दो तीन दिनों पूर्व बिहार के मधुवनी के रहने वाले राज झा का फेसबूक पर एक मैंसेज आया,उनका कहना था कि आपका चैनल रोजना देखते है चैनल देखने से लगता है, कि बिहार में कोई खास बदलाव नही आया है। मैं बिहार आना चाहता हूं क्या वाकई में स्थिति ऐसी ही है आप मुझे बेहतर सलाह दे।बिहार से बाहर बिहार के बारे में जो छवि मीडिया ने बनायी है उसमें इस तरह का सवाल पुछना लाजमी है। लेकिन इनके सवाल के जबाव देने के लिए में बेहतर समय का इन्तजार कर रहा था।शायद आज उनके सवालो का जबाव बेहतर तरीके से दिया जा सकता है,मेरा मानना है कि देश में आज नीतीश कुमार के टक्कर का राजनेता नही के बराबर है। बिहार को बदलने के प्रति गम्भीर भी है लेकिन जो समाजिक आर्थिक और प्रशासनिक ढंचा है उसमें बदलाव के लिए जो जजवा चाहिए उसकी कमी नीतीश कुमार में जरुर है। लेकिन इसके लिए सिर्फ नीतीश कुमार को ही जिम्मेवार नही ठहराय सकता है।एक घटना से आप बिहार के बदलाव को बेहतर तरीके से समझ जायेगे।तीन दिन पहले जमुई में रोड लुटेरे ने एक परिवार को लूट लिया और उसमें सवार एक महिला के साथ बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर दी गयी।पुलिस जांच में ये बाते सामने आयी है कि पति ने ही उस महिला की हत्या करायी है, अपने प्रेमी को पाने के लिए।ऐसा हो भी सकता है लेकिन आप देखिए जिस दिन यह घटना घटी उस दिन घटना के समय गांड़ी में साथ चल रहे मृतका की 8वर्ष की बेटी ,भाई पति और भाभी चीख चीख कर रात भर इस थाने से उस थाने और एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में दौड़ती रही लेकिन किसी पुलिस ने उसकी बात तक नही सुनी। मीडिया में जब खबर चली तो 14घंटे बाद प्राथमिकी दर्ज हुई ,बिहार के किसी भी अखबार ने इस खबर को प्रमुखता नही दिया लेकिन जैसे ही ये बाते आयी कि इस घटना में पति शामिल है खबर प्रथम पेज पर छपने लगा कहने का मतलब यह है कि यहां लोकतंत्र के चारो स्तम्भ नीतीश वंदना करने में लगा है फेस बचाने के लिए किसी भी हद तक सौदा कर सकता है अब आप खुद तय करे,यह महज उदाहरण है लेकिन इश एक उदाहरण से बिहार के बदलाव को समझा जा सकता है रही बात मेरे चैनल द्वारा खबर दिखाये जाने की तो इस पर मेरी कोई प्रतिक्रिया नही होगी।
143. अरविंद घोष
5 घंटे पहले