मंगलवार, नवंबर 24, 2009

नीतीश ने पूरे किये चार वर्ष


आज पूरे बिहार में सीएम सचिवालय से लेकर डीएम सचिवालय तक उत्सव का महौल का था एक से एक लजीज पकवान मेज पर सजाये गये थे।कहते हैं कि इस उत्वस को सफल बनाने के लिए सरकार ने अपनी तिजौंरी खोल रखी थी।अखबार वालों को पचास लाख से एक करोड़ तक का विज्ञापन दिया गया हैं। अखबार वालों ने भी कोई कसर नही छोड़ी थी लग रहा था बिहार के आजादी का उत्सव मनाया जा रहा हैं।एक से एक विचारक, अर्थशास्त्री, और विशेषज्ञों की राय से पूरा अखबार पटा था।नीतीश को महिमामंडित करने में कोई कसर नही रह जाये इसके लिए चीफ रिपोर्टर से लेकर संपादक तक पूरी रात नीतीश चलीसा गढने मैं लगे रहे ऐसा सुबह सुबह अखबार पढने से लग रहा था ।होना भी चाहिए था क्यों कि आज नीतीश सरकार के कार्यकाल का चार वर्ष पूरा हुआ हैं।इस अवसर को भूनाने के लिए सीएम सचिवालय से लेकर डीएम सचिवालय पिछले दो माह से रात दिन एक किये हुए था।उपलब्धि का आकड़ा छूट न जाये इसके लिए विशेषज्ञों की पूरी फौंज लगायी गयी थी।रिपोर्ट कार्ड आने के बाद लगा की वाकय तैयारी पुलफ्रुफ था कार्ड देखने से लग रहा हैं कि इस सरकार की आलोचना करना सूर्य को दिपक दिखाने जैसा हैं।                       लेकिन इस उत्वस के बीच लोगो की राय जानने का जिम्मा आज मुझे मिला था।पटना के सड़कों पर पूरे दिन नीतीश सरकार के जनविरोधी नीति का हवाला देकर भाकपा माले का आन्दोलन जारी रहा। लेकिन बिहार में पहली बार यह देखने को मिला कि जनसरोकार की बात करने वाले भाकपा माले के आन्दोलन में कोई धार नही दिखाई दे रहा था।मुजफ्फरपुर,गया जैसे शहरों में दुकानदारों ने बंद करने से इनकार कर दिया और लोगो ने बंद समर्थकों को पीटा भी।वही दूसरी और लोक उपक्रम से जुड़े हजारों कर्मचारी वर्षों से बंद वेतन के भुकतान की मांग को लेकर अर्द्धनग्न प्रदर्शन किया और सरकार के रिपोर्ट कार्ड को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह सरकार ब्यूरोक्रेट के हाथों की कटपूतली बन कर रह गया।पटना के वीमेंन्स कांलेज की छात्राओं ने नीतीश के सुशासन के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अभी भी महिलाये राजधानी पटना में सुरक्षित महसूस नही कर रही हैं।कही किसी ने बटाईदारी कानून की बात कर नीतीश सरकार को कटघरे में खड़े करने का प्रयास किया वही एक युवक ने कहा कि विकास का क्या मतलव हैं बेली रोड सड़क बनाने से विकास होता हैं इनके कार्यकाल में रोजगार के अवसर में कमी आयी हैं एक परीक्षा पास भी किये हैं तो लगता हैं बांस घाट(शमशान घाट)पर ही नियुक्ति पत्र मिलेगा। एक किसान खाद और बीज के लिए गांव से पटना आया था उसकी प्रतिक्रिया सहज और क़टु था किसान को सरकार से क्या चाहिए सरकार खाद और बीज भी मुहैया नही करा पाती हैं तो फिर सरकार क्या कर सकती हैं। सरकार फिलगुड महसूस कर रही हैं।एक रिक्शा चालक ने यहां तक कह डाला कि दिन पर कमाई करते हैं लेकिन परिवार को साथ रखने के लायक आमदनी नही होती हैं महंगाई इतनी बढ गयी हैं । हलाकि नीतीश सरकार को लेकर इस तरह की प्रतिक्रिया दवी जुबान ही सुनने को मिली लेकिन इतना तो जरुर दिखा कि नीतीश कुमार का हाल कही चन्द्र बावू नायडू वाला न हो जाये।क्यों कि नीतीश के फिलगुड,अपराध नियत्रण,विकास और सुशासन से सूबे की 90प्रतिशत जनता महरुम हैं।गांव में आज भी विकास की रोशनी दूर दूर तक दिखाई नही दे रही हैं वही भ्रष्टाचार की आंच मुखिया और पंचायत सचिव के माध्यम से गांव गांव तक पहुंच गया हैं।शिक्षक वहाली और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले को दी जाने वाली राशन किरासन में लूट को रोकने में सरकार की मशीनरी पूरी तरह फैल कर गयी हैं।नरेगा के नाम पर लूट मची हैं और एक बार फिर से मजदूरों का पलायन तेज हो गया हैं।                                                                                लेकिन सरकार और राजधानी में बैंठे बुद्दि विलास करने वालो को लिए यह कोई सवाल नही हैं।खैर मुझे भी इस सवाल से कोई खास वास्ता नही हैं लेकिन दुख हैं कि कही नीतीश कुमार का राजनैतिक कैरियर चन्दबाबू नायडू की तरह ध्वस्त न हो जाये। लेकिन इन सब के बीच जिस तरह से पत्रकारों ने अपनी कलम गिरवी लगा रखी हैं उसका क्या हर्ष होगा यह सोचकर रुह कांप जाती हैं।

2 टिप्‍पणियां:

सागर ने कहा…

सावन के अंधे को हरा ही हरा दीखता है... इस उत्सव की गूँज यहाँ के अखबारों में भी दिखी... ज़मीनी हालात की कल्पना मैं कर सकता हूँ... वेतन ना मिलने का ग़म और परीक्षा पास करके भी नियुक्ति ना होना तो जैसे वहां के विरासत में है... बहुत दिनों बाद कलम की धार देख रहा हूँ... बुध्धिजीवियों को भी अपना दूकान चलाने का मौका मिल गया है...

बेनामी ने कहा…

वो कहते है, न मनुष्य जब स्वार्थी हो जाता है तो किसी के लिए नहीं सोचता है| ऐशा ही कुछ आज कल हो चला है| यहाँ हर कोई अब आपने और सिर्फ आपने लिए ही ज़ीने लगा है| इसके ज़िमेबार हम सब है| आज ऐसा ईश लिए हो गया है क्यों की हम सब आपनी ज़िमबेबरी भूल चुके है| वोट के टाइम में हम छुटी मानते है और जब टाइम हमरे हाथ से निकल जाता है तो गाली देते है| हम ऐ भूल चके है शाएद की ये प्रजथंत्र है| यहाँ जो होता है उसके हम ही और सिर्फ हम ही गुनेगार है| मुझे तो पता नहीं हम कब बदले गे|
जागो जनता | जागो | जय बिहार | जय भारत | जय हो तूतीकिअवाज़ की|
आप की इश पर्याश की शराहना करते है और आप की सफलता की कामना करते है |
आप का |
"एक गुनेह्गर"
धन्येबाद