गुरुवार, जनवरी 10, 2013

यह सेना जो आप के शरहद की रक्षा करता है भाड़े का टटू नही है

आज पूरे दिन में दो ऐसे फोन कांल आये है जिसने मुझे अभी तक बैचेन किये हुए है एक से तो मैं निपट लिया लेकिन दूसरे के लिए मेरे पास जबाव नही है--सुबह सुबह शुभ प्रभात के साथ साथ मेरे एक सीनियर सैन्य अधिकारी मित्र का फोन आय़ा फिलहाल वे दिल्ली में पोस्टेट हैं, उन्होने कहा कि आज कहां कैडिल मार्च निकलवा रहे है-----बरसब मेरे मुंह से निकल गया क्या सुबह सुबह मजाक कर रहे है इस कैंडिल मार्च को लेकर मेरी क्या सोच है उससे तो आप अवगत है, नही नही देश की सीमा की रक्षा कर रहे दो जवानो का सर काट कर पाकिस्तान की सेना अपने साथ ले गया लेकिन कोई प्रतिक्रिया नही दिख रही है ।मीडिया में बहस हो रही है सोशल साईट पर लोगो की प्रतिक्रिया आ रही है लेकिन इंडिया गेट और जंतर मंतर सूना है आपका कारगिल चौक से भी कोई प्रतिक्रिया सुनने को नही आ रहा है। अरे भाड़े के लोगो को भी लाकर कैंडिल मार्च करवा दे और नही हो तो वही पूरानी वाली भिजूउल आप लोगो के पास तो रहता है ही उसमें से  दामिनी लिखा पोस्टर को हटा दे--- दो अदद सिपाही मरा है उसकी कोई किमत भारतीय नागरिक के सामने क्या है आप मित्र है इतना तो मेरे लिए कर ही सकते हैं मारे गये सैनिक के परिवारो को थोड़ी सकून तो मिलेगी। बात करिए सविता भी आप कुछ कहना चाह रही है नमस्ते कैसे है संतोष जी ओ हो लगता है विस्तर में ही है सुना है पटना में 1 डिग्री तापमान हो गया है बड़ी मुश्किल हो गयी है चलिए सम्भल कर रहिएगा --पता है जहां से दो भारतीय सेना का सिर काटकर पाकिस्तानी ले गया है वहां पिछले एक माह से क्या तापमान है शून्य से सात से आठ डिग्री कम उसमें वह दोनो लड़का डियूटी कर रहा था--- चलिए आपको मैं क्यो सूना रही हूं देखिए राजीव जी ने जो कहा है कोशिश करिएगा पूरानी भिउजुल ही सही कुछ तो चला दिजिए--- यह सवाल सेना में काम करने वाले हर एक फौजी के परिवार के जुवान पर है और चीख चीख कर यह सवाल आप सबो से कर रहा है वो मां कर रही है जिसने अपना जवान बेटा मारा गया है ,उसकी विधवा पत्नी दहार दहार कर सवाल कर रही है बड़े प्यार से वो घर बनवाये थे और अब इस घर में रहेगा कौन ---इस फोन की पीड़ा से अभी उभरा भी नही था कि दोपहर बाद नकस्ली संगठन के प्रवक्ता बिक्रम जी,श्याम जी अनुप जी का फोन आया कहा लाल सलाम कामरेड कैसे है नव वर्ष मगलमंय हो-- लाल सलाम क्या हाल कैसे फोन किया ।इसी तरह से बहुत दिन हो गये थे नही मुझे तो लगा कि आप शायद लातेहार वाली घटना कि निंदा के लिए फोन किया है क्यो इसमें निंदा की क्या बात है हमलोगो ने तो 12 से अधिक जवान को मार गिराया है वो तो ठिक है आपने बहादूरी का परिचय दिया। लेकिन उसके पेट चीर कर बम लगाया ये आपका का कौन सा चेहरा है कभी मत फोन करिएगा, देखिए पुलिस मेरे साथी को गिरफ्तार कर लिया है फर्जी इनकाउटर कर देगा ---आप मैं और अपराधी में कोई फर्क नही रहा गया है आपने एक बड़े वर्ग की सहानुभूति खो दिया है ।अब कभी अपने जुवान से लाल सलाम मत निकालिएगा आपने सारी मर्यादाओ को तोड़ा है इसका परिणाम भुगतने को तैयार रहिएगा ।
सरकार जो चाह रही है उसका मकसद पूरा हो रहा है उन्हे आपको सिर्फ हम लोगो जैसे सिमपेथाईजर के नजरो में गिराना चाह रही थी  और उसमें वो कामयाब हो रहा है। दो दिन में आपके सारे आर्मस फोर्स को चिठ्ठी की तरह मसल देगा क्या हैसियत है आपकी कृप्या आप कभी भी मुझे फोन मत करिएगा आपमें और तालिबानियो में कोई फर्क नही रह गया है। जिसके साथ आपने यह व्यवहार किया वो भी भारतीय है किसी पूंजी पति या किसी सांवत का बेटा नही है वो किसी किसान और मजदूर का बेटा है जिसमें अभी देश के प्रति सम्मान बचा हुआ है किसको मार कर गर्व कर रहे हो बंद करिए थोथी दलिल इस अपराध का कोई माफी नही है परिणाम भुकतने के लिए तैयार रहिए लाल सलाम--

मंगलवार, जनवरी 08, 2013

दिल्ली गैंग रेप के आर में मीडिया आम लोगो के साथ गैंग रेप कर रही है

शुक्रवार की रात मेरे एक मित्र का फोन आया घर पहुंच गये हैं-- जी न्यूज देखिए गैंग रेप मामले में पीड़िता का दोस्त पूरी घटना क्रम को वया कर रहा है । जैसे ही टीवी खोला जी न्यूज के संवाददाता देश के बड़े शहरो से आंन लाईन थे लोगो की प्रतिक्रिया देख लग रहा था क्या कह दिया थोड़ी देर बाद फिर चैनल पर ब्रेकिंग आने लगा कि रात दस बजे देश की सबसे बड़ी गवाही देखिए--लेकिन थोड़ी देर में मन विचलित होने लगा और मैंने चैनल बदल दिया लेकिन कुछ देर बाद फिर से जी न्यूज पर आना पड़ा उसके बाद जो कुछ दिखाया गया आप सबो ने भी देखा और प्रतिक्रियाये भी देखी और अभी तक प्रतिक्रिया जारी है। इस बीच उसी मित्र का एक मैंसेज आया पूरी खबरे को लेकर कुछ सवाल उन्होने मुझसे पुछा मैने सोचा उनके सवालो को क्यो नही पब्लिक डोमेन रख दे देखे लोगो की प्रतिक्रिया है ----लेकिन उनके सवाल को मैंने पोस्ट क्या किया पोस्ट पर और फोन कर लोगो ने जमकर ऐसी की तैसी सुनाने लगे चार दिन तक चुप रहा लेकिन अब लगता है इस पाखंड का जबाव देने होगा---मेरा सवाल देश के सबसे बड़े गवाही के हीरो और उस हीरो को महिमा मंडित करने वाले पत्रकारो से भी है क्यो कि जो सवाल मैं रखने जा रहा हूं इस तरह के सवाल से मुझे दो चार होना पड़ा रहा है।
1 जिस समय जी चैनल पर यह सब चल रहा था उस वक्त मुझे लग रहा था कि कोई मेरी भवनाओ और विश्वास के साथ गैंग रेप कर रहा है--1992 से 2002 तक मैं भी दिल्ली और दिल्ली वालो के साथ खेला हूं ,जिया हूं समझा हूं और बहुत कुछ दिल्ली में खो कर भी आया हूं जिसकी याद आज भी सताती है ।मेरा सवाल दुनिया के उस सबसे बड़े गवाह से है जिन्होने कहा कि घटना स्थल पर तीन पीसीआर भेन पहुंचा और आंधे घंटे तक थाना क्षेत्र को लेकर बहस करते रहे बाबू दिल्ली गोरखपुर नही है दिल्ली में पीसीआर भेन किसी थाने की नही होती है कई बार मेरे व्यक्तिगत अनुभव रहे है 100 नम्बर पर फोन करिए घायल है तो अस्पताल पहुंचायेगा और मामले मुकदमें का है तो सम्बन्धित थाना पहुंचायेगा ।आज भी यही व्यवस्था है और उसके लिए कल मैंने अपने दिल्ली के बैंचमेंट को अजमाने को कहा और वही हुआ जो पहले हुआ करता था। पीसीआर आयी और मामले को समझने के बाद चल गया उसका अवास वसंत कूंज में है और मदद के लिए जो पीसीआर भेन पहुंचा वह उस इलाके के थाने क्षेत्र का नही था।कल मेरे उस मित्र का भी भ्रम टूट गया जो देश की सबसे बड़ी गवाही सुनकर गुस्से में था।
2दूसरा सवाल देश के सबसे बड़े गवाह से है घटना शायद 16 दिसम्बर की रात 9 बजे के करीब की है ,मेरे जांवाज गवाह की ही माने तो उसनें आंधे घंटे तक छह दरिंदो से अपनी दामिनी को बचाता रहा और उस पर लात घूंसे और रोड से वार होता रहा लेकिन घटना के बीस दिन बाद 4जनवरी को जब वो टीवी पर आया तो मुझे उसके पैर को छोड़कर कही भी इनज्यूरी नही दिखी आप सबो से ही जानना चाहता हूं अगर कोई आपको पीटता है या फिर आप पीटते है तो क्या होता है।
दोनो स्थिति में सबसे पहले हाथ उठता है पता नही इस बाबू का पैर कैसे पहले उठ गया---और हाथ तब तक लड़ता रहता है जब तक कि वो पूरी तरह से हार नही जाता है मतलब यह है कि या तो वो हाथ तोड़ दे या फिर हाथ को बांध दे तभी आप मुझे पर आराम से वार कर सकते हो आप ही बताये बाबू का तो दोनो हाथ सुरक्षित दिख रहा था एक हाथ में ब्रासलेट और दूसरे हाथ के अंगूली में अंगूठी साफ दिख रहा था कही चोट के निशान तो नही दिख रहे थे।सिर पर भी कही कोई चोट नही दिख रहा था बाल इतने चमकिले और खुबसूरत दिख रहा था मानो शादी के मंडप पर जाने की तैयारी में हो ।रही बात जी न्यूज के कैमरेमैंन का पूरी वार्ता के दौरान कैमरा उसके आंखो के आस पास घुमता रहा लेकिन उसके आंखो से कभी आंसू निकलते नही देखा बेहद बहादूर है----
3तीसरी सवाल सुधीर चौधरी जी से है मैंने इन्हे कई वर्षो से चैनल पर देख रहा हूं इनके सवाल पुंछने का यही अदा रही है क्या-- ऐसा लग रहा था अपने वीर बालक से ज्यादा दुखी यही थे आपने तो दिल्ली के साथ कई सपने संजोयो होगे दिल्ली आपकी है और आपके दिल्ली को एक वीर बालक ऐसी की तैसी किये जा रहा था और आप क्रोस सवाल नही कर रहे थे-- इनकी छोड़िए ये तो दिल्ली पुलिस के फेरे में खुद फंसे हुए है लेकिन उन पत्रकारो पर मुझे तरस आती है उनके जेहन में यह सवाल क्यो नही आया जो बड़े बड़े की बोलती बंद कर देते है वो क्यो इस वीर बालक को महिमा मंडित करने में लगे हैं।
4चौथा सवाल थोड़ा कानूनी है हमारे वीर बालक टीवी पर आने से पहले 161के तहत पुलिस के सामने पूरे मामले पर बयान दिये हैं-- उसके बाद 164 के तहत कोर्ट में पूरे मामले पर बयान दिये हैं और तीसरा बयान टीवी पर दिया है---पुलिस और कोर्ट के सामने जो बयान इसने दिया है उससे इतर कई बयान ये चैनल पर दिये है।यह सवाल मैं इस लिए कर रहा हूं कि पूरे घटना क्रम का एक मात्र चश्मदीद गवाह मेरा वीर बालक ही है लेकिन जिस तरीके से वीर बालक अलग अलग बयान दे रहे है उसका फायदा किसको मिलेगा कभी सोचा है आपने इसका फायदा उन छह दरिंदो को मिलेगा जिसके फांसी की आप मांग कर रहे है तो फिर आप बताये देश की यह सबसे बड़ी गवाही किसके लिए प्रायोजित कि गयी थी --यह सवाल कल आपको राम जेठ मलानी जैसे वकीलो से सूनना पड़ सकता है और कोर्ट में आपके वकील को सफाई देते देते हाल बूरे हो जायेगे---मित्र दामिनी के साथ हुए गैंगरेप से बड़ा गैगरेप है भावनाओ और विश्वास के साथ खेलना है-- इसकी क्या सजा हो मीडिया वाले जरा कैंडिल मार्च निकलवा कर सर्वे करा ले क्यो कि यह भी रेप बेहद जानलेवा होता है--

मंगलवार, नवंबर 06, 2012

क्या बिहार में कानून का राज्य है

मित्रों किसी ऐसे व्यक्ति ने ये खबर मुझे भेजी है जो मुझे एक निर्मिक, निडर और उत्साही पत्रकार के रुप में जानता है ।लेकिन शायद पहली बार उसके उम्मीद पर मैं खड़ा उतर नही पाया ।मैंने इस खबर के लिए सोशलसाईट का सहारा लिया शायद इस खबर में सुशील मोदी
की जगह विपंक्ष का कोई भी नेता रहता है या कही लालू प्रसाद होते तो आज पूरे देश के मीडिया में पहले खबर भजने की होड़ मची रहती ।लेकिन ऐसा नही है इस खबर के बारे में सभी मीडिया हाउस को मालूम है लेकिन सभी ने अपना ईमान गिरवी रखने में परहेज नही किया।खबर ये है कि बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी बिहार में बाध के सरक्षंण को लेकर बाल्मिकीनगर जंगल के दौरे पर गये थे। दो दिनो तक इसको लेकर विशेष अभियान चलाया गया जोरदार कभरेज मिले इसके लिए पत्रकारओ की एक पूरी फौज को वहां पर ठहराने और रहने की विशेष व्यवस्था की गयी थी।भले ही खबर प्रथम पृष्ठ पर नही छपी लेकिन खबर आयी थी।अब इस खबर के पीछे की खबर जान ले याद करिए बाहुवलि शाहाबुद्दीन का वो जवाना जब उसकी तुती बोलती थी। उस वक्त इंडिया टू़डे ने एक कभर स्टोरी छापी थी जिसमें हीरण को मारकर जश्न मनाते हुए शहाबुद्दीन की तस्वीर छपी थी। जिसके आधार पर शहाबुद्दीन सहित कई लोगो पर मुकदमा भी दर्ज हुआ था, यही सुशील मोदी इस तस्वीर को लेकर बड़े बवेला मचाये थे पशु सरंक्षण लेकर कई तरह की दलीले देकर तत्तकालिन राजद सरकार को कठघरे में खड़े किये और पूरे देश के पशु सरंक्षक और पर्यावरणविद इसको लेकर आवाज उठाये थे।अब जरा तस्वीर का दूसरा रुप देखिए शहाबद्दीन हीरण को मार कर जिस समय जस्न माना रहा था उस समय के फोटो को गौर से देखे और लाल लकीर से जिस व्यक्ति का चेहरा घेरा है उसको देखे। उसके बारे में कुछ कहने की जरुरत नही है शहाबुद्दीन के इतने करीब रहने वाला भगत सिंह तो नही ही हो सकता है। उस लड़के पर आरोप था कि जिस समय शहाबुद्दीन अपने कुनवे के साथ हीरण का शिकार करने बल्मिकीनगर जंगल गया था उस वक्त यही लड़का गाड़ी चला रहा था। आज देखिए जब सुशील मोदी बाल्मिकीनगर बाघ के सरंक्षण के लिए पहुंचे है तो यही लड़का जो आज न्याज हसन डांन के नाम से चर्चित है मोदी का ड्रायवरी कर रहा है।ये संयोग नही हो सकता क्यो कि ड्रायविंग सीट पर कोई खास आदमी ही बैंठ सकता है वह भी तब जब सूबे के उप मुख्यमंत्री को बगल के सीट पर बैठना हो।मोदी या उनके जानने वालो का यादास्त भले ही कमजोर हो गयी लेकिन उन वन अधिकारियो और पुलिस अधिकारियो पर क्या गुजरा होगा जब न्याज हसन को बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के इतना करीब देखा होगा। जिस पर न जाने कितने बाघ और हीरण मारने के आरोप लगते रहे है क्या यही सुशासन है इसी को कानून राज्य कहते हैं।

सोमवार, नवंबर 05, 2012

सिस्टम ने मुझे कायर बना दिया

वर्षो बाद किसी बड़े इभेंन्ट में मैं दर्शक की भूमिका में चैनल बदल कर जानकारी ले रहा था मैं बीते कल की बात कर रहा हूं। एक और पटना के गांधी मैंदान में नीतीश कुमार बिहारी अस्मिता के बहाने बिहार की राजनीत की नीति और नियति बदलने में लगे हुए थे। तो दूसरी तरफ कांग्रेस एफडीआई के बहाने अपने आपको स्थापित करने की कोशिस कर रहा था।रैली में कितने लोग जुटे और कैसे जुटे इस पर बहस कि कोई जरुरत नही है लेकिन इन दोनो रैली में कुछ बाते ऐसे हुई जिस पर सोचने की जरुरत है।एक और राहुल गांधी का भाषण जिसको लोगो ने बेहद मजाकिया अंदाज में लिया, किसी ने कहा भाषण के दौरान राहुल ऐसे बोल रहे थे जैसे कि कोई विरोधी दल का नेता बोल रहा है। किसी ने कहा इसके लिए तो उनका ही परिवार जिम्मेवार है सब कुछ सही है। लेकिन राहुल ने आखिर कहा क्या --- आमलोग और कमजोर आदमी के लिए राजनीतिक सिस्टम बंद है,राजनैतिक पार्टियो में आम लोगो के लिए दरवाजा बंद है,आम आदमी सपना देखते है और राजनैतिक सिस्टम उसे ठोकर मार कर गिरा देता है। ऐसे कई सवाल उन्होने वर्तमान राजनैतिक हलात के बारे में खुलकर रखा शायद राहुल के सवाल का बेहतर जबाव आज की व्यवस्था में जहां कही भी किसी भी तरह के संस्थानो में काम करने वाले लोग बेहतर दे सकते है।इस तरह के सवाल से आज हर यूथ जुझ रहा है चाहे वह किसी बड़ी कम्पनी का मालिक ही क्यो न हो । राहुल के उदगार को हलके से न ले देश आज इसी हलात से गुजर रहा है। और दूसरी बड़ी बात राहुल की कौन कहे आज इंदिरा गांधी ही क्यो नही रहती जितना विवश राहुल है उससे कम विविश वो भी नही रहती है। आज कोई भी संस्थान हो उसमें आम आदमी का प्रवेश और आम लोगो के लिए काम करना और ईमानदारी के साथ काम करना कितना मुश्किल है वह कोई काम करने वाला ही बेहतर बता सकता है। हमलोग वैसे प्रतिक्रिया व्यक्त करते है जैसे पवेलिएन में बैंठे दर्शक सचिन को स्टेन की बाहर जाती गेंद पर विकेट गवाने पर व्यक्त करते है शायद दर्शक को पता नही है एक अदना स्टेन को भी खेलना कितना मुश्किल है।
अब बात करते है बिहार के मिस्टर किलिंन नीतीश कुमार की कल बड़े जोरदार तरीके से विशेष राज्य को लेकर रैली बुलायी और मीडिया ने जो लिखा है और जो दिखाने की कोशिस किया है उससे लगता है कि ऐसी ऐतिहासिक रैली पहले कभी नही हुई है। कई तरह की बाते लिखी गयी और चैनलो पर बहस भी हुई रैली में आये लोग बेहद अनुशासित थे। तो किसी ने कहा कि इस रैली से नीतीश को एक अलग पहचान देश स्तर पर मिला है।जिसको जो हुआ कहा और लिखा और मीडिया वाले मान्य तरीके के तहत रैली की घोषणा के दिन से ही बार गर्ल के डांन्स, बाहुबलियो की नौंटकी ,रैली के नाम पर चंदा उगाही या फिर रैली में आये लोग कहा उत्पात मचा रहे है ऐसी खबरो में ही अपना दिन बिता दिये।लेकिन किसी ने ये सवाल नही उठाया कि भ्रष्टाचार को लेकर बड़ी बड़ी बाते करने वाले नीतीश कुमार की पार्टी रैली के सफल आयोजन के लिए पचास करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कंहा से किया यह पैसा कहा से आया क्या इस तरह के पैसे देने वाले किसकी हकमारी करके पैसा दिया होगा आम आदमी का ---
जरा नीतीश कुमार से पुछुए लखनुउ से जो साउन्ड सिस्टम आया था उसकी राशी किसने दिया ऐसे कई सवाल है, तमाम मंत्री के यहां विभाग के अधिकारी व्यवस्था करने में लगे हुए थे जिस पार्टी के 80 प्रतिशत विधायक की आय वेतन के अलावा एक लाख भी नही है वो एक दिन में हजारो लोगो के रहने खाने का व्यवस्था कहा से किया ।.ये सही है लालू की रैली की तरह थाना या बीडियो से पैसा की उगाही नही की गयी लेकिन खर्च तो हुए और ये खर्च भी कही न कही से आम आदमी के हकमारी करके ही किया गया है। चाहे वो कोई डीएम एसपी या इनिजीनयर या व्यापारी ही क्यो न दिया हो ।ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि आज के सिस्टम में बने रहने के लिए पैसा बेहद जरुरी है और उसके लिए आपको अपनी बोली लगानी पड़ेगी नीतीश इससे अलग नही है। सिस्टम के खिलाफ गोलबंद होने की जरुरत है, राहुल, सोनिया मनमोहन या फिर  नीतीश, और नरेन्द्र मोदी जितने मजबूत दिखते है उससे कही अधिक कमजोर है और सिस्टम के गुलाम की तरह कार्य करते है।ये समझने की जरुरत है नही तो इसी तरह हमलोग गुस्से का इजहार करते रहेगे सरकार बदलती रहेगी ,लेकिन आम आदमी कमजोर और बिमार होता जायेगा ।सोचिए और अपने गुस्से को सही अंजाम तक पहुंचाने में मदद करिए। राहुल की आवाज एक निराश पीढी का आवाज है जो कुछ करने की इक्छा रखता है लेकिन सिस्टम के आगे विवश है उसके आवाज को गम्भीरता से लेने की जरुरत है।

सोमवार, सितंबर 10, 2012

मनमोहन सिंह जी फेसबुक पर और कुछ भी हो रहा है

  फेसबुक को लेकर इन दिनो काफी चर्चाये हो रही है,कहने वाले तो यहां तक कहने लगे है कि आने वाले समय में यह बेहद घातक हथियार के रुप में सामने आयेगा,असम मामले में हो या फिर अन्ना आन्दोलन हो या फिर कोई और मसला हो हर कोई अपने अपने तरीके से इस माध्यम का उपयोग कर रहा है। स्थिति यहां तक आ गयी है कि इस पर प्रतिबंध तक लगाने की बात कही जाने लगी है।इस मसले पर मैं अपने फेसबुक दोस्त से ही जानना चाहा सभी के अपने अपन
    े अनुभव रहे। लेकिन एक जो आम राय रही वह यह कि इस माध्यम का बेहतर इस्तमाल हो तो भारतीय समाज के कई बुराई से निजात पायी जा सकती है।तीन चार मित्रो का अनुभव आपके बीच रख रहा हूं एक दिन एक लड़की अपने कोर्स का मेटेरियल हमारे पोस्ट पर पोस्ट कर दी देखा तो सारा मेटेरियल पत्रकारिता के कोर्स से जुड़ा हुआ था। एक दिन रात में उससे बात करने का मौंका मिला पहले तो उसने साँरी बोली की यह पोस्ट किसी और को करना था लेकिन आपके पोस्ट पर चला गया। फिर बात बढने लगा वे भोपाल से पत्रकारिता में स्नातक कर रही थी ।
    पत्रकारिता के बारे में बात होने लगी और यह सिलसिला दो तीन माह तक लगातार जारी रहा एक दिन उसका मैसेज आया कहां है आपसे से जरुरी बात करनी है। उस वक्त में आंन लाईन नही था लगभग छह सात घंटे बाद उसका मैंसेज देखा जैसे ही मैं आंन लाईन हुआ लगा जैसे इन्तजार ही कर रही थी।
    जरा आप भी जानिए उसे क्या हुआ था उसके पिता जी और भाई आज होस्टल आये हुआ थे, भाई ने बोला कि अब तुम्हारी पढाई पूरी हो गयी और अब लौटो घर शादी विवाह करनी है ।आरजु विनती करती रही लेकिन घर वाले नही माने कल उसे हांस्टल छोड़ना पड़ेगा। लगभग दो घंटे तक बातचीत होती रही इस दौरान स्त्री पुरुष के बीच रिश्ते को लेकर चर्चाये हुई अंत में फैसला हुआ की पहले घर जाओ फिर इसके समाधान के बारे में विचार किया जायेगा।दो दिन बाद उसका नाम फ्रेंड लिस्ट से गायब देखा थोड़ा घबराया क्या हुआ उसके साथ। लगभग 15दिनो के बाद एक अनजान यूजर चेंट पर आया और बोली मैं स्मिता हूं अरे कहां हो, सर जी आपका टिप्स काम कर गया मेरा भाई आज मान गया कल में पीजी में नामंकन के लिए भोपाल जा रही हूं।आपने जो सलाह दिया था उसी के अनुसार पहले मैंने अपने भाई को कांलेज के बारे में समझाया लड़को के साथ दोस्ती के बारे में बताया फेसबुक और मोबाईल फोन का नम्बर उसके सामने हटा दिया और कहा तुम्हारे इज्जत पर कभी दाग नही आने देगे।स्मिता के पूरे परिवार में स्मिता ही एक थी जो स्नातक पास किया था बड़ा भाई मेट्रिक के बाद पिता जी का बिजनेश सम्भाल रहा था और उसमें इतना लीन था कि दुनिया की कौन कहे आस पास की दुनिया के बारे में कोई जानकारी उसके पास नही था। ऐसे में कोई उसके बहन को लड़का फोन करे, घर छुट्टी में पहुंचे तो देर रात तक फेसबुक पर रहे। कोई मिडिल क्लास भाई यह सब कैसे स्वीकार कर सकता। खुशी है आज उसका पूरा परिवार उसके साथ है और पीजी कर रही है क्यो कि उसने पहले अपने भाई और पिता को विश्वास में लिया और आज वो मिशन में आगे बढ रही है।
    इस तरह के कई वाकई है एक वाकया तो ऐसा है कि देश के जाने माने कांलेज से पीजी कर रही रुची जिसके साथ कई माह से देश के सामाजिक और राजनैतिक हलातो पर बात होती रहती थी। एक दिन उसने बड़े धबरायी हुई मैंसेज दी रात दस बजे के बाद कुछ बाते करनी है जरुर आंन लाईन रहगे।बात शुरु हुई मेरी शादी होने वाली है आप तो शादी शुदा है,जरा बताये लड़के लड़कियो को किस नजरिए से देखता है, शादी के बारे में लड़के क्या सोचते है एक अनजान व्यक्ति के साथ शादी के बाद कमरे में बंद कर दिया जाता है और उसके बाद बलात्कार नही तो और क्या होता है मैने उसे एल एम वासम की प्राचीन भारत किताब पढने की सलाह दी जिसमें वेद में भारतीय शादी परम्परा के बारे में काफी विस्तार से लिखा गया है उसमें प्रेम विवाह की भी चर्चा है।इस तरह के कई और सवाल रुची से हुई और एक एक सावल पर घंटो बहस हुई। प्रेम विवाद और अरेंज मैंरेज को लेकर जोरदार बहस चली क्यो प्रेम विवाह असफल हो रहा है इस पर भी चर्चाये हुई ।तीन दिनो के बाद उसने कहा सर जी आपने सही कहा लड़के और लड़कियो, दोनो का स्वर्णीम काल शादी तय होने से पहले तक रहता है और उसके बाद बच्चो के सेटल होने के बाद। इस दौरान समझौता महत्वपूर्ण हो जाता है जिसके प्रति कभी लोग सोच भी नही पाता है इसलिए समझौता के काल में जितने बेहतर तरीके से अपने को बचाते हुए समझौता निभाते रहे आपका जीवन सुख मय रहेगा ।आज रुची अपने वैवाहिक जीवन के खुश है क्यो कि इस नये जीवन में उसे अभी तक कुछ ऐसा समझौता नही करना पड़ा है जिससे कि उसके होने का सवाल खड़ा हो। शादी के छह माह बाद भी वो आज भी अपनी फिलिंग शेयर करती है और उसका परिवारिक जीवन बेहतर तरीके से चल रहा है कहने का मतलब यह है कि फेसबूक या और जो साईट है उसके बेहतर इस्तमाल के कई सम्भावनाये है ।
    ऐसे भी अनुभव रहे है कि एक लड़का लड़की का फोटो लगाकर किसी से दोस्ती की और फसाते फसाते पाच लाख रुपये अधिक की ठगी कर ली हुआ यू कि पहले अपना मोबाईल नम्बर देकर रिजार्ज करवाना शुरु किया और उसके बाद बात होने लगी और जैसै जैसे वह फसता गया उससे अपने बैंक खाते में पैसा भी डलवाने लगा इसके लिए लड़के ने चाईनिंज मोबाईल का उपयोग किया करता था जिसमें लड़के के आवाज को लड़की के आवाज में बदल देता है ऐसा भी वाकिया मेरे जानकारी में है।
   

शनिवार, अगस्त 25, 2012

इस रिश्ते को क्या नाम दू

कल शाम दिल्ली से सुशांत का फोन आया था संतोष भाई रवि सुसाईट की कोशिस किया है।खबरो के साथ खेलना तो रोज का हमलोगो का धंधा ही है लेकिन इस खबर ने चंद मिनट के लिए होश उड़ा दिया जब तक सम्भल पाते उसने सारी स्टोरी बता दी ।अभी अभी अपोलो से वापस तीन दिन बाद लौटा है। मैने पुछा पत्नी से कुछ हुआ था क्या पता नही क्या हुआ पूरा परिवार चुप है ।कोई कुछ नही बोल रहा है तरुणा से बात किये क्या हो सकता है उसे पता हो ,नही वो तो मोबाईल ही नही उठा रही है लगता है देश से बाहर गयी हुई है।ठिक है घर पहुंच कर बात करते है।रात आठ बजे के करीब फोन दिया रिंग हो रहा था कोई रिसपोन्स नही लगातार तीन चार बार रिंग किया लेकिन मोबाईल नही उठा,अंत में बेसफोन पर लगाया अंतिम रिंग होते होते स्वाति रवि की पत्नी ने फोन उठायी।भारी मन से बोली रवि बाथरुम में है निकलता है तो फिर बात कर लेगा और कुछ बात कर पाते उससे पहले फोन रख दी। रवि के फोन का इन्तजार करता रहा लेकिन रात के दस बजे तक कोई फोन नही आया इस बीच तरुणा को भी कई बार फोन किया लेकिन उसका भी कोई जबाव नही आया।लगभग 11बजे मेरे मोबाईल की घंटी बजी मेने देखा रवि का कांल है तुरंत उठाया अरे क्या सून रहे सही बात है इतना कहना था कि फफक फफक कर रोने लगा साले इतने तू बुजदिल हो क्या स्वाति से कुछ हुआ क्या नही ऐसा नही है। मुझसे इतनी बड़ी गलती हो गयी है कि मैं अपने आपको फेस नही कर पा रहा हूं, ऐसा क्या हो गया मैंने तरुणा के साथ जबरदस्ती किया हूं अरे साले क्या बोल रहे हो हैं क्या हुआ पता नही मेरे अंदर कौन का जानवर जागृत हो।
तुरुणा मैं और रवि तीनो साथ साथ दिल्ली विश्व विधालय में पढता था।कांलेज में जब हमलोग पहले दिन पहुंचे तो लगा कि किस दुनिया में आ गये है। लड़कियो की कौन कहे लड़को का रंग ढंग गजब का था।मैं ही तीन लोग थे जो शुद्ध देहाती लग रहे थे।सिर में तेल समान्य पेट शर्ट और हाथ में किताब का साधारण बैंग।क्लास में पहुंचे तो संयोग से हम तीने बैंठ भी एक साथ पूरे क्लास से अलग बीच वाले डेक्स पर पहली मुलाकात में ही हमलोगो की दोस्ती हो गयी ।और यह दोस्ती पाच वर्षो तक लगातार जारी रहा सम्बन्ध इतने धनिष्ठ हो गये कि उसके परिवार वाले भी तय नही कर पा रहे थे कि तरुणा शादी किससे करेगी।कई बार उसके परिवार वाले इशारे इशारे में पूछते भी थे तो हम लोगो का जबाव रहता था ऐसा कुछ नही है।बाद में मेरी शादी हो गयी और उसके बाद रवि की भी शादी हो गयी फिर सभी दोस्त तुरुणा के शादी में एक साथ मिले सभी लोग परिवार के साथ एक ही होटल में ठहरे हुए थे। शादी के कल होकर मैं और मेरी पत्नी ,रवि और उसकी पत्नी एक साथ खाना के टेबल पर मिले सारी रात शादी में जगे रहने के कारण थोड़ा थका थका सा महसूस कर रहा था खाने का कुछ ओर्डर दिया जाता इससे पहले रवि की पत्नी बड़ी ही मजाकिये लहजा में बोली कैसा महसूस हो रहा है तरुणा तो आज किसी और की हो गयी दोनो मित्र एक साथ बोल पड़े क्यो महसूस क्या होना है हमलोगो का पूरा आशिर्वाद उसके साथ है कैसा रिश्ता है मेरे समझ में नही आ रहा है लेकिन दोनो महिलाओ की चेहरे पर जो भाव दिख रहा था उससे लगा रहा था कि रवि के जबाव से दोनो सहमत नही है फिर बात शुरु हुई तरुणा नाम के जैसे हमेशा तरुण ही दिखती रहती थी ऐसा ड्रेस कमबिनेसन रहता था कि सीधे सीधे उस पर नजर नही खीचती थी कभी हम लोगो ने मेकेप में उसे नही देखा कभी भी बिना दोपट्टा को उसको कभी नही देखा उसके घर पर भी गये तो कभी हाई फाई ड्रेस में नही देखा पंजाबी लड़की हाईट 5फिट 7इंच रंग विशुद्ध गोरा लेकिन चेहरे पर कभी लटका झतटा नही देखा गम्भीर बातो में शालिनता और किसी भी मसले पर खुल कर बात करना उसकी आदत थी कई बार कांलेज टूर में रात भर साथ रहने का मौका मिला साथ घूमने टहलने घंटे बात करने का भी मौंका मिला ,लेकिन कभी उसके बारे में उस तरह का खयाल नही आया। कई बार बातचीत के दौरान काफी करीब भी आये लेकिन मन में कभी भी बूरा ख्याल नही आया आज उसकी शादी हो गयी है तो थोड़ा जलन हो रहा है। इस बात का कि जिस तरीके से तुम लोगो को तुऱुणा से कोई परहेज नही था मजाकिया लहजे में जो कह देते थे। लेकिन इसको  लेकर कभी घर में विवाद नही हुआ काश उसका पति भी ऐसे ही खलायात के हो।बात चल ही रहा था कि तरुणा अपने पति के साथ होटल पहुंच गयी सामने देखा तो होश उड़ गया अरे यही तरुणा है आज उसके सामने बड़ी से बड़ी हीरोईन भी फिका लग रही थी।कुछ देर साथ रही और उसके बाद अपने पति के साथ चली गयी।संयोग ऐसा हुआ कि बाद में रवि और तरुणा दोनों एक ही एनजीओ को लिए काम करने लगे और बराबरा उन लोगो के बीच मुलाकात होने लगी पता नही अचानक क्या हुआ जो रवि ने 15वर्षो के सम्बन्ध को दागदार कर दिया।
काफी कुरदने के बाद रवि ने बोलना शुरु किया देखो ने पिछले तीन माह से मैं राजस्थान में काम कर रहा था दिल्ली लौटने पर तुरुणा को फोन किया दिल्ली पहुंच गये है कुछ एसाईनमेंट है उस पर बात करनी है वह जब पहुंचे तो में हक्का बक्का रह गया इतना भड़किला ड्रेस पहन कर वो आयी थी कि उससे बात ही नही कर पा रहे थे काफी कोशिस के बाद बी सहज नही हो पा रहे था आखिर में मीडिग को मैंने रद्द कर दिया और कल मिलने की बात तय कर वापस डेरा चला आया लेकिन बड़ी कोशिस के बावजूद सहज नही हो पा रहा था सुबह खुद तरुणा फोन की डेरा पर आ जाये मुझे पता नही था कि स्वाति आज सुबह ही घर से निकल गयी है मैंने हां कह दिया लेकिन उसके आने के बाद जो नही होना था वह हो गया और इसके लिए मैं अपने आपको माफ नही कर पा रहा हूं आखिर इतने पढाई लिखाई और विचार के बाबजूद मनुष्यो में कब पसुता जग जाये कहना मुश्किल है इसी कारण मैं बेहद परेशान है क्या स्वाति को पता चल गया है हां मैंने बता दिया है तो फिर सोसाईड की कोशिस क्यो किया, जो सहयोग स्वाति से मिलनी चाहिए थी वह नही मिला और 15वर्षो के दोस्ती को उसने शाररिक रिश्तो पर आधारित दोस्ती की संज्ञा देकर ऐसे ऐसे बाते बोली जिसका जबाव नही था मेरे पास।
तुरुणा के साथ बने इस नये रिश्ते को लेकर भले ही रवि को आज पशुता तक की संज्ञा ग्रहण करनी पड़ रही है,हो सकता है इस फेज से मैं भी गुजर सकता हूं आप भी गुजर सकते है लेकिन इसका समाधान क्या हो ।

शनिवार, अगस्त 11, 2012

नीतीश कुमार और नरेन्द्र मोदी के बहाने मीडिया समाज को डिंकटेट कर रही है

पिछले कुछ वर्षो से मीडिया में एक फोबिया देखने को मिल रहा है इसको लेकर कई बार चर्चाये भी हुई आखिर इस फोबिया का कारण क्या है। भाई नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बन गया तो लगता है इस देश में क्या हो जायेगा।पता नही इसको लेकर मीडिया मैं इतनी बैचेनी क्यो है। कल जब दफ्तर पहुंचा तो मोहन भागवत के बयान पर बबेला मचा हुआ था सीएम से प्रतिक्रिया लिजिए जितने भी राजनैतिक दल है उसके बड़े नेताओ की जितनी जल्दी हो प्रतिक्रया चाहिए।राजनीति मेरा प्रिय विषय नही रहा है लेकिन राजनैतिक गतिविधियो पर नजर रखते है और राजनैतिक हलात पर सोचते भी है ।मुझे तरस आती है उन बड़े पत्रकारो पर जिनके राजनैतिक समझ के काऱण मीडिया में पहचान है, कैसे नीतीश कुमार को वे पीएम के रेस में मानते है। सीएम के गतिविधियो को मैं भी एक वर्षो से लगातार करीब से देख रहा हूं मुझे तो नही लगता कि नीतीश कुमार इतने बेवकूफ है ।उन्हे अपनी मंजिल और लक्ष्य के बारे में पूरी समझ है और वे जानते है कि उनकी राजनीत अभी आने वाले 2014तक ढलान पर आने वाले नही है।कई बार मीडिया में इन्होने पीएम की बात खारिज भी कर दिये है फिर भी चर्चाये बंद होने का नाम नही ले रहा है ।कल तो हाईट हो गया चीख चीख कर सुशासन की धज्जिया उड़ने वाले टीवी चैनल भी मोहन भागवत के बायन को प्रमुखता से दिखा रहा था जैसे अमेरिका के राष्ट्रपति ने नीतीश की तारिफ कर दिया हो। इससे पहले भी नीतीश के सुशासन की तारीफ करते रहे है लेकिन इस तरह के न्यूज डस्टबिन में फेक दिये जाते थे। लेकिन कल की खबर नीतीश की जय वाली थी लगता है । मीडिया इस वक्त दो गेम खेल रहा है एक तो नरेन्द्र मोदी को नीतीश के बहाने गुजरात से बाहर आने से रोकना और इसके लिए तरह तरह का हथाकंडा अजमा रहे है।आडवाणी जी के ब्लांग को ही ले उन्होने लिखा क्या उसको दिखाया क्या गया । वही बात मोहन भागवत को लेकर चल रहा है विदेशी मीडिया को भागवत ने क्या कहा उसको किस अंदाज में चलाया जा रहा है ।इसका सीधा मतलब तो यही ही है कि मीडिया अब समाज को एजुकेंट करने के बजाय डिकटेंट करने में लग गया है। जनाव बचिए इस प्रवृति से।प्रधानमंत्री तय करने की जिम्मेवारी भारत की जनता का है मीडिया हाउस का नही ऐसा न हो फिर एक बार भ्रम टूट जाये