मंगलवार, नवंबर 25, 2008

बाटला हाउस से साध्वी प्रज्ञा तक का सफर- ब

पत्रकारिता के आज के दौङ में पुण्य प्रसून बाजपोयी एक विचार हैं इन दिनों अपने ब्लाग पर बाटला इनकांउटर और आर0एस0एस,विहीप,और साधुओं के आतंकवाद से जुङे होने के मामले पर कई अहम सवाल खङे किये हैं।ब्लांग पर उठाये गये सवालों पर आम लोग की प्रतिक्रिया को संकलित कर बायपेयी जी द्वारा आतंकवाद पर खङे किये सवाल का जबाव ढूढने का प्रायस किया गया हैं ।इस वहस में आप भी शामिल हो सकते हैं।और अपनी राय हमारे ब्लाग के माध्यम से प्रकाशित भी कर सकते हैं बाजपेयी जी चंद दिनों के अंदर आपने आतंकबाद के कई चेहरे पर काफी वारीकी से प्रकाश डाला हैं।लेकिन जितनी वारिकी आपने तथ्यों को परोसने में लगाया शायद आतंकवाद के कारणों पर उतनी वारीकी से प्रकाश डालने का प्रयास नही किया।ब्लागर पर लिख रहे हैं इसमें कही से भी टी0आर0पी0 का मामला नही बनता और ना ही किसी मैनेंजमेंट का दवाव आप को प्रभावित कर रहा हैं।जहां तक मुझे लगता हैं कि आप राजनीत में भी आना नही चाहते तो फिर आप अपनी बात कहने में अति सेकुलर चेंहरा क्यों परोङने का प्रयास कर रहे हैं।साध्वी प्रज्ञा के कारनामों के बारे में पुलिस जो कह रही हैं हो सकता हैं वह पूरी तरह सही हो लेकिन मेरा मानना हैं कि भाजपा अपनी राजनैतिक गणित को संभालने के लिए उसके बचाव में बयान दे रही हैं।आम हिन्दू साध्वी के इस कारनामों से कतई खुश नही हैं।लेकिन मालेगांव धमाके के मामले मैं जो भी तथ्य सामने आये हैं उससे भारतीय मुसलमानों को सबक लेनी चाहिए क्यों की अब भारत में कही भी धमाके हुए और आम लोग मारे गये तो प्रज्ञा के विचारों को बल मिलेगा ।ऐसे हलात में न तो भारतीय कानून में इतनी दम हैं और ना ही आज के राजनीतिज्ञों में गांधी जैसा कोई प्रभावी व्य़त्ति हैं जिसके कहने पर युद्ध विराम हो सके।बाजपेयी जी भागलपूर औऱ सीतामंढी(बिहार) के दंगे को आप ने भी काफी करीब से एहसास किया हैं इस घटना के बाद बिहार में मुस्लिम कट्ररबाद पर अंकुश लगा हैं। दुर्गा पूजा के दौरान मुर्ति विसरजन को रोकने और कलस यात्रा को रोकने जैसी घटनाओं में काफी कमी आयी हैं ।हिंसा का प्रतिवाद अवश्य होनी चाहिए लेकिन पत्रकार भी राजनीतिज्ञों की भाषा बोलने और लिखने लगे तो इस देश की जनता की आखरी उम्मीद भी तार तार हो जायेगी।भारतीय मुस्लमान को भारतीय मिजाज और शैली में जीने की आदत डालनी होगी और हिंसा के बजाय भारत के निर्माण में अपने योगदान की कङी को और मजबूत करने के लिए आगे आना होगा यही सच हैं।इस सच को अपने अपने तरीके लिखने और कहने की जरुरत हैं। संवाददाता--ई0टी0भी0(पटना)

9 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.

Unknown ने कहा…

बहुत बढ़िया… ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी शुभकामनायें…

Amit K Sagar ने कहा…

स्वागत है आपका.

बेनामी ने कहा…

लेख को कुच्छेक पैराग्राफ में बांट कर लिखें।

पढ़ने वाले को आसानी होती है।

शुभकामानाएं

ज्योत्स्ना पाण्डेय ने कहा…

चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक अभिनन्दन है, आपकी लेखनी का स्वाद लेना शेष है शीघ्र ही एक अन्य टिप्पणी आपके ब्लाग पर होगी !आपसे अनुरोध है कि मेरे ब्लाग पर भी भ्रमण करें और अच्छी या बुरी जैसी भी पाठ्य सामग्री हो टिपण्णी अवश्य दें!

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ समझा जाने वाला "पत्रकारिता" अगर राह भटकने लगे तो आम आदमी कभी भी दंगे पर उतारू हो सकता है. आश्चर्य ये है की जिस देश की मीडिया इतनी शसक्त है, वहां सुधार काफ़ी कम है. सब राजनीति का गर्बरझाला है.

सुलभ पत्रा ब्लॉग

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

आपने बहुत अच्छा लिखा है ।
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

bahut sahi. narayan narayan

संगीता पुरी ने कहा…

आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है। आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे । हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।