आज से करीब दस वर्ष पूर्व गांधीवादियों के एक सम्मेलन में भाग लेने का मौका मिला था। सम्मेलन में अधिकांश कांलेज के लड़के मौजूद थे।मंच पर गांधिवादियों का जमावरा लगा हुआ था और दर्शक दिर्घा में अधिकांश ऐसे युवक मौंजूद थे जिनके मन में गांधी के प्रति कोई आदर भाव नही था कार्यक्रम शुरु हुआ एक से एक वक्ता अपनी बात रख रहे थे।इसी दौरान एक व्यक्ति जिसकी उम्र 70वर्ष के करीब होगा अपनी बात रखने किसी तरह से मंच पर खड़े हुए जहां तक मुझे याद हैं वे दादा धर्माधिकारी थे और महाराष्ट्र से आने की बात कह रहे थे।भाषण की शुरुआत बिहार के पावन धरती को प्रणाम करने साथ हुआ। इन्होने कहा कि 1977के बाद बिहार आया हूं जब मैं अपने लोग से कहा कि मैं बिहार जा रहा हूं तो बहुत सारे मित्र मुझे स्टेशन तक छोड़ने आये,और कहा कि बिहार जा रहे हैं तो बिहारवालों को अवश्य बोलियेगा की पूरा देश उनसे एक और क्रांति की आस लगाये बैंठा हैं।भाषण का सिलसिल आगे बढा 70 वर्ष का वह व्यक्ति बोलते बोलते रोने लगा कहा बस अब आप से ही उम्मीद बची हैं सारा मुल्क आर्थिक उदारीकरण के सामने नस्तमस्तक हो गया हैं ।बहुराष्ट्रीय कम्पनी एक एक कर हमारे आर्थिक संरचना को धवस्त कर रहा हैं,एक बेवस और लाचार मराठी आपसे विनती करने आया हैं ।जागो और पूरे देश को जगाओं नही तो आने वाला कल बड़ी भवावह होगा। मैं इसी उम्मीद से बिहार आया हूं क्यों कि मुझे सभी बिहाररियों में गांधी, विनोवा और जेपी की प्रतिभा दिखती हैं।भाषण समाप्त होने के बाद सवाल जबाव का सत्र शुरु हुआ मैंने महाराष्ट्र से आये उस व्यक्ति से सीधा सवाल किया बिहार और बिहारियों में ऐसी कौन सी बात हैं जो पूरा देश क्रंति की उम्मीद लिए बैंठा हैं।उस वक्त इन्होने जो जबाव दिया था वह मुझे स्वीकार्य नही था। फिर भी मेरे जेहन में बिहार और बिहारियों के प्रति इस तरह के विचार रखने के पीछे के कारणों की तलाश छात्र जीवन से लेकर पत्रकारिता के आठ वर्षो के सफर तक सत्तत जारी रहा।कभी उम्मीद जगी भी लेकिन बाद मैं निराशा ही हाथ लगा। लेकिन कल जिस बिहारी से मिला उसकी बात सुनकर लगा कि आखिर बिहार का इतिहास इतना गौरवशाली क्यो रहा हैं और आज भी लोग बिहार से परिवर्तन की उम्मीद क्यों लगाये हुए हैं।
नाम निरंजन तिवारी पिता स्व-वीर तिवारी घर-धोकरहा,थाना मझौलिय,प0चम्पारण(बेतिया)के स्थायी निवासी हैं। अपने बड़े भाई के खिलाफ पिछले तीन वर्ष से धर्म युध लड़ रहा हैं अभी तक इस युध में उसे जलालत ही झेलनी पड़ी हैं ।लेकिन आज वे हमारे दफ्तर में न्याय के इस युध में मदद की गुहार लेकर आया हैं।मामला बिहार सरकार के सुशासन से जुड़ा हैं।
निरंजन दिल्ली में काम करता था छुट्टी में घर आया तो देखा कि उसके घर पर रात भर लोगो का आना जाना लगा रहता हैं।मालूम करने पर पता चला कि उसका बड़ा भाई राम जी तिवारी फर्जी डिग्री का कारोबार कर रहे हैं।बात 2007की हैं जब पूरे बिहार में प्राप्ताक के आधार पर शिक्षक की बहाली चल रहा था।राम जी तिवारी टिचर ट्रेनिंग से लेकर बोर्ड और संस्कृत बोर्ड का फर्जी सार्टीफिकेट बेचता था।घर में फर्जी सार्टीफिकेंट बनाने की फैक्ट्री चल रहा था पहले निरंजन ने अपने भाई को समझाया यह क्या कर रहे हैं यह देश के भविष्य के साथ खिलवार होगा ।लेकिन भाई के इस सलाह को गम्भीरता से नही लिया तब जाकर इस मामले की सूचना निरजंन ने बेतिया के तत्तकालिन डीएम और एसपी0 को दिया लेकिन कारवाई करना तो दूर उलटे निरंजन पर झूठा मुकदमा कर जेल भेज दिया।यह खेल वैसे एसपी के मिली भगत से किया गया जो बाहुबलि शहाबुदीन के घर पर पुलिस फोर्स ले जाने का साहस दिखाया था बच्चू सिंह मिणा जिनके बारे में बिहार में एक अलग छवि मानी जाती हैं।जेल से छुटने के बाद निरंजन फर्जी फर्जी सार्टिफिकेट रेकैट को उजागर करने की ठानी और पुलिस और प्रशासनिक विभाग के तमाम आलाधिकारी के दरवार में जा कर न्याय की गुहार लगायी लेकिन कोई कारवाई नही हुई अंत में पूरे साक्ष्य के साथ नीतीश कुमार के जनता दरवार में कई बार गया कारवाई नही होते देख एक दिन नीतीश के दरवार में जमकर हंगामा किया नीतीश कुमार खुद डीजीपी को छापामारी करने का निर्देश दिया जब छापामारी हुई तो राम जी तिवारी के घर से सैकड़ो जाली प्रमाण पत्र, मोहर बगैरह मिला ।बेतिया पुलिस प्रेस कान्फरेन्स कर एक बड़े रैकेट के भंडाफोर होने की बात कही लेकिन पुलिस का सुर कुछ ही दिनों में बदल गया और बीस दिनों के बाद कोर्ट से बेल भी मिल गया और बरामद सार्टीफिकेंट को सही लिखते हुए पुलिस ने केश को झुठा करार कर दिया और झुठा मुकदमा दर्ज करने का आरोप लगाते हुए निरंजन पर धारा 211के तहत कारवाई करने का आदेश तत्तकालीन एस0पी के0एस0अनुपम ने जारी किया।पुलिस ने मुकदमें के अनुसंधान के दौरान पांच लोगो का प्रमाण पत्र बिहार विधालय परीक्षा समिति और सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविधालय वाराणसी जाकर जांच किया उपकुलसचिव के हस्ताक्षर से जांच कर्ता को पत्र दिया गया जिसमें राम तिवारी के घर से बरामद सभी प्रमाण पत्र को सही लिखा।लेकिन निरंजन तिवारी मानने को तैयार नही था इन्होने जांच में शामिल पांच लोगो के प्रमाण पत्र की सत्यता जानने के लिए सूचना के अधिकार के तहत बिहार विधालय परीक्षा समिति और सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविधालय के सूचना पदाधिकारी से इन छात्रों के परीक्षा परीणाम के बारे में जानकारी मांगी।रिपोर्ट चौकाने वाला हैं सभी विधार्थी का प्रमाण पत्र फर्जी निकला जिसके बारे में पुलिस ने अपने अनुसंधान के दौरान कुल सचिव के पत्र के आधार पर सही लिखा था।यह सभी छात्र बेतिया में पंचायत शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं जिसमें राम तिवारी की बेटी,बेटा और पुतहु भी शामिल हैं।निरंजन की माने तो पूरे बिहार में इस तरह के फर्जी सार्टीफिकेंट के माध्यम से एक हजार से अधिक शिक्षक के पद पर कार्यरत और सैंकड़ो पंचायत सेवक, सेना और पुलिस में नौकरी कर रहा हैं।इस रैकेट के भंडाफोर होने से कई अधिकारियों का जेल जाना तय हैं इसलिए पूरी मशीनरी इस मामले को दवाने में लगा हैं।
मामला जो भी हो लेकिन निरजंन इसे उजागर करने को लेकर अभी भी व्यवस्था से लड़ रहा हैं और आज भी मुख्यमंत्री से लेकर तमाम प्रशासनिक अधिकारी के पास जाकर न्याय की गुहार लगा रहा हैं।जब मैंने पुछा ऐसे हलात में हिंसा का रास्ता क्यो नही अख्तियार किया जबाव हिंसा कायर कि निशानी हैं आज न कल न्याय जुरुर मिलेगा।रही बात सुशासन की तो आप समझ सकते हैं बिहार में सुशासन क्या हैं।फिर मेरा सवाल था नीतीश कुमार को वोट देगे कहां जरुर देगे लालू का राज्य रहता तो कब की मेरी हत्या हो गयी रहती कम से कम सच्चाई की लड़ाई लड़ने वाला अपनी बात तो कह पा रहा हैं.।इतने दिनों से मीडिया के पास क्यो नही जा रहे थे बड़ी जोर से हंसा कहा सर जी अखबार के दफ्तर में कागज देते देते थग गया लेकिन आज तक नही छापा मैने पुछा तो मेरे पास क्यों आये, उम्मीद हैं एक न एक दिन सत्य उजागर होगा और सत्य की जीत होगी । अगला सवाल था इस लड़ाई में आपकी नौकरी गयी कई कई दिनों तक बिना खाये रात में सोना पड़ा लोगो की जलालत झेलनी पड़ी जेल जाना पड़ा आखिर इस लड़ाई से आपको क्या बास्ता हैं। कहा सर जी बिहार के भविष्य का सवाल हैं।इसका जबाव सुनकर महसूस हुआ कि आखिर उस मराठी मानुष को बिहार के लोगो से इतनी उम्मीद क्यो थी।---------
5 टिप्पणियां:
दादा धर्माधिकारी जैसा समाजसेवी होना ही सच्चे देशभक्त की निशानी है ।
रचना अच्छी लगी ।
बिहार में हो रही इस घटना ने कोई आश्चर्य नहीं पैदा किया हां मुझे हैरत तो तब होती जब सब कुछ आसानी से हो जाता मसलन अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जा सकता । पता नहीं वो कौन सी सरकार होगी जिसके शासनकाल में ऐसा संभव हो पाएगा ॥
अच्छी रिपोर्ट लगी आपकी। ऐसी और कहानियां सामने ले आइये।
निरंजन जी की न्यायप्रियता और उनके जज्बे को सलाम करता हूँ.
पता नहीं आपके चैनल पर इनके संघर्ष की कथा और इसके हवाले
बिहार की व्यथा कथा प्रसारित हुयी की नहीं.
बिहार में शिक्षकों की बहाली के नाम पर अनपढ़ों की नियुक्ति कर
बिहार का भविष्य गिरवी रख दिया गया है.
पता नहीं हमारी सामूहिक सोच इतनी कलुषित कैसे हो गयी की इस तरह की बहाली को हम सब
रोजगार और गरीबी उन्मूलन योजना के रूप में ले रहे हैं.
नरेगा और पंचायत स्तर के विकास कार्यों का सच उजागर करें तो अच्छा होगा.
सादर
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