निरुपमा मामले में मीडिया की बैचनी समझ से पड़े हैं पिछले चार दिनो से रांची से लेकर दिल्ली तक इस मामले में मीडिया की जो भूमिका रही हैं उसे यू कहे तो मीडियाकर्मियो ने सारी ऐथिक्स को ताख पर रख दिया हैं।मैं शुरु से ही इस मामले को लेकर लिख रहा हू कि थोड़ा धैर्य रखे सच पूरी तौर पर सामने आने वाली हैं।ऐसा कुछ मत करे जो कल होकर आप सबो को चेहरा छुपाना पड़े।
1-18मई को टाईम्स आँफ इंडिया ने डीजीपी के हवाले से प्रथम पेज पर खबर छापी जो निरुपमा की हत्या हुई हैं।सुबह अखवार में खबर छपते ही रांची में पदस्थापित चैनल के पत्रकारो की जमकर कलास लग गयी आनन फानन में उसी खबर के आधार पर कई चैनल ने खबर भी चला दी।शाम चार बजे डीजीपी से मीडिया वालो की बात हुई और उन्होने पाच बने मिलने का समय दिया।मीडियाकर्मियो के पहुंचते ही डीजीपी भड़क गये बोले जब मेरे पास फौरेन्सिक रिपोर्ट आयी ही नही हैं तो फिर मेरे हवाले से आप लोगो ने खबर कैसे चला दी।उसके बाद इन्होने जो बाईट दिया उसमें उसने कहा कि अभी तक फौरेन्सिंक जांच पूरी नही हुई हैं और इस मामले में पुलिस एक एक बिन्दु पर जांच कर रही हैं।हत्या या आत्महत्या को लेकर पुलिस अभी किसी ठोस नतीजे पर नही पहुंची हैं लेकिन पूरे मामले में सबसे अहम सबूत सुसाईड नोट हैं जिसकी जांच देश के दो बड़े फौरेन्सिंक लैब से कराने का फैसला लिया गया हैं।लेकिन यह खबर किसी भी चैनल और अखवार वाले न तो छापा और ना ही दिखाया।
2-कोडरमा पुलिस के हवाले से एक खबर मीडिया के पास आयी कि 17मई को निरुपमा से जुड़े साक्ष्यो को फौरेन्सिंक जांच के लिए भेजा गया हैं तो फिर रिपोर्ट आने का सवाल कहा से उठता।हलाकि इस खबर को कुछ चैनल और अखबार वालो ने झापा भी लेकिन इसके लिए स्थानीय पत्रकारो को काफी जोर लगानी पड़ी।
3-19मई को फिर हिन्दुस्तान दैनिक के मुख्यपृष्ठ पर खबर छपती हैं कि 18मई को फौरेन्सिंक रिपोर्ट डीजीपी को मिला जिसमें निरुपमा के हत्या की बाते सामने आयी हैं।अब आप ही बताये एक दिन पहले टाईम्स आंफ इंडिया खबर छापती हैं कि डीजीपी को रिपोर्ट मिली वही और उसमें हत्या की पुष्टी हुई हैं।आखिर दोनो में कौन सही लिख रहे हैं।
4-20मई को आज फिर हिन्दुस्तान के प्रथम पेज पर खबर छपी हैं।निरुपमा के मोबाईल का कांल डिटेस्लस मिला परिवार को कोडरमा से बाहर जाने पर पुलिस ने लगायी रोक। इस मसले पर जब निरुपमा के भाई से बात हुई तो उसने कहा कि अखबार से ही मालूम हुआ हैं। पुलिस की और से कोई सूचना हमलोगो को नही दी गयी हैं वैसे भी जब तक मामले का खुलासा नही होता हैं पूरा परिवार कोडरमा से बाहर जाने के बारे में सोच भी नही रहा हैं।सीबीआई जांच को लेकर दिल्ली में जो हाई तौबा मचायी जा रही हैं उसमें मेरे सहयोग की जरुरत हो तो मैं भी पूरे मामले की सीबीआई जांच कराना चाहता हू।मीडिया के बन्धुओ से मेरा नम्र निवेदन हैं कि मैं भी इसी देश का नागरिक हूं और मुझे भी अपनी बात रखने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं कृप्या एक पंक्षीय खबर प्रकाशित कर और मानसिक प्रताड़ना न दे।
5-पुलिस रिमांड में निरुपमा की माँ ने कई चौकाने वाले तथ्यो से पुलिस को अवगत कराया हैं।पुछताछ में शामिल एक आलाधिकारी ने बताया कि पूरे मामले उनकी माँ ने जो बाते कही हैं उससे पुलिस की मुश्किले और बढ गयी हैं।निरुपमा की माँ ने पुलिस को बतायी की इस बार जो दिल्ली से निरुपमा आयी थी तो काफी गुमसुम रहती थी कई बार बोलने पर कुछ बोलती थी।मै पिछले कई दिनो से बिमार था मुझे देखने के लिए ही वे आयी थी लेकिन उसकी स्थिति देख कर मैं खुद घबरा गयी थी।28तारीख की शाम किसी से अंग्रेजी में जोर जोर से बात कर रही थी और काफी गुस्से में थी मैं दौड़ कर उसके रुम में पहुंची तो देखा की वो रो रही थी और काफी गुस्से में थी, मैं पुछती रही क्या बात हैं बेटा तो कुछ बोल नही पा रही थी सिर्फ इतना ही बोली माँ मैं कही की नही रही उसके बाद मैने उसे काफी समझाया सुबह निरुपमा थोड़ी देर से उठी लेकिन चेहरे पर तनाव साफ दिख रहा था।मैं आठ बजे के करीब पूजा पर बैंठ गयी और पूजा खत्म होने के बाद जब प्रसाद लेकर निरुपमा के रुम में गई तो दरवाजा सटा हुआ था जैसे ही मैं धक्का दिया सामने पंखे से निरुपमा लटकी हुई थी। मैं दोड़ कर पलंग पर चढी और उसके गले में लगे फंदे को खोली निरुपमा पंलग पर गिर गयी मेरे चिल्लाने की आवाज सूनकर कई लोग अंदर आ चुके थे मैं दौड़कर सामने के बाथरुम मे जाकर पानी लायी और निरुपमा के चेहरे पर जोर जोर से मारने लगी उसी दौरान निरुपमा की कराह सूनने को मिला और उसके बाद आस परोस से आये लोगो ने मिलकर पार्वति निर्सिंग होम ले गया जहां डां0 उसे देखने के बाद मृत घोषित कर दिया।
6निरुपमा की मां से पुछताछ के बाद जो बाते सामने आयी उसके आधार पर पुलिस निरुपमा के परोसी से फिर पुछताछ की हैं जिसमें अभी तक पुलिस को कोई भी कनट्राडीकट्री बयान सामने नही आया हैं।
7अभी अभी यह जानकारी मिली हैं कि सोसाईड नोट को लेकर फौरेन्सिंक टीम प्रथम दृष्टया निरुपमा का लिखा हुआ माना हैं।और विशेष जांच के लिए कोलकोता और हैदरावाद भेजा जा रहा हैं।
145. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
20 घंटे पहले
4 टिप्पणियां:
इस देश की मीडिया जो सबको अकल देती फिरती है,इस मामले में इतनी बेवकूफ क्यों बन रही है। कुछ ऐसे लोग जो अपने अच्छे भविष्य की जुगाड़ में दिल्ली में प्रियभांशु के खैरख्वाहों के हाथो की कठपुतली बन रहे हैं। और एकपक्षीय खबरों को उनके संस्थान भी बिना खबरों की पड़ताल किए ऐसी खबरों को जगह दे रहे हैं। ऐसे में उन टीवी तैनलों और अखबारों की विश्सनीयता जनता की नजरों में गिरेगी ही , उठेगी नहीं । संतोष जी मैं आपकी दाद देता हूं। मीडिया से जुड़े होने के बावजूद आप इसके दुर्गुणों से बचे हैं। जरुरत है इस बात की पड़ताल की कि वहां कौन से लोग हैं जो दिल्ली में प्रियभांशु के खैरख्वाहों के हाथो की कठपुतली बने हुए हैं।
निरुपमा प्रकरण में मीडिया की सबसे ज्यादा संदेहास्पद भूमिका रही है, तथ्यों पर आधारित आपकी जानकारी हमें कई दृष्टिकोण से सोचने को मजबूर करती है. हम किसी को अपराधी नहीं बता सकते और किसी को निर्दोष भी जब तक पुरे मामले की सच्चाई का पता ना चल जाए.
बाकी आप पत्रकारिता की हड्कतें देख ही रहे हैं की या तो गुमनाम है या आँय बाँय बकने वाले प्रियभान्शु के वो मित्र जिनका न्याय से कोई लेना देना नहीं और पत्रकारिता के दोजख की नुमायीनदगी के पैरोकार.
सूचना और जानकारी निसंदेह तथ्यों पर है और हम भी आगे के परिणाम का इन्तजार कर रहे है,
आपको बेबाक लेखनी के लिए बधाई
aaaaaaaaaa
दिल्ली के हल्ला पार्टी की बात एक बार मान ली जाये कि " हत्या माँ ने की है या वह हत्या में शामिल रही है "
पुलिस के सामने अच्छे अच्छे अपराधी तक एक झटके में टूट कर सब कुछ उगल देते है तो अभी तक उसकी माँ भी उगल चुकी होती यदि ये हत्या होती | मेरी नजर में तो जो व्यक्ति पहली बार अपराध करता है वह सिर्फ एक आध घंटे में ही पुलिस के सामने टूट जाता है और सब कुछ उगल देता है |
लेकिन मिडिया की क्या कहें ? कभी पुलिस के हवाले से इसे हत्या की न्यूज़ चलाते है तो कभी जब पुलिस का वक्तव्य इनके खिलाफ आता है तो ये सी बी आई से जांच की मांग करने लग जाते है |मिडिया की नजर में पुलिस इस मामले को हत्या से जोडती है तो निष्पक्ष और आत्महत्या से जोडती है पक्षपाती | अब तो किसी खबर पर भरोसा ही नहीं कि क्या सच है क्या झुंट |
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