बाटला हाउस से चला मेरा सफर मालेगांव होते हुए आज सुबह होटल ताज पहुंचा हैं।चारो और गोलियो की तरतराहट के बीच मैं अमर सिंह,मुलायम सिंह यादव,लालू प्रसाद के साथ साथ गृहमंत्री शिवराज पाटिल,लालकृष्ण आडवानी और अपने मराठी मानुस पर दंभ भरने वाले राज ठाकरे ।गोली का जबाव गोली से देने वाले महाराष्ट्र के गृंहमंत्री आर आर पाटिल, सोनिया गांधी ,मनमोहन सिंह और बटला हाउस में मारे गये छात्र को लीगल ऐड देने की बात करने वाले अलीगढ विश्वविधालय के कुलपति को होटल से निकल रहे लहुलुहान लोगो के बीच बेशब्री से मैं खोज रहा था। आधे घंटे बीत गये धीरे धीरे दिन बीतने लगा लेकिन भारत मां के ये सच्चे सपूतों कही दिखाय़ी नही दे रहे थे।ऐसा लग रहा था की भारत आज सपूत विहीन हो गया हैं। एन0एस0जी0और भारतीय सेनाओं द्वारा सुरक्षित निकाले जा रहे विदेशी सैनानियों से इन सपूतों का हाल जानने के लिए देर शाम तक प्रयास करता रहा लेकिन सबों का बस एक ही जबाव था नो कौमेंट्स। थक हारकर मैं ताज के सामने मुरझाये केंकटस के पेङ के सहारे बैठकर इन सपूतो के हाल पर सोचने लगा।किस हाल में होगे हमारे यह सपूत जिसने बाटला इनकाउण्टर में शरीद हुए मोहन शर्मा के शहादत पर चंद वोट के लिए सवाल खङा कर दिया था।आज तो मुंबई पुलिस के कई जाबांज अधिकारी शहीद हुए हैं भारतीय मानस इस मसले पर इनकी राय जानने के लिए बैचेन हैं।आज उन पत्रकारों के कलम का क्या होगा जो मुठभेंङ पर सवाल खङा कर अपना सेकुलर चेहरा सामने लाने के लिए बैचेन रहते हैं अभी तो लाईभ कभरेज पर मुंबई पुलिस के शहीद हुए जाबांजों के शहादत पर कसिदे गढ रहे है पता नही कल ये क्या लिखेगे। तभी होटल के एक कमरे से महाराष्ट्र के गृहमंत्री के चिल्लाने की आवाज आयी यह हमला मंबुई पर नही देश पर हैं। मुझे लगा कि वाकय हमारे देश के सपूत संकट में हैं तभी बरबस याद आया कि अंदर फंसे सपूतों में बैशाखी पर चल रहे मनमोहन का क्या हाल होगा इस हालात में भी अपनी कुर्शी को बचाये रखने के लिए कोई न कोई डील जरुर कर रहे होगे।वही दूसरी और हर किसी की जान सासत में हैं उस हालात में भी सोनिया मैडम को सिर्फ राहुल और प्रियका की चिन्ता सता रही होगी औऱ आडवानी जी प्रधानमंत्री की कुर्शी पाने के लिए संसद पर हुए हमले को देश के स्वाभीमान से जोङने के जुगार में लगे होगे।तभी जोङदार धमका हुआ आंख खुली तो सामने ताज होटल के कमरो से आग की लपटे निकलते दिखाई दी । मैं कुछ सोच पाता इसी बीच हाथ में तख्ति लिये कुछ कांलेज के छात्र काली पट्टी बांधे मां मां करते हुए पास से निकल गये।तख्ति पर गौर किया तो उस पर कई सवाल हमारे सपूतों से पूछा गया हैं।बाटला कांड के बाद वोट बैंक के लिए जिस तरीके से मुस्लिम तुष्टीकरण का दौङ शुरु हुआ और उससे निपटने के लिए सरकार ने हिन्दू आतंकवादी को स्थापित करने के लिए मंबुई एटीएस को पूरी छूट दे दी जिसका नतिजा आज सामने हैं।पहली बार आतंकियों ने वो कर दिया जिसकी कल्पना भी नही की जा सकती।और इस पर नियत्रंण करने के लिए गठित एटीएस के पास मुंबई को उङाने के लिए हो रही इतनी बङी साजिस की भनक तक नही थी।दूसरी तख्ति पर लिखा था, एटीएस अपनी नकामी को छिपाने के लिए अपने आलाधिकारी तक को दाव पर लगा दिया।वही मोहन शर्मा के शहादत के बाद उठे सवालो ने उन चंद जाबांज सिपाही का मनोबल तोङ दिया जिसके बल पर आज तक हमने दहशत गर्द के मनोबल को तोङते रहे।ऐसे कई सवाल तख्ति पर लिखा था इसी बीच खून से लतपथ बीस साल का एक युबक हाथ में सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्ता हमारा का तख्ति लिए पास से गुजर रह था बरवस लगा की इस युवक को पहले कही देखा हैं सामने गया तो देखा यह तो वही राहुल हैं जिसे मार कर पूरी मुंबई पुलिस गौरवान्वित महसूस कर रहे थे।मैंने पूछा तुम मंबई के इस जनाजे मैं क्यों शामिल हो गये कहा यही बात तो है सब मिट गये इस जहां से लेकिन कुछ बात यही हैं कि आज भी हमारी नामों निशा बाकी हैं।राहुल की बात सुनकर मुझे लगा की मैं ताज की घटनाओं पर कुछ ज्यादा ही भावूक हो गया था।झटपट में उठा औऱ दूसरे सफर के लिए निकल पङा।