गुरुवार, फ़रवरी 24, 2011

बिहार के पत्रकारो को अब खोने के लिए कुछ भी नही बचा है

बिहार में विधानसभा का सत्र चल रहा है बुधवार को राज्यपाल के अभिभाषण पर विपंक्ष के नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी को बोलना था।जैसी उम्मीद की जा रही थी उससे कही जबरदस्त प्रस्तुति सिद्दीकी का रहा। पूरा सदन खामोस होकर सिद्दीकी की बात सूनता रहा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चेहरा छुपाये अपने किये से मुख मोड़ते दिखे।राज्य में कानून व्यवस्था से लेकर राज्य सरकार द्वारा अधिकारियो के चयण के मामलो में पैसा और जाति का नग्गा खेल खेलने का तथ्य सदन के सामने रखते हुए सिद्दीकी ने मुख्यमत्री को खुली चुनौती दी ।

आशर्चय जनक तो यह रहा है कि जिस तेवर मे सिद्दीकी बोल रहे थे और पूरा सदन ऐसा खामोस था जैसे सिद्दीकी की बातो से सभी सदस्य सहमत हो वही नीतीश अपने अगल बगल झाक रहे थे लेकिन मौंन समर्थन से अधिक कुछ भी नही मिल पा रहा था।सवाल ही ऐसा था भ्रष्टाचार को लेकर इन दिनो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जो बयान आ रहे हैं उस पर चुटकी लेते हुए सिद्दीकी ने खुली चुनौती दी कि राजधानी पटना के एपार्टमेंन्ट खरीदार की सूची सरकार सार्वजनिक करे 75प्रतिशत ऐपार्टमेंन्ट सूबे के भ्रष्टअधिकारी है जो राज्य की जनता का हकमारी कर मुख्यमंत्री के आंखो के तारे बने हुए है।वही सबसे बड़ा सवाल उन्होने सदन के सामने रखा कि आखिर मुख्यमंत्री जो आये दिन आम जनता को जाति और धर्म से उपर उठ कर बिहारी बनने की नसीहत देने वाले मुख्यमंत्री तमाम नियम कायदो को ताख पर रख कर अपनी जाति के ही आइएस अधिकारी जो दूसरे स्टेट कैंडर के हैं उन्हे ही पटना का डीएम क्यो बनाया जा रहा है।पटना के एसएसपी जिन्हे बनाया गया है उनका नाम जम्मू काश्मीर में गैरजिम्मेदार अधिकारी के रुप में दर्ज है ।पिछले छह माह पहले बिहार डिपटेशन पर आया है और बिहार के किसी भी जिले के पुलिस कप्तान के रुप मे कोई अनुभव नही है लेकिन उन्हे पटना का सीनियर एसएसपी बना दिया गया क्योकि वह नीतीश कुमार के गृह जिले का रहने वाला है।भष्टाचार को लेकर कई उदाहरण दिये जिसमें समाजकल्याण से जुड़े योजनाओ को किस तरह के अधिकारी अपने बीबी बच्चा के नाम पर एनजीओ खोलकर लूट रहे हैं।सिद्दीकी ने इसकी पूरी सूची सदन के पटल पर रखा लेकिन दुर्भाग्य है आज राजधानी के किसी भी अखबार में सिद्दकी के इस आरोप की चर्चा तक नही है पूरा पेज फिलगुड से भरा है आखिर हम चाहते क्या हैं हम क्यो पार्टी बन रहे हैं पत्रकारिता कभी भी रोजगार नही हो सकता है हमारी पूंजी विश्वास है उसको क्यो दाव पर लगाये।





रविवार, फ़रवरी 06, 2011

बिहार में जूनियर डाँ के सामने क्यो बेवस है सरकार

बिहार मे कानून का राज्य है ऐसा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर बोलते रहते है,लेकिन जूनियर डाँ के मामले में ऐसा होता नही दिख रहा है नीतीश कुमार के शासनकाल में जूनियर डाँ पर मरीज के परिजन के साथ मारपीट करने और सरकारी सम्पत्ति को तोड़फोड़ करने को लेकर 28मुकदमा सूबे के विभिन्न थानो में दर्ज है।लेकिन उन मुकदमो पर कोई कारवाई आज तक नही हुई है।इनके हड़ताल पर जाने  के कारण दो सौ से अधिक मरीजो की मौत हो चुकी है।मरने वालो में अधिकांश वही थे जिनका मसिहा होने का दावा नीतीश कुमार करते हैं।मानवाधिकार आयोग ने जूनियर डाँ के इस आचरण को गैर कानूनी मानते हुए मरीजो के मौत के लिए जूनियर डाँ को जबावदेह ठहराया था यह फैसला दो वर्ष पूर्व  आया है।आयोग राज्य सरकार से उन जूनियर डाँ की सूची पिछले दो वर्ष से लगातार माँग रही है जो इस मामले में आरोपित है।लेकिन सरकार सूची देने से आना कानी कर रही है, नीतीश कुमार पर सीधा आरोप है कि जूनियर डाँ में अधिकांश चर्चित रंजीत डोन का प्रोडक्ट है और मुख्यमंत्री के स्वजातीय है जिसके कारण उन जूनियर डाँ पर कारवाई नही हो रही है तहकिकात के दौरान लोगो का आरोप लगभग सही पाया गया है। अब आप ही बताये सूबे मे कानून का राज्य है क्या---