शनिवार, जून 26, 2010

निरुपमा मामला सुधा पाठक की जमानत याचिका खारिज


निरुपमा हत्याकांड मामले में कोडरमा की निचली अदालत ने निरुपमा की माँ सुधा पाठक की जमानत याचिका खारिज कर दी है।सुधा पाठक के वकील इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल करने की बात कहते हुए कोडरमा पुलिस पर कई गम्भीर आरोप लगाये है।वही एडीजे के कोर्ट में दस मिनट चली बहस के बाद न्यायलय ने सुधा पाठक की जमानत याचिका खारिज कर दी।सुधा पाठक के वकील ने न्यायलय के समंक्ष सोसाईड नोट और अन्य फौरेन्सिंग रिपोर्ट का हवाला देते हुए पुलिस द्वारा कोर्ट में पेश डायरी के आधार पर मामले को आत्महत्या करार दे रहे थे। वही सरकारी वकील ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ साथ आत्महत्या के लिए प्रेरित करने से सम्बन्धित प्रयाप्त साक्ष्य उपलब्ध होने की बात करते हुए जमानत याचिका का विरोध किया।


दोनो पंक्ष के सुनने के बाद न्यायलय ने सुधा पाठक की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।84पेज के पुलिस डायरी में पुलिस का अनुसंधान पूरी तौर पर आत्महत्या की तरफ बढता दिख रहा हैं,जिसमें पुलिस निरुपमा के आत्महत्या के लिए निरुपमा के परिवार वाले और प्रियभांशु को जबावदेह ठहराने का प्रयास करते दिख रहा है।इस बीच फौरेन्सिंक जांच रिपोर्ट में निरुपमा के लैपटांप से छेड़छाड़ की बात सामने आयी है वही प्रियभांशु के मोबाईल फोन के मैसेज बोक्स और कांल डिटेल्स से रहस्य पर से पर्दा उठने लगा है इसमें भी छेड़छाड़ की बाते सामने आ रही है।

प्रियभांशु पर निरुपमा के साथ शादी का झांसा देकर शाररिक सम्बन्ध बनाने,गर्भपात कराने को लेकर लगातार दबाव डालने और शादी की तारीख को लेकर प्रियभांशु द्वारा बहाना बनाने, जिसमें प्रियभांशु द्वारा बहन की शादी करने के बाद शादी करने की बात को पुलिस ने प्रमुखता से लिया है।पुलिस इस मामले में प्रियभांशु से शीघ्र पुछताछ करने जा रही है ।

कोडरमा पुलिस के आलाधिकारी की माने तो निरुपमा के परिवार वाले और प्रियभांशु पर, निरुपमा को आत्महत्या करने को लेकर प्रेरित करने से जुड़े साक्ष्यो के आधार पर पुलिस चार्जसीट करने पर विचार कर रही है।कांड का 90दिन 2अगस्त को पूर हो रहा है, उससे पहले पुलिस चार्जसीट दायर करने के लिए सारी प्रक्रिया को शीघ्र पूरा कर लेना चाह रही है।अगर हलात यही रहा तो प्रियभांशु की गिरफ्तारी भी हो सकती हैं।क्यो कि पुलिस को न्यायलय के आदेश पर प्रियभांशु पर दर्ज हत्या के मुकदमो पर भी फैसला लेना है,अगर केश धारा 306में सिद्द हो जाती हैं तो इसमें आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है लेकिन इसे साबित करना थोड़ मुश्किल जरुर है।

अगर जस्टीस फोर निरुपमा ग्रुप प्रियभांशु बचाओ ग्रुप की तरह काम नही करे तो निरुपमा के मौंत के लिए जिम्मेवार लोगो को सजा मिल सकती हैं।आगे आये और जस्टीस फांर निरुपमा के अभियान को आगे बढाये।

1 टिप्पणी:

Harish ने कहा…

झारखण्ड की एक अदालत ने 23 वर्षीया पत्रकार निरुपमा पाठक की मां सुधा पाठक को जमानत दे दी है।

निरुपमा को 29 अप्रैल को उनके घर में मृत पाया गया था। सुधा की गिरफ्तारी के बाद 90 दिन की तय अवधि में पुलिस के उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल न कर पाने के बाद उन्हें जमानत दे दी गई।

दिल्ली में रहने वाली निरुपमा को उनके कोडरमा के चित्रगुप्त नगर में रहस्यमय हालातों में मृत पाए जाने के बाद सुधा को तीन मई को गिरफ्तार कर लिया गया था।

सुधा पाठक के वकील अरुण मिश्रा ने मंगलवार को कोडरमा से आईएएनएस को फोन पर बताया, न्यायाधीश एन.के. अग्रवाल की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) अदालत ने सोमवार को सुधा पाठक को जमानत दे दी है क्योंकि पुलिस गिरफ्तारी के 90 दिनों के अंदर उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं कर सकी।