बिहार विधानसभा चुनाव लगभग समाप्ति पर है और अब सबो की नजर चुनाव परिणाम पर टिकी हुई है।उम्मीद की जा रही है की चुनाव परिणाम बिहार की जनता के लिए खुशहाली और समृद्धि लेकर आयेगी। क्यो कि पहली बार बिहार के वोटरो नें जाति,धर्म,मजहब,नाते रिश्ते को तोड़कर विकास और समाजिक समरसता के नाम पर वोटिंग किया है।मतदाताओ ने एक और जहां नीतीश कुमार के विकास और सुशासन के दावे पर मोहर लगा दी, वही नीतीश कुमार के अंहकार और राज्य में जारी अफसरशाही औऱ भ्रष्टाचार को लेकर खिचाई भी किया है। यही कारण रहा कि प्रथम चरण के चुनाव के बाद नीतीश कुमार जहां भ्रष्टाचारियो की सम्पत्ति जप्त करने की घोषणा कर मतदाताओ की वाहवाही लूटे। वही दूसरी और लालू प्रसाद ने अफसरशाही खत्म करने का भरोसा दिलाकर ऱुठे मतदाताओ को मनाते दिखे।लेकिन पूरे चुनाव प्रचार के दौरान जो अहम बाते रही की मतदाताओ ने नीतीश कुमार के एक बार और मुख्यमत्री बनाने की अपील को काफी गम्भीरता से लिया ।लेकिन इसका असर चुनाव परिणाम पर कितना पड़ता है ये तो परिणाम आने के बाद ही सामने आयेगा।
पूरे चुनावी अभियान के दौरान नीतीश कुमार के पास कोई टिंक टैंक जैसी बाते देखने को नही मिला जो पार्टी उम्मीदवार के नकारात्मक पंक्षो के काऱण जनता में उपजे आक्रोश को नियंत्रित कर सके। और यही कारण है कि जनता के अपार समर्थन के बावजूद नीतीश मंत्रीमंडल के अधिकांश मंत्री और विधायक की विधायकी खतरे में है।अगर परिणाम प्रतिकुल होता है तो इसमें जनता से कही अधिक गुनाहगार खुद नीतीश कुमार होगे जिन्होने टिकट बटवारे से लेकर पूरे चुनाव अभियान के दौरान जनता के भवानाओ को दरकिनार करते दिखे।लेकिन इन सबके बावजूद जनता ने जो दिलेरी दिखायी है वह वाकई देखने लाईक था।
नीतीश कुमार का नालंदा के रहुउ में 11बजे सभा होनी थी लाईफ कभरेज हो इसके लिए पूरी टीम के साथ सुबह 9.35में ही सभा स्थल पर पहुंच गये थे।कार्यक्रम नीतीश कुमार के कर्मभूमि पर होने वाला था इसलिए सभी की पैनी नजर चुनावी सभा पर टिकी हुई थी।सभा स्थल पर एक बूढा व्यक्ति जिसकी उर्म 55 के करीब होगा लेकिन देखने में 75के करीब लग रहा था डी एरिया के बाहर बैंठा हुआ था उस समय कुछ पुलिस को छोड़कर कोई नही पहुचा था जैसे जैसे सभा का समय करीब होने को हो रहा था लोगो के आने का सिलसिला तेज होने लगा और नीतीश कुमार जब पहुंचे तो पूरा मैंदान भरा हुआ था नीतीश कुमार जिन्दावाद का नारा लग ही रहा था कि पीछे से कोई व्यक्ति बार बार चिल्ला रहा था तनी हटहो(जरा हट जाये)मैंने पलट कर देखा वही बूढा चिल्ला रहा था जो डी एरिया में मीडियाकर्मियो के ट्रायपोर्ट लगने के कारण नीतीश कुमार को नही देख पा रहा था मै उसके पास गया औऱ डी ऐरिया के बाहर लगे बांस के बल्ले के नीचे से आने का इशारा करते हुए उन्हे मीडिया सेंन्टर में ले आया औऱ उसके बाद मैंने अपनी कुर्सी में बैंठा दिया पूरे भाषण के दौरान मेरी नजर जब भी उस बूढे व्यक्ति पर पड़ता देखता की वह टकटकी निगाह से नीतीश कुमार को देख रहा है।भाषण खत्म हुआ नीतीश उड़ चले हम लोग समान पैंकप करा रहे थे तभी मुझे लगा कि पीछे से कोई व्यक्ति आशिर्वाद देना चाह रहा है जैसे ही पलटा सामने वही बूढा व्यक्ति खड़ा था मैने पुछा बाबा गये नही है नही बाबू तोड़ से मिलले बिना कैसे जतियो(तुमसे मिले बगैर कैसे जाते, मैनें पुछा बाबा नीतीश जी की कहलथून बड़ी शांत भाव से उन्होने कहा बाबू अंतिम आस इही छे मैने पुछा क्या कहा बाबा, तो उन्होने कहा लोग कहे रहे अपन सरकार बनले 15वर्ष लालू के इही नाम पर वोट देलिए पांच वरस नीतीश बबुआ के वोट देलिए औऱ इही बेर द रहल बानी लेकिन गरीब के भला नही भेल तो अनर्थ भे जाईते, मैने पुछा क्यो बूरा होगा, बाबू नईका छौड़ा(लड़का, सब हथियार उठवे के बात करे छे गरीब के भला नही भले त बाबू बढ बूरा दिन आवे वाला छई,55वर्ष से इ नाटक चली रहल छई पहले कही छले बड़का सब लूट ले छई लेकिन बीस वर्ष से बिहार में गिरिबहे के बेटा मुख्यमंत्री होई रहल छई ओकरा बादो गरीब के देखे वाला कोई नही है।
उस बूढे की बात जब जब जेहन में आता है मेरे सामने अंधेरा छा जाता है और आने वाले बिहार को लेकर चिंतित हो उठता हूं।वाकई बिहार का यह चुनाव या तो बिहार की दिशा और दशा को बदल देगी या फिर घोर निराशा के खाई में इतने नीचे चला जायेगा कि जहां से निकलना मूमकिन ही नही पूरी तौर नामूमकिन होगा।