रविवार, जुलाई 25, 2010

हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफिर की तरह--

वक्त का तकाजा है कभी खबर बनाने वाले भी खबर बन जाते हैं घटना 19जुलाई की है। शाम के 7बजकर 40मिनट के करीब दफ्तर से काम निपटाकर निकल रहा था इसी दौरान गाँधी मैंदान के ठिक सामने रामगुलाम चौक से जैसे ही होटल मोर्या की तरफ मुड़ा सामने देखते हैं कि एक लड़की को पीछे से एक एसकोरपियो वाले ने धक्का मार दिया, औऱ लड़की वही गिर गयी लेकिन तुरंत वे उठी औऱ गांड़ी पर सवार लोगो को कुछ कहने लगी इतने में तीन नौजवान तेजी से गांड़ी से उतरा औऱ लड़की के साथ उची स्वर में बात करने लगा ।तब तक मेरी गांड़ी भी वहा पहुंच गयी।मैं जब तक गांड़ी से उतरता देखते है एक लड़का लड़की को अपनी और खीच रहा है मैं अचानक उसकी और दौड़ा और कहा ये क्या कर रहो हो इतने में उसके औऱ साथियो ने लड़की को छोड़कर मुझ पर ही टूट परा स्थिति इतनी बिगड़ गयी की मुझे एसएसपी कन्ट्राल को फोन करना पड़ा।जब तक और बाते बढती पुलिस की दो जिप्सी पहुंच गयी जिस्पी पर सवार पुलिस वाले ने उन लड़को की और लपका तो कहने लगा मैं सासंद सुभाष यादब(लालू प्रसाद का साला)का रिश्तेदार हू तो दूसरो ने नीतीश कुमार के नजदीकी कैबिनेट मंत्री विषृण पटेल का रिश्तेदार होने का हवाला देते हुए पुलिस पर ही बसरने लगा।किसी तरह से पुलिस वालो ने उसे लेकर थाना आया।थाने पर पहुंचते ही उन तीनो का मोबाईल बजने लगा स्थिति यह हो गयी कि पुलिस वाले भाग रहे थे और वो तीनो गाली देते हुए पुलिस वाले को मोबाईल से बात करने को कह रहे थे। कोई कह रहा था मंत्री का फोन है तो दूसरा कह रहा था सासंद का फोन है कहा गया रे थानेदार गाली देते हुए बात काहे नही करते हो।साला तुम्हारा एसपी दिन में तीन बार सलामी देता है, और मुख्यमंत्री तो भरुआ है मैं चुपचाप इन लोगो का हड़कत देख रहा था।


उलेट एक पुलिस वाला डांट कर मुझे कहता है रोड पर पक्का लेते है शर्म नही आता है। मैने धीरे से कहा वही जगह था जहां पिछले वार दिनदहाड़े लड़की को नंगे कर घुमाया गया था जिसके कारण पूरे पुलिस महकमा को मुख्यमंत्री ने हटा दिया था इतना कहना था कि पुलिस वाले मुझपर ही बरस पड़े।मैं चुपचाप एक कोने में बैंठ गया और उन तीनो का हरकत देख रहा था जितनी भी गाली देनी थी दिये जा रहा था ।

वही पुलिस वाले चुप चाप उसके गाली को सूने जा रहा था स्थिति यह थी कि गाली देते देते थक जाता था तो पुलिस वाले उसे पीने के लिए पानी दे रहे थे। मैं बड़े अराम से यह सब देख और सून रहा था स्थिति मेरे लिए तब असहज हो गयी जब एक नौजबान दरोगा उसका मोबाईल छिन कर दो थप्पर मारा तो वहा तैनात थाने की मुंशी कहता है आप उसके संवैधानिक अधिकार पर चोट कर रहे मैने बड़े ही आराम से कहा आपके सामने मुझे गाली दी जा रही है क्या यह गैर संवैधानिक नही है।मुंशी कहता है कागज लिजिए इस पर जो भी लिखना है लिखकर दे दिजिए ज्यादा भाषण देने की जरुरत नही है।

लगभग दस वर्षो के बाद पहली बार आम लोगो की तरह मैं थाना पर पहुंचा था नही तो कभी कलम लेकर तो कभी लोगो लेकर प्रेस लिखे गांड़ी से थाना जाया करते थे थानेदार से लेकर सभी कर्मी स्वागत में लगे रहते थे मुझे लगता था कि समय के साथ थाने में बदलाव आया है।

लेकिन अब मुझे समझ में आने लगा था कि आम लोग सरेआम गाली गलौज सूनने के बाद भी थाना आने से क्यो कतराते हैं क्यो परिवार के साथ चलने वाले लोग आंखो के सामने छेड़खानी होते देख बरदास्त कर जाते हैं। कोई घटना होने पर लोगो का आक्रोश इतना उग्र क्यो हो जाता है पुलिस वाले के खिलाफ आम लोगो में इतना आक्रोश क्यो है।

यह सब दिमाग में चल ही रहा था कि अचानक एक कड़क आवाज सूनाई दी कितने देर से लिख रहे हैं।अब मेरा धैर्य जबाव देने लगा पहले मैने अपने मीडिया मित्रो को सूचित किया देखते देखते दस मिनट में सारे चैनल के पत्रकार थाने पर पहुंच गये मीडियाकर्मियो को देखते ही उन तीनो लड़को का तेवर और उग्र हो गया औऱ जमकर गाली गलौज करने लगा।

मीडिया वाले को थाने में इस तरह का लाईफ सोंट तो कभी कभी ही मिलता है जो भी आया सबके सब फोटो लेने में मस्त हो गया थाने में मुख्यमंत्री ले कर डीजीपी को गाली दे इससे बढिया स्टोरी क्या हो सकती है।मीडिया वाले के पहुंचने के बाद भी थाने की पुलिस का रहमदिल युवको के प्रति साफ दिख रहा था अब मुझे लगा कि कुछ करना चाहिए मैंने सीधे डीजीपी को फोन किया एक ही रिंग हुआ होगा कि उसने कहा क्या संतोष जी क्या हाल है ।सर ऐसी ऐसी बात अरे आपके साथ घटना घटी है आप वही रहे तुरंत कारवाई होगी।दो मिनट बाद ही देखते है थानेदार भागे भागे बरामदे पर आता है ।

अरे कहा गये संतोष जी क्या सर आपको पहले कहना चाहिए कहा गया रे पानी लाउ देखते देखते पूरे थाने का नजारा बदल गया दो मिनट पहले जो मुंशी मुझे संविधान बता रहा था उसके चेहरे से पसीना टपक रहा था पूरे थाने में मानो मौहाल ही बदल गया, सभी उन तीनो लड़के को चुप्प करने लगे।सुबह जब अखबार में खबर छपी और चैनलो पर खबर चलने लगा तो पूरे विभाग में हरकम्प मच गया तीनो लड़को पर गैर जमानतीय धारा लगाने को लिए पुलिस वाले मुझसे लगातार बात कर रहे थे सर थोड़ी देर के लिए थाने पर आ जाइए।यह है पुलिस जिसकी जबावदेही आम लोगो को सुरक्षा प्रदान करने की है।

2 टिप्‍पणियां:

सागर ने कहा…

बिहार- एक ऐसा जगह जहाँ हर वक़्त दबंग identity लेकर चलना अच्छा होता है. कमोबेश हर जगह यही हाल है. यह सरचढ़े, मोटी खाल वाले, युवक है जिनके खून में कमीनापन घुस गया है. अपने बलबूते इनसे कुछ नहीं होता... सब नेता, पुलिस और सिफारिश की छत्र -छाया में इतराते फिरते हैं.. बहुत बड़ी गलती पुलिस महकमे की है, प्रशासन की है. इनका भी कोई जात नहीं है. मौके देख कर पलटी मार लेते हैं यह चापलूस... सबकी नौकरी इसी पर टिकी है... आप इन्हें कर्म बतायेंकी यह आपको ज्ञान देने लग जायेंगे... यह सब मिल कर ही ऐसा माहौल तैयार कर रहे हैं कल को इनकी बेटी के साथ छेड़छाड़ हो...

आपकी तो फिर भी बात सुन ली गयी. ऐसे कितनी घटनाएँ आम लोगों के साथ वहां अक्सर घटती हैं... सत्ता के धर्मांध पगलाए इन बदमाश लोगों पर पुलिस को बेख़ौफ़ सख्ती करनी चाहिए लेकिन बात यह थी की उस दिन जैसा ETV दफ्तर के सामने किसी पुलिस के साथ जब तक ऐसा ना हो, यह महकमा कैसे बोलेगा ?

सागर ने कहा…

एक और हैरानी की बात मुझे सिर्फ पढ़ कर ही गुस्सा आ गया, और जिसने देखा, गाली सुनी वो इतने गए-गुज़रे थे !!!!!!