रविवार, मार्च 27, 2011

बिहार की जय हो, नीतीश की जय हो बिहार के पत्रकारो की जय हो

बिहारी होना मेरे लिए कल भी गर्व की बात थी और आज भी गर्व की बात है लेकिन एक फर्क जरुर आया है पहले दबंगई और पढाई के बल पर लोगो को स्वीकार करने पर विवश करना पड़ता था लेकिन आज पूरे देश में सर्वसाधारण के बीच बिहारी होना स्वाभिमान की बात है आज बिहारी गाली नही गर्व की बात है।इसमें कोई दो राय नही की बिहार की छवि बदलने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अहम भूमिका रही है। लेकिन बिहार के छवि को बदलने मे बिहार की मीडिया की भूमिका को भी नकारा नही जा सकता है।सूबे से जुड़ी नकारात्मक खबड़े या तो डस्टबिन में डाल दिये जाते हैं या फिर ऐसी जगह प्रकाशित किया जाता है की लोगो की नजर पहुंच नही पाये लेकिन इसका यह मतलब भी नही है कि बिहार मे बदलाव नही आया है।

बिहार अपना 99वर्षगांठ मना रहा है मुख्यमंत्री ने इस वर्षगांठ को बिहारी स्वाभिमान से जोड़ा है और इसका प्रभाव भी दिख रहा है लोग काफी उत्साहित है और देश विदेश से बिहार दिवस मनाये जाने की खबर आ रही है।बुद्दवार को रात के करीब 11बजे न्यायिक सेवा से जुड़े एक अधिकारी का फोन आया ये अधिकारी नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाते हैं।हाल चाल से बाते शुरु हुई और बाते बढते बढते बिहार दिवस पर केन्द्रीत हो मैंने कहा सर विधानसभा सत्र के कारण गांधी मैंदान जाने का मौंका नही मिला है।उन्होने बड़ी आहतमन से कहा संतोष जी मैं मानता हूं कि आप बेहद संवेदनशीन पत्रकार है देखिये इन अधिकारियो को अपना कार्यलय को रोशनी से नहा दिया है और बगल के गांधी संग्रहालय में अंधेरा छाया है क्या गांधी के बगैर बिहार का इतिहास कभी पूरा हो सकता है।कुछ किजिए मैंने कहा सर कल मेरा रात्री डियूटी है कोशिस करेगे इस खबर को प्रमुखता से चलायेगे।।कल होकर भारत आस्ट्रेलिया के बीच मैंच था लेकिन मैंच के बाद बिहार दिवस का हाल जानने निकला देख कर काफी दुख हुआ गांधी संग्रहालय को कौन कहे चंद कदम की दूरी पर स्थित गोलघर और डाँ राजेन्द्र प्रसाद के समाधि स्थल पर एक दीप भी नही जल रहा था जबकि सामने में स्थित आयुक्त कार्यलय,डीएम आवास दुल्हन की तरह सजा हुआ था।
                                                                                                               खबर कर ही रहे थे कि स्कूली छात्रो का एक ग्रुप बाईक से काफी तेजी से पास से गुजरा लेकिन थोड़ी दूर जा कर वे लोग फिर से लौंट कर मेरे सामने आये और पुंछा क्रिकेट मैंच पर प्रतिक्रिया ले रहे हैं मैने कहा नही बिहार दिवस पर हमारी ऐतिहासिक घरोहर किस तरह उपेक्षित है उस पर स्टोरी बना रहे हैं सभी के सभी छात्र बाईक पर से उतर गये और पास आकर बोले सर जी अभी तो हमलोग बिहार दिवस के समापन समारोह में हिस्सा लेकर लौंट रहे हैं लेकिन आपने तो ऐसे सच से रुबरु करा दिया कि बिहार दिवस का मजा ही किरकिरा हो गया।सब लड़को ने इस मसले पर जबरदस्त बाईट दिया और अंत में एक लड़के ने जो कहा तो मेरा होश ही उर गया।सर जी आप जो खबर कर रहे हैं वह चलेगा की नही यह तो मैं नही जानता लेकिन आपने जो मुद्दा उठाया है वह वाकई गम्भीर है और आपके गम्भीरता के हम कायल है। इस तरह से सोचने वाले लोग अभी भी पत्रकारिता में हैं मेरे लिए गर्व की बात है। इतना कह कर वह लड़का जिसका उर्म महज 18साल होगा बाईक से चलता बना।





गुरुवार, मार्च 03, 2011

कोडरमा पुलिस ने निरुपमा मामले मे क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट को सौपी




मित्रों खबरो की भूख ने मुझे ब्लांग से जुड़ने को मजबूर किया था संस्थागत मजबूरियो के काराण कई बार एसहास होता था कि हमलोग खबरो के साथ न्याय नही कर पा रहे हैं ।या फिर जिस उद्देश्य से मीडिया से जुड़े हैं वह कही समय के साथ साथ खोता जा रहा है और जिस अंतिम व्यक्ति की आवाज बनने की सोच को लेकर मीडिया से जुड़ा उसके साथ न्याय नही कर पा रहे हैं।लेकिन ब्लांग के लगभग दो वर्ष के सफर के बाद मुझे बेहद सकून महसूस हो रहा है कि मैं अपने मकसद में बहुत हद तक कामयाब रहा खासकर निरुपमा पाठक के मौंत मामले में जिस तरीके से मीडिया के धाराओ के साफ विपरित निरुपमा के मौंत को लेकर जारी मीडिया ट्रायल को तूती की आवाज के माध्यम से कुंद किया उसको लेकर आज मुझे गर्व महसूस हो रहा है।

आज सभी चुप हैं क्योकि पुलिस ने भी मेरी थ्योरी को ही मौहर लगायी है। पुलिस ने अपने क्लोजर रिपोर्ट में निरुपमा के आत्महत्या की बात लिखी है जिसके लिए निरुपमा के माँ,पिता और भाई के साथ साथ प्रेमी प्रियभांशु को जबावदेह ठहराया है।पूरा अनुसंधान एम्स के डाँक्टर के रिपोर्ट के साथ साथ हैदराबाद के फौरेन्सिक लैब के रिपोर्ट पर आधारित है जिसमें सोसाईड नोट निरुपमा के द्वारा ही लिखे जाने की बात जांच में सामने आयी है।साथ ही एम्स के डांक्टरो की संयुक्त जांच टीम ने निरुपमा की मौंत को आत्महत्या माना है।हैदारबाद लैब ने निरुपमा के लैपटोप के साथ मोबाईल के उन तमाम मैसेज को भी समाने लाया है जिसे प्रियभांशु ने बड़ी सावधानी से उड़ा दिया था।पुलिस इन सभी तथ्यो के आधार पर धारा 306 के तहत कैस को सही पाया है ।इस मामले में दस वर्षो तक की सजा का प्रावधान है।

पाखंडी पंडित परिवार को जितनी सजा मिलनी थी वह मिल चुकी है और अब बारी प्रियभांशु एण्ड कम्पनी की है जिन्होने इस पूरे प्रकरण के दौरान प्रियभांशु के बचाव में अनर्गल अलाप करते रहे।पुलिस के जाँच में जो बाते सामने आयी है उनमें से अधिकांश तथ्यो का मैंने खुलासा अपने ब्लांग के माध्यम से पहले ही कर दिया था।लेकिन पुलिस ने उन बातो को भी अपने अनुसंधान में लिखा है जिसको लिखने से मैं परहेज कर रहा था। निरुपमा के साथ प्रियभांशु का व्यवहार समय के साथ साथ कैसे कैसे बदला सारा कुछ पुलिस के डायरी में दर्ज है। किस तरीके से प्रियभांशु ने निरुपमा के लैपटोप से सारा साक्ष्य मिटाने की पूरी कोशिस की लेकिन हैदरावाद की रिपोर्ट ने प्रियभांशु के सारे मनसूबे पर पानी फेर दिया।प्रियभांशु ने निरुपमा के गर्भवती होने की खबर के बाद किस तरह से निरुपमा को शाररिक और मानसिक रुप से प्रतारित किया वह सब कुछ निरुपमा के लैंपटोप में दर्ज है ।फिर भी इस मामले की सीबीआई जांच को लेकर पहल होनी चाहिए इसलिए नही कि निरुपमा के साथ न्याय नही हुआ इसलिए होना चाहिए कि प्रियभांशु जैसे भेड़िया आये दिन किस तरीके से महानगरो में लड़कियो को अपने जाल में फंसा कर शाररिक और मानसिक शौषण कर रहा है और इससे बचने के लिए किस किस तरह के हथकंडो का उपयोग करते हैं।इस पूरे प्रकरण में जिन जिन लोगो ने मुझे हौसला अफजाई किया उन्हे स हद्यय धन्यवाद ।साथ ही उन मित्रो को भी धन्यवाद जिन्होने इस पूरे प्रकरण में मेरी माँ बहनो को भी गाली देने से नही चुंके।