बिहार में विधानसभा का सत्र चल रहा है बुधवार को राज्यपाल के अभिभाषण पर विपंक्ष के नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी को बोलना था।जैसी उम्मीद की जा रही थी उससे कही जबरदस्त प्रस्तुति सिद्दीकी का रहा। पूरा सदन खामोस होकर सिद्दीकी की बात सूनता रहा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चेहरा छुपाये अपने किये से मुख मोड़ते दिखे।राज्य में कानून व्यवस्था से लेकर राज्य सरकार द्वारा अधिकारियो के चयण के मामलो में पैसा और जाति का नग्गा खेल खेलने का तथ्य सदन के सामने रखते हुए सिद्दीकी ने मुख्यमत्री को खुली चुनौती दी ।
आशर्चय जनक तो यह रहा है कि जिस तेवर मे सिद्दीकी बोल रहे थे और पूरा सदन ऐसा खामोस था जैसे सिद्दीकी की बातो से सभी सदस्य सहमत हो वही नीतीश अपने अगल बगल झाक रहे थे लेकिन मौंन समर्थन से अधिक कुछ भी नही मिल पा रहा था।सवाल ही ऐसा था भ्रष्टाचार को लेकर इन दिनो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जो बयान आ रहे हैं उस पर चुटकी लेते हुए सिद्दीकी ने खुली चुनौती दी कि राजधानी पटना के एपार्टमेंन्ट खरीदार की सूची सरकार सार्वजनिक करे 75प्रतिशत ऐपार्टमेंन्ट सूबे के भ्रष्टअधिकारी है जो राज्य की जनता का हकमारी कर मुख्यमंत्री के आंखो के तारे बने हुए है।वही सबसे बड़ा सवाल उन्होने सदन के सामने रखा कि आखिर मुख्यमंत्री जो आये दिन आम जनता को जाति और धर्म से उपर उठ कर बिहारी बनने की नसीहत देने वाले मुख्यमंत्री तमाम नियम कायदो को ताख पर रख कर अपनी जाति के ही आइएस अधिकारी जो दूसरे स्टेट कैंडर के हैं उन्हे ही पटना का डीएम क्यो बनाया जा रहा है।पटना के एसएसपी जिन्हे बनाया गया है उनका नाम जम्मू काश्मीर में गैरजिम्मेदार अधिकारी के रुप में दर्ज है ।पिछले छह माह पहले बिहार डिपटेशन पर आया है और बिहार के किसी भी जिले के पुलिस कप्तान के रुप मे कोई अनुभव नही है लेकिन उन्हे पटना का सीनियर एसएसपी बना दिया गया क्योकि वह नीतीश कुमार के गृह जिले का रहने वाला है।भष्टाचार को लेकर कई उदाहरण दिये जिसमें समाजकल्याण से जुड़े योजनाओ को किस तरह के अधिकारी अपने बीबी बच्चा के नाम पर एनजीओ खोलकर लूट रहे हैं।सिद्दीकी ने इसकी पूरी सूची सदन के पटल पर रखा लेकिन दुर्भाग्य है आज राजधानी के किसी भी अखबार में सिद्दकी के इस आरोप की चर्चा तक नही है पूरा पेज फिलगुड से भरा है आखिर हम चाहते क्या हैं हम क्यो पार्टी बन रहे हैं पत्रकारिता कभी भी रोजगार नही हो सकता है हमारी पूंजी विश्वास है उसको क्यो दाव पर लगाये।
आशर्चय जनक तो यह रहा है कि जिस तेवर मे सिद्दीकी बोल रहे थे और पूरा सदन ऐसा खामोस था जैसे सिद्दीकी की बातो से सभी सदस्य सहमत हो वही नीतीश अपने अगल बगल झाक रहे थे लेकिन मौंन समर्थन से अधिक कुछ भी नही मिल पा रहा था।सवाल ही ऐसा था भ्रष्टाचार को लेकर इन दिनो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जो बयान आ रहे हैं उस पर चुटकी लेते हुए सिद्दीकी ने खुली चुनौती दी कि राजधानी पटना के एपार्टमेंन्ट खरीदार की सूची सरकार सार्वजनिक करे 75प्रतिशत ऐपार्टमेंन्ट सूबे के भ्रष्टअधिकारी है जो राज्य की जनता का हकमारी कर मुख्यमंत्री के आंखो के तारे बने हुए है।वही सबसे बड़ा सवाल उन्होने सदन के सामने रखा कि आखिर मुख्यमंत्री जो आये दिन आम जनता को जाति और धर्म से उपर उठ कर बिहारी बनने की नसीहत देने वाले मुख्यमंत्री तमाम नियम कायदो को ताख पर रख कर अपनी जाति के ही आइएस अधिकारी जो दूसरे स्टेट कैंडर के हैं उन्हे ही पटना का डीएम क्यो बनाया जा रहा है।पटना के एसएसपी जिन्हे बनाया गया है उनका नाम जम्मू काश्मीर में गैरजिम्मेदार अधिकारी के रुप में दर्ज है ।पिछले छह माह पहले बिहार डिपटेशन पर आया है और बिहार के किसी भी जिले के पुलिस कप्तान के रुप मे कोई अनुभव नही है लेकिन उन्हे पटना का सीनियर एसएसपी बना दिया गया क्योकि वह नीतीश कुमार के गृह जिले का रहने वाला है।भष्टाचार को लेकर कई उदाहरण दिये जिसमें समाजकल्याण से जुड़े योजनाओ को किस तरह के अधिकारी अपने बीबी बच्चा के नाम पर एनजीओ खोलकर लूट रहे हैं।सिद्दीकी ने इसकी पूरी सूची सदन के पटल पर रखा लेकिन दुर्भाग्य है आज राजधानी के किसी भी अखबार में सिद्दकी के इस आरोप की चर्चा तक नही है पूरा पेज फिलगुड से भरा है आखिर हम चाहते क्या हैं हम क्यो पार्टी बन रहे हैं पत्रकारिता कभी भी रोजगार नही हो सकता है हमारी पूंजी विश्वास है उसको क्यो दाव पर लगाये।