देशी मछली देशी मुर्गा और विदेशी वियर के सहारे निरुपमा मामले में आँनर किलिंग प्रमाणित करने को लेकर कोडरमा के सेन्ट्रल एसक्वायर होटल में ठहरे मीडियाकर्मीयो के लिए बुरी खबर हैं।
प्रियभांशु और मीडिया के टारगेट नम्बर एक निरुपमा के मामा और चाचा के विरुध कोडरमा पुलिस को कोई साक्ष्य नही मिला हैं।यू कहे तो इन लोगो के पास ऐसे अकाट्य साक्ष्य हैं जिसको पुलिस नजरअंदाज नही कर सकती।पिछले 24घंटे से निरुपमा के माम और चाचा के साथ पुछताछ में जो तथ्य सामने आये हैं उसके अनुसार दोनो को सूचना निरुपमा की माँ ने मोबाईल पर दी थी।कोडरमा पुलिस को उम्मीद थी की मोबाईल के टावर लोकेसन से पूरे मामले को उदभेदन हो जायेगा।
लेकिन मोबाईल के टावर का लोकेसन बिहार के बाढ से मामा का शुरु होता हैं और निरुपमा के दोनो भाई के मोबाईल का टावर लोकेसन मुबंई और बगलुरु दिखा रहा हैं।इसी तरह चाचा के मोबाईल का लोकेसन बिहार का गया दिखा रहा हैं।कोडरमा पुलिस की एक टीम मुबंई गयी थी और एक टीम उत्तर प्रदेश के गोंडा गयी हुई थी जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया हैं कि निरुपमा के पिता और भाई दोनो अपने आफिस में घटना के दिन मौंजूद थे।
अब सवाल यह उठता हैं कि निरुपमा के घर में सारे रिश्तेदार को जोड़े तो पाच पुरुष उसके परिवार में हैं जो सभी के सभी घटना के दिन कोडरमा में नही हैं।तो फिर किसने निरुपमा की हत्या की, क्या 55वर्ष की बिमार मां अकेले निरुपमा की हत्या कर दी।इस सवाल के सामने आने के बाद कोडरमा पुलिस की नींद हराम हैं कि अगर निरुपमा की हत्या हुई तो इसको अंजाम किसने दिया।
लेकिन इस मामले का जो सबसे मजबूत पहलु हैं वह हैं डाक्टरो का विरोधाभासी बयान। जब डांक्टर यहा तक कह रहे हैं कि मुझे पोस्टमार्टम करने के बारे में जानकारी नही थी और पहली बार पोस्टमार्टम कर रहा था और मामला हाई प्रोफाईल होने के कारण जल्दी से जल्दी पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने के हरबरी में कई साक्ष्यो छुट कहे।जब डांक्टर यहां तक स्वीकार कर रहे हैं तो ये भी तो हो सकता हैं कि इन्होने आत्महत्या और हत्या को लेकर जो साक्ष्य बर्डी में रहता हैं उसका आकलन सही नही कर पाये।
जिसके कारण इन्होने आत्महत्या को हत्या करार कर दिया जिसकी सम्भावना अब अधिक दिख रही हैं।मामला जो भी हो लेकिन कोडरमा पुलिस को पूरी सावधानी से मामले की जांच करनी होगी। क्यो कि एक पंक्ष जो मामले को हत्या साबित करने में लगा हैं औऱ उसमें कुछ हद तक कामयाब भी रहा हैं उसके प्रभाव से कोडरमा पुलिस को मुक्त होने की जरुरत हैं।
इस पूरे प्रकरण का सबसे दुखद पहलु यह हैं कि कोडरमा में जुटे मीडिया के कर्णधार यह सब जानने के बाद भी खामोस हैं क्यो कि इन तथ्यो को दिखाने के बाद उनकी आँनर किलिंग की थियूरी फलोप कर जायेगी।
इस मामले में जैसे जैसे जानकारी सामने आती रहेगी मेरा प्रयास होगा कि उसे आपके पास शीघ्र से शीघ्र से पहुंचाये।मेरी पूरी कोशिश हैं कि इस मामले का पूरी तौर पर उदभेदन हो औऱ इसमें शामिल अपराधी चाहे वो कितना भी बड़ा क्यो न हो उसे सजा जरुर मिलनी चाहिए-
143. अरविंद घोष
17 घंटे पहले
29 टिप्पणियां:
वाह संतोष जी ,
बस सच को इसी तरह सामने लाते रहिए ।
बहुत अच्छी रिपोर्टिंग संतोष जी। कई दिनॊं से तरह-तरह के पोस्ट पढ रहा था। कहीं टिप्पणी नहीं दी। आज आपका पोस्ट पढ़ कर लगा कि आप निष्पक्ष रिपोर्ट दे रहे हैं।
इसी को पत्रकारिता कहते हैं संतोष जी. कृपया तथ्यों से अवगत कराते रहे.
पंकज झा.
बहुत खूब, हकीकत से परे मीडिया के काँव काँव करने वाले कौवों के लिए नि संदेह बुरी खबर होगी लेकिन एक बेटी को खोने वाले बाप और माँ के सामाजिक जहालत के लिए जिम्मेदार मिडिया से इतर थोड़ी रहत कि बात होगी,
आपके इस पोस्ट को मैं अपने ब्लॉग पर चस्पा दे रहा हूँ.
सच को सामने लाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !!
बहुत बढ़िया…
दिल्ली के मीडियाई कौए निराश होंगे इसे पढ़कर… लेकिन आप सच को सामने लाते रहिये…
(एक निवेदन है - इस पोस्ट में लाश की फ़ोटो की कोई आवश्यकता नहीं है, यदि सम्भव हो उसे हटा लें)
इस मुद्दे पर बहुत बहस पढ़ चुकी हूँ ....पर यहाँ आकर आपकी निष्पक्ष रिपोर्ट पढ़कर बहुत अच्छा लगा.
संतोष जी ,
अभी अभी पता चला है कि कोडरमा कोर्ट ने उस प्रियभांशु के खिलाफ़ बलात्कार और धोखाधडी का मुकदमा दर्ज़ करने का आदेश दे दिया है । अब देखा जाए कितनी दलीलें देता है पट्ठा ।
आगे परिणाम जो भी आयें जांच के, मगर अगर यह साबित हो गया कि निरुपमा ने आत्महत्या ही की है तो एक लाइन और जोड़ना चाहूँगा कि साथ में इन कुछ ब्लोगर मित्रों, जिन्होंने पिछले कुछ दिनों में यहाँ ब्लॉग जगत में बिना सोचे समझे, निरुपमा के माता-पिता को बुरा-भला कहते हुए दुनियाभर के घडियाली आंसू बहाए , इनके उन आशुओ का क्या होगा ?
गोदियाल जी से सहमत / ऐसे आत्महत्या के पीछे माँ-बाप नहीं बल्कि सामाजिक साजिशें और असामाजिक आचरण का हाथ होता है / जाँच उस दिशा में भी होनी चाहिए /
इन्को भी सज़ा मिले जिन्होने पूरे परिवार के साथ भद्दा और भोडा खिलवाड किया .
सच बहुत कडवा होता है।
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पड़ोसी की गई क्या?
गूगल आपका एकाउंट डिसेबल कर दे तो आप क्या करोगे?
सच जैसा भी हो वह सामने आना ही चाहिए।
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 08.05.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/
शाबास संतोष! (जी)
आपकी बेबाक और निष्पक्ष - निर्भीक रिपोर्टिंग को इसके अलावा कोई टिप्पणी सूट नहीं करेगी मेरी नज़र में, और इसीलिए एक बार फिर शाबास!
लगे रहिए, जारी रहिए…!
और हाँ! सुरेश चिपलुनकर जी की बात का मैं भी समर्थन करता हूँ। इस फ़ोटो की ज़रूरत नहीं है।
गोदियाल जी की टिप्पणी से हम भी सहमत |
मिडिया अपने आप को क्यों जांच एजेंसी समझ लेता ? इस तरह के झुंटे आकलन लगाकर खबरों की सुर्खियाँ बनाने वालों के खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए |
(एक निवेदन है - इस पोस्ट में लाश की फ़ोटो की कोई आवश्यकता नहीं है, यदि सम्भव हो उसे हटा लें)
Breaking news ke chakkar me media maharathi fir muh ke bal jaa gire
इस से पहले जागो हिदु..ने भी यही मुद्दा उठाया था कि मीडीया एक ही पक्ष को लेकर शोर मचा रहा था.उन माता पिता कि बात को कोई सुन ने को तैयार हि नही थे....बढिया पत्रकारिता..बधाई
सही तथ्यों को बयां करती हुई रिपोर्ट ...
आपका आभार की आपने सही बात बताई..
इस फ़ोटो की ज़रूरत नहीं है।
चलो मान भी ले कि ये आत्महत्या हे लेकिन उसे आत्महत्या भी क्यो करनी पडी सवाल ये हे और जरुरी थोडे ही हे कि किसी कि हत्या के लिए मोके पर होना किसी से करवायी भी तो जा सकती हे
धारा के विपरीत जाकर सच को सामने लाना पत्रकारिता का उसूल होना चाहिए ...
बहुत आभार ...!!
संतोष जी, आप अपना पत्रकारिता धर्म निभा रहे हैं. यह जानकार संतोष हुआ.
धारा के विपरीत जाकर सच को सामने लाना पत्रकारिता का उसूल होना चाहिए ...
Vani ji se sehmat.
Dear Santosh K singh..
excellent comment, wish a meeting with you, if u stay in delhi, feel free to contact me at dhannish@gmail.com to exhange number, rgds-Dhananjay K Jha
sir jee but there was a DANGEROUS SITUATION THAT TOOK THE LIFE OF A INNOCENT GIRL .. SUICIDE OR MURDER BOTH ARE NOT TOLERABLE.AND ALL THE CRIMINAL OF NIRUPAMA'S DEMISE ARE OUT OF THE HAND OF LAW
JAI HO
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