शनिवार, अगस्त 25, 2012

इस रिश्ते को क्या नाम दू

कल शाम दिल्ली से सुशांत का फोन आया था संतोष भाई रवि सुसाईट की कोशिस किया है।खबरो के साथ खेलना तो रोज का हमलोगो का धंधा ही है लेकिन इस खबर ने चंद मिनट के लिए होश उड़ा दिया जब तक सम्भल पाते उसने सारी स्टोरी बता दी ।अभी अभी अपोलो से वापस तीन दिन बाद लौटा है। मैने पुछा पत्नी से कुछ हुआ था क्या पता नही क्या हुआ पूरा परिवार चुप है ।कोई कुछ नही बोल रहा है तरुणा से बात किये क्या हो सकता है उसे पता हो ,नही वो तो मोबाईल ही नही उठा रही है लगता है देश से बाहर गयी हुई है।ठिक है घर पहुंच कर बात करते है।रात आठ बजे के करीब फोन दिया रिंग हो रहा था कोई रिसपोन्स नही लगातार तीन चार बार रिंग किया लेकिन मोबाईल नही उठा,अंत में बेसफोन पर लगाया अंतिम रिंग होते होते स्वाति रवि की पत्नी ने फोन उठायी।भारी मन से बोली रवि बाथरुम में है निकलता है तो फिर बात कर लेगा और कुछ बात कर पाते उससे पहले फोन रख दी। रवि के फोन का इन्तजार करता रहा लेकिन रात के दस बजे तक कोई फोन नही आया इस बीच तरुणा को भी कई बार फोन किया लेकिन उसका भी कोई जबाव नही आया।लगभग 11बजे मेरे मोबाईल की घंटी बजी मेने देखा रवि का कांल है तुरंत उठाया अरे क्या सून रहे सही बात है इतना कहना था कि फफक फफक कर रोने लगा साले इतने तू बुजदिल हो क्या स्वाति से कुछ हुआ क्या नही ऐसा नही है। मुझसे इतनी बड़ी गलती हो गयी है कि मैं अपने आपको फेस नही कर पा रहा हूं, ऐसा क्या हो गया मैंने तरुणा के साथ जबरदस्ती किया हूं अरे साले क्या बोल रहे हो हैं क्या हुआ पता नही मेरे अंदर कौन का जानवर जागृत हो।
तुरुणा मैं और रवि तीनो साथ साथ दिल्ली विश्व विधालय में पढता था।कांलेज में जब हमलोग पहले दिन पहुंचे तो लगा कि किस दुनिया में आ गये है। लड़कियो की कौन कहे लड़को का रंग ढंग गजब का था।मैं ही तीन लोग थे जो शुद्ध देहाती लग रहे थे।सिर में तेल समान्य पेट शर्ट और हाथ में किताब का साधारण बैंग।क्लास में पहुंचे तो संयोग से हम तीने बैंठ भी एक साथ पूरे क्लास से अलग बीच वाले डेक्स पर पहली मुलाकात में ही हमलोगो की दोस्ती हो गयी ।और यह दोस्ती पाच वर्षो तक लगातार जारी रहा सम्बन्ध इतने धनिष्ठ हो गये कि उसके परिवार वाले भी तय नही कर पा रहे थे कि तरुणा शादी किससे करेगी।कई बार उसके परिवार वाले इशारे इशारे में पूछते भी थे तो हम लोगो का जबाव रहता था ऐसा कुछ नही है।बाद में मेरी शादी हो गयी और उसके बाद रवि की भी शादी हो गयी फिर सभी दोस्त तुरुणा के शादी में एक साथ मिले सभी लोग परिवार के साथ एक ही होटल में ठहरे हुए थे। शादी के कल होकर मैं और मेरी पत्नी ,रवि और उसकी पत्नी एक साथ खाना के टेबल पर मिले सारी रात शादी में जगे रहने के कारण थोड़ा थका थका सा महसूस कर रहा था खाने का कुछ ओर्डर दिया जाता इससे पहले रवि की पत्नी बड़ी ही मजाकिये लहजा में बोली कैसा महसूस हो रहा है तरुणा तो आज किसी और की हो गयी दोनो मित्र एक साथ बोल पड़े क्यो महसूस क्या होना है हमलोगो का पूरा आशिर्वाद उसके साथ है कैसा रिश्ता है मेरे समझ में नही आ रहा है लेकिन दोनो महिलाओ की चेहरे पर जो भाव दिख रहा था उससे लगा रहा था कि रवि के जबाव से दोनो सहमत नही है फिर बात शुरु हुई तरुणा नाम के जैसे हमेशा तरुण ही दिखती रहती थी ऐसा ड्रेस कमबिनेसन रहता था कि सीधे सीधे उस पर नजर नही खीचती थी कभी हम लोगो ने मेकेप में उसे नही देखा कभी भी बिना दोपट्टा को उसको कभी नही देखा उसके घर पर भी गये तो कभी हाई फाई ड्रेस में नही देखा पंजाबी लड़की हाईट 5फिट 7इंच रंग विशुद्ध गोरा लेकिन चेहरे पर कभी लटका झतटा नही देखा गम्भीर बातो में शालिनता और किसी भी मसले पर खुल कर बात करना उसकी आदत थी कई बार कांलेज टूर में रात भर साथ रहने का मौका मिला साथ घूमने टहलने घंटे बात करने का भी मौंका मिला ,लेकिन कभी उसके बारे में उस तरह का खयाल नही आया। कई बार बातचीत के दौरान काफी करीब भी आये लेकिन मन में कभी भी बूरा ख्याल नही आया आज उसकी शादी हो गयी है तो थोड़ा जलन हो रहा है। इस बात का कि जिस तरीके से तुम लोगो को तुऱुणा से कोई परहेज नही था मजाकिया लहजे में जो कह देते थे। लेकिन इसको  लेकर कभी घर में विवाद नही हुआ काश उसका पति भी ऐसे ही खलायात के हो।बात चल ही रहा था कि तरुणा अपने पति के साथ होटल पहुंच गयी सामने देखा तो होश उड़ गया अरे यही तरुणा है आज उसके सामने बड़ी से बड़ी हीरोईन भी फिका लग रही थी।कुछ देर साथ रही और उसके बाद अपने पति के साथ चली गयी।संयोग ऐसा हुआ कि बाद में रवि और तरुणा दोनों एक ही एनजीओ को लिए काम करने लगे और बराबरा उन लोगो के बीच मुलाकात होने लगी पता नही अचानक क्या हुआ जो रवि ने 15वर्षो के सम्बन्ध को दागदार कर दिया।
काफी कुरदने के बाद रवि ने बोलना शुरु किया देखो ने पिछले तीन माह से मैं राजस्थान में काम कर रहा था दिल्ली लौटने पर तुरुणा को फोन किया दिल्ली पहुंच गये है कुछ एसाईनमेंट है उस पर बात करनी है वह जब पहुंचे तो में हक्का बक्का रह गया इतना भड़किला ड्रेस पहन कर वो आयी थी कि उससे बात ही नही कर पा रहे थे काफी कोशिस के बाद बी सहज नही हो पा रहे था आखिर में मीडिग को मैंने रद्द कर दिया और कल मिलने की बात तय कर वापस डेरा चला आया लेकिन बड़ी कोशिस के बावजूद सहज नही हो पा रहा था सुबह खुद तरुणा फोन की डेरा पर आ जाये मुझे पता नही था कि स्वाति आज सुबह ही घर से निकल गयी है मैंने हां कह दिया लेकिन उसके आने के बाद जो नही होना था वह हो गया और इसके लिए मैं अपने आपको माफ नही कर पा रहा हूं आखिर इतने पढाई लिखाई और विचार के बाबजूद मनुष्यो में कब पसुता जग जाये कहना मुश्किल है इसी कारण मैं बेहद परेशान है क्या स्वाति को पता चल गया है हां मैंने बता दिया है तो फिर सोसाईड की कोशिस क्यो किया, जो सहयोग स्वाति से मिलनी चाहिए थी वह नही मिला और 15वर्षो के दोस्ती को उसने शाररिक रिश्तो पर आधारित दोस्ती की संज्ञा देकर ऐसे ऐसे बाते बोली जिसका जबाव नही था मेरे पास।
तुरुणा के साथ बने इस नये रिश्ते को लेकर भले ही रवि को आज पशुता तक की संज्ञा ग्रहण करनी पड़ रही है,हो सकता है इस फेज से मैं भी गुजर सकता हूं आप भी गुजर सकते है लेकिन इसका समाधान क्या हो ।

शनिवार, अगस्त 11, 2012

नीतीश कुमार और नरेन्द्र मोदी के बहाने मीडिया समाज को डिंकटेट कर रही है

पिछले कुछ वर्षो से मीडिया में एक फोबिया देखने को मिल रहा है इसको लेकर कई बार चर्चाये भी हुई आखिर इस फोबिया का कारण क्या है। भाई नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बन गया तो लगता है इस देश में क्या हो जायेगा।पता नही इसको लेकर मीडिया मैं इतनी बैचेनी क्यो है। कल जब दफ्तर पहुंचा तो मोहन भागवत के बयान पर बबेला मचा हुआ था सीएम से प्रतिक्रिया लिजिए जितने भी राजनैतिक दल है उसके बड़े नेताओ की जितनी जल्दी हो प्रतिक्रया चाहिए।राजनीति मेरा प्रिय विषय नही रहा है लेकिन राजनैतिक गतिविधियो पर नजर रखते है और राजनैतिक हलात पर सोचते भी है ।मुझे तरस आती है उन बड़े पत्रकारो पर जिनके राजनैतिक समझ के काऱण मीडिया में पहचान है, कैसे नीतीश कुमार को वे पीएम के रेस में मानते है। सीएम के गतिविधियो को मैं भी एक वर्षो से लगातार करीब से देख रहा हूं मुझे तो नही लगता कि नीतीश कुमार इतने बेवकूफ है ।उन्हे अपनी मंजिल और लक्ष्य के बारे में पूरी समझ है और वे जानते है कि उनकी राजनीत अभी आने वाले 2014तक ढलान पर आने वाले नही है।कई बार मीडिया में इन्होने पीएम की बात खारिज भी कर दिये है फिर भी चर्चाये बंद होने का नाम नही ले रहा है ।कल तो हाईट हो गया चीख चीख कर सुशासन की धज्जिया उड़ने वाले टीवी चैनल भी मोहन भागवत के बायन को प्रमुखता से दिखा रहा था जैसे अमेरिका के राष्ट्रपति ने नीतीश की तारिफ कर दिया हो। इससे पहले भी नीतीश के सुशासन की तारीफ करते रहे है लेकिन इस तरह के न्यूज डस्टबिन में फेक दिये जाते थे। लेकिन कल की खबर नीतीश की जय वाली थी लगता है । मीडिया इस वक्त दो गेम खेल रहा है एक तो नरेन्द्र मोदी को नीतीश के बहाने गुजरात से बाहर आने से रोकना और इसके लिए तरह तरह का हथाकंडा अजमा रहे है।आडवाणी जी के ब्लांग को ही ले उन्होने लिखा क्या उसको दिखाया क्या गया । वही बात मोहन भागवत को लेकर चल रहा है विदेशी मीडिया को भागवत ने क्या कहा उसको किस अंदाज में चलाया जा रहा है ।इसका सीधा मतलब तो यही ही है कि मीडिया अब समाज को एजुकेंट करने के बजाय डिकटेंट करने में लग गया है। जनाव बचिए इस प्रवृति से।प्रधानमंत्री तय करने की जिम्मेवारी भारत की जनता का है मीडिया हाउस का नही ऐसा न हो फिर एक बार भ्रम टूट जाये