा। वैसे मुख्यमंत्री के ब्लांग पर आपने अपने गांव में हो रहे विकास कार्य के बारे में जो लिखा हैं उसके बारे में, मैं पटना डीएम से बात किया हूं वैसे इस प्रकरण के बाद आपसे मिलने का भी प्रयास करुगा।संतोष कुमार सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08520071837262802048noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post-48367083751825146282010-05-09T21:59:28.967+05:302010-05-09T21:59:28.967+05:30संतोष जी
बेमेल फोटो को नए पोस्ट से हटाने के लिए श...संतोष जी <br />बेमेल फोटो को नए पोस्ट से हटाने के लिए शुक्रिया. आपने ब्लॉग में मेरी प्रतिक्रिया का जिक्र किया है .पर मेरी प्रतिक्रया आपके पोस्ट पर नजर नहीं आ रही है.मेरा ऐसा मानना है की मेरी प्रतिक्रिया शालीनता और नैतिकतता के दायरे में था.विषय वस्तु से सहमति - असहमति अलग बात है.सत्य -शोधन के लिए वाद- विवाद और संवाद की उपादेयता से भला कैसे इनकार किया जा सकता है.<br />आप के लेखन और नजरिये को मैं ख़ास तब्बजो देता हूँ. मैं आपके हर नए पोस्ट का बेसब्री से इंतज़ार करता हूँ. संतोषजी जरूर कुछ नया लिखे होंगें . बात अगर पुरानी भी रहे तो देखने का कोई नया नजरिया पेश करेंगें. जब उनके लेखन के प्रति इस सामान्य पाठक की ऐसी भावना है तब पोस्ट पर प्रतिक्रया हटाने की नौबत क्यों आई ? लिखना अगर लोकतांत्रिक अधिकार है तो लिखे पर पाठक की प्रतिक्रया एक भावनात्मक लगाव के नजरिये से भी देखा जाना चाहिए.प्रतिक्रया अगर शालीनता और सार्वजनिक संवाद के स्थापित उसूलों का उलंघन नहीं कर रहा हो तो पाठक के हक का सवाल भी है. एक बार पुनः आग्रह के साथ की निरुपमा की अंतिम अवस्था को फोटो अगर हटा दिया जाय तो अच्छा होगा. वैसे अर्जी मेरी मर्जी आपकी.आप जब तक चाहेंगें मैं आपके ब्लॉग पर आता रहूँगा.<br />सादरKaushal Kishore , Kharbhaia , Patna : कौशल किशोर ; खरभैया , तोप , पटनाhttps://www.blogger.com/profile/07416678636893602698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post-5338484900989521562010-05-09T14:26:27.867+05:302010-05-09T14:26:27.867+05:30Aapki sachchi patrakaarita ko vandan karta hoon Sa...Aapki sachchi patrakaarita ko vandan karta hoon Santosh ji aur lanat bhejta hoon aapke un seniors ko jo sirf chatpati khabren banane me yakeen rakhte hain.. sharm aani chahiye unhen khud par.. kyon ve ye bhool jate hain ki wo bhi samaj ka ek hissa hain koi devta nahin, kal ke din wo khud ek chatpati khabar na ban jaayen.दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post-49394994980109500852010-05-09T12:41:42.392+05:302010-05-09T12:41:42.392+05:30संतोष जी क्षमा चाहता हूं आप को अजय भाई के नाम से स...संतोष जी क्षमा चाहता हूं आप को अजय भाई के नाम से संबोधित कर गया, कृपया उसे सुधार कर " संतोष भाई " पढ़ें ।<br /><br />धन्यवाद ।विजय प्रकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17982982306078463731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post-47761455237975742472010-05-09T12:37:23.392+05:302010-05-09T12:37:23.392+05:30अजय भाई ,
आप ने जो सच की मुहिम छेड़ी है ईश्वर करे...अजय भाई ,<br /><br />आप ने जो सच की मुहिम छेड़ी है ईश्वर करे वह कामयाब हो । एक दगाबज और धोखेबाज का पर्दाफास हो । एक मां जो कलंक झेल रही है आज मातृ दिवस पर वह धुले , यही कामना है ।<br /><br />दिल्ली मे बैठे अपने मित्रों का गैंग बना कर ऐसी धूल फैलाई गयी है कि निरीह परिवार अपनी बेटी, अपना सम्मान और अपने परिवार का भविष्य सब या तो खो चुका है या खो देने की प्रक्रिया मे है । यहां दिल्ली मे , पत्रकार वर्ग अपने निहित स्वार्थ के बस या प्रियभांसु की चालों की वजह से या बिरादरी का साथ देने के लिए गलत रिपोर्टें मीडिया मे प्लांट कर रहा है , जैसा कि आप की इस पोस्ट से जाहिर है । ऐसे समय मे आप जैसों का साहसिक प्रयास न केवल स्राहनीय है बल्कि वन्दनीय है ।<br /><br /><br />साथ ही साथ मुझे यह देख कर आश्चर्य हो रहा है कि देश का युवा पत्रकार वर्ग किस तरह लंपट जैसा व्यवहार कर रहा है । पूरे प्रकरण मे रंजन का चरित्र बेहद संदिग्ध है । कुछ बातें हजम होने वाली नहीं हैं :<br /><br />१. यह कैसे संभव है कि निरुपमा तीन माह की गर्भवती थी और रंजन को पता ही नहीं था और तो और भाई यह कह रहा है कि शायद निरुपमा को भी नहीं पता था । इस बात पर विश्वास करने के लिए आई आई एम सी का प्रोफेसर , छात्र या कम से कम पत्रकार होना बहुत जरूरी है किसी और को यह बात हजम नहीं हो सकती ।<br /><br />२. आज के युग मे जब परिवार कल्याण के साधन उपलब्ध हैं और वह भी ७२ घंटे बाद तक , उस परिस्थिति मे गर्भ धारण का निर्णय , उसके बाद परिणाम के भयावह होने की स्थिति मे अनभिज्ञता का प्रदर्शन , क्या शब्द लिखा जाय , ऐसे महापुरुष के लिए ।<br /><br />३. वह व्यक्ति बार बार एसएमएस दिखा रहा है जो कि निरुपमा ने भेज कर कहा कि तुम कोई खतरनाक कदम मत उठाना ( यानी आत्महत्या जैसा ) । इन महाशय का कोई कदम या मनोभाव इस स्तर के दुख का लगता तो नहीं है ।<br /><br />४. जिसके लिए न्याय मांग रहे हैं , उसका अंतिम दर्शन करने भी नहीं गये , अरे अकेले डर रहे थे तो अपने दो चार दोस्त साथ ले लेते , कैसे प्रेमी हो , तुम्हारी प्रेमिका को लगता था कि उसके वियोग में तुम आत्म हत्या तक कर सकते हो और तुम डर के मारे उसका अन्तिम दर्शन करने नहीं गये । क्या निरुपमा ने तुम्हे ठीक से पहचाना नहीं । <br /><br />शायद निरुपमा ने सबके - रंजन , उसके परिवार , अपने परिवार और समाज के बारे मे गलत अंदाजा लगा लिया ।और इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकाई । <br /><br />५. रंजन ने शादी के लिए अपने परिवार की रजामन्दी कब ली थी , और ६ मार्च की शादी के लिए क्या अपने पिता का आशीर्वाद ले लिया था ।<br /><br />६. प्रेम एक बात है , विवाह पूर्व योन संबन्ध दूसरी बात और इस उन्नतशील विचार पुरुष का बिना विवाह के बच्चे का पिता बनने का साहस तो क्रांतिकारी ही कहा जा सकता है ।<br /><br />७. यह महाशय क्या अमेरिका मे पले बड़े हुए या बिहार मे , भारत मे । क्या हमारे यहां यह एक सामान्य बात है । इनके परिवार की कितनी महिलाएं या पुरुष अब तक बिना विवाह के माता पिता बन चुके हैं ।<br /><br />८.हत्या जघन्य है लेकिन उसके लिए परिस्थितियों का निर्माण करने का कार्य किसने किया ? क्या शुतुरमुर्ग की तरह गर्दन जमीन मे धंसा देने से यह देश अमेरिका बन जायेगा ।<br /><br />प्रभांसु हीरो नहीं है, नहीं है, नहीं है । वह एक कायर है और उसे हीरो की तरह दिखाने का प्रयास निन्दनीय है ।विजय प्रकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17982982306078463731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post-82582101818827963102010-05-08T19:50:22.251+05:302010-05-08T19:50:22.251+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 09.05.10 की चर्चा मंच (स...बहुत अच्छी प्रस्तुति।<br />इसे 09.05.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।<br />http://charchamanch.blogspot.com/मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post-16951556258542633882010-05-08T18:39:09.074+05:302010-05-08T18:39:09.074+05:30वीर तुम बढे चलो...वीर तुम बढे चलो...सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post-19667434404047923532010-05-08T18:29:02.503+05:302010-05-08T18:29:02.503+05:30निर्भीक लेखन.इसे कहते हैं पत्रकारिता.सिरप एक ही बा...निर्भीक लेखन.इसे कहते हैं पत्रकारिता.सिरप एक ही बात कहना है आपको<br />शाबाशबसंतीhttps://www.blogger.com/profile/05563723975660079541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post-9671589930811294412010-05-08T18:28:38.064+05:302010-05-08T18:28:38.064+05:30निर्भीक लेखन.इसे कहते हैं पत्रकारिता.सिरप एक ही बा...निर्भीक लेखन.इसे कहते हैं पत्रकारिता.सिरप एक ही बात कहना है आपको<br />शाबाशबसंतीhttps://www.blogger.com/profile/05563723975660079541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post-8431946632022662172010-05-08T18:26:58.003+05:302010-05-08T18:26:58.003+05:30ऐसे मामलों में मिडिया तो अपनी टीआरपी बढ़ा लेता है...ऐसे मामलों में मिडिया तो अपनी टीआरपी बढ़ा लेता है पर उसकी वजह से जिन लोगों पर जो गुजरती है उसकी भरपाई कैसे हो !<br />मिडिया को किसी भी मामले की जाँच तक सब्र करना चाहिए पर मिडिया तो ऐसे मामलों में खुद जाँच एजेंसी होने जैसा व्यवहार करने लग जाता है जो सरासर गलत है | मिडिया के बेवजह टांग अडाने के चलते इस तरह के मामलों की जाँच भी भटक जाती हैGyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5539608448112798215.post-51569229644529779132010-05-08T17:32:54.100+05:302010-05-08T17:32:54.100+05:30संतोष जी ,
आपके मित्र तो खैर पेशेगत होने के कारण ...संतोष जी , <br />आपके मित्र तो खैर पेशेगत होने के कारण ये सब झेल रहे होंगे । मुझे तो सिर्फ़ चैट स्टेटस में कुछ तल्ख लिखने के कारण ही कल से सबकी बातें और एक अच्छी खासी बहस में उलझना पड गया । थक हार कर आज एक पोस्ट लिखनी ही पडी जिसमें अपने मन की सारी बात कह गया । समझ में नहीं आता कि ये तो ऐसा मामला है , कल को यदि मीडिया की कोई इससे बडा अपराध नजर आया तो फ़िर जो लीपापोती होगी उसका अंदाज़ा अभी से ही हो गया है । आप जैसे निर्भीक लोगों के दम पर ही अभी भी पत्रकारिता जिंदा है । मैं आपसे जल्द ही संपर्क करूंगा , बस यूं ही सोचा आपको नमस्कार करता चलूं । लिखते रहिए यूं हीअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.com