रविवार, दिसंबर 20, 2009

निरंजन तिवारी के बहाने बिहार को समझने का मौंका मिला



बिहार की आठ करोड़ आवादी निरंजन की तरह सुबह जगने से लेकर रात के सोने तक भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा हैं।लेकिन सत्ता संरक्षित भ्रष्टाचार की जड़े इतनी मजबूत हैं कि कोई इसके भेदने का साहस नही जुटा पा रही हैं,।स्थिति यह हैं कि अधिकांश मामलों में लोग या तो समझौता कर रहे हैं या फिर व्यवस्था में शामिल होकर भ्रष्टाचारियों की राह आसान कर रहे हैं।राजधानी के पत्रकारिता में निरंजन जैसे लोगो से मिलने का मौंका कम ही मिलता हैं।


संयोग से पिछले सोमवार को मुख्यमंत्री के जनता दरवार के कभरेज का मौंका मुझे मिला और इस बार के विषय में शिक्षा भी शामिल था।निरंजन तिवारी से जुड़ी हुई फाईले लेकर मैं सुबह सुबह जनता दरवार पहुचा।शिक्षा विभाग के तमाम आलाधिकारी के साथ साथ मंत्री ,गृह सचिव,निगरानी के एडीजीपी और पुलिस मुख्यालय के एडीजीपी,वी नरायनण मौंजूद थे।मेरे खुशी का ठिकाना नही था लगा कि आज तो निरंजन के लड़ाई का कोई न कोई हल सामने जरुर आयेगा।सबसे पहले मैं गृह सचिव अमीर सुहानी से मिला जरा अमीर सुहानी के बारे में याद ताजा कर ले ये पहले बिहारी हैं जिन्होने यूपीएससी की परीक्षा में पूरे भारत में टांप किये थे।मुझे भी याद हैं उस वक्त में सातवी वर्ग का छात्र था। स्कूल में बच्चों के बीच अमीर सुहानी के बारे में बताया गया था कि किस तरह एक मध्यमवर्ग के लड़के देश के सबसे बड़े इम्तिहान में प्रथम आया हैं।

इसकी प्ररेणा ने बिहार के युवकों में यूपीएससी को लेकर जो क्रेज पैंदा किया वह आज भी कायम हैं।लेकिन इससे मिलकर बड़ी निराशा हुई कहने वाले कहते हैं कि ये पांचों वक्त के नवाजी हैं और इसके इमानदारी की चर्चा आम हैं।जब इनसे निरजंन तिवारी के मामले में सूबे के सबसे बड़े अधिकारी प्रधान सचिव अनुप मुखर्जी के सीबीआई जांच से जुड़े हुए पत्र के बारे में जानना चाहा तो इनका कहना था हमारे पास ऐसे सैकड़ो पत्र आते रहते हैं जिसमें किसी ने थप्पर मारने की घटना का सीबीआई जांच कराना चाह रहे हैं तो कोई अपने पति के मामले में सीबीआई जांच कराना चाह रहे हैं।जब मैंने निरंजन के मामले की गहराही पर सवाल किया तो कहे ऐसे पत्र आते रहते हैं लेकिन जैसे ही मैंने थोड़ी उच्ची आवाज में बोला की इस मामले पर आज मुख्यमंत्री से सवाल करेगे तो आनन फानन में मुझसे फाईल झटक के पढने लगे।कहा मामला तो वाकई गम्भीर हैं चलो देखते हैं यह आपका अपना मामला हैं क्या मैंने कहा नही नही यह व्यक्ति अपनी व्यथा लेकर मुझसे मिलने आया था।जबाव सुनकर साहब जरा कुटील मुस्कान के सहारे कहा देखते हैं।मैने उनसे इस मामले में बाईट लेनी चाही तो कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।

अब मामले को लेकर राज्य के शिक्षा मंत्री के पास पहुंचा शिक्षा मंत्री हरीनरायण सिंह पूरे विभाग के साथ जनता के दरवार में बैंठे हुए थे।शिक्षा मंत्री को पूरे मामले के बारे में विस्तृत जानकारी दी इन्होने एक एक पत्र को पूरी गम्भीरता से पढा उन्होने कहा मामला वाकई गम्भीर हैं।बाजू में बैंठे शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अंजनी सिंह से इन्होने कहा देखिये मामला तो वाकई में काफी गम्भीर हैं मंत्री लगातार बोलते रहे लेकिन प्रधान सचिव पूरी बात की अनसुनी करते रहे हार कर मंत्री ने बिहार विधालय समिति के सचिव अनुप कुमार को बुलाया और पूरे मामले की जांच करने का निर्देश दिया।अनुप कुमार साहब ने कहा कि जरा आप सारा पत्र का फोटो कांपी कराकर दे दे।अंदर ही अंदर मुझे गुस्सा भी आ रहा था ।मैंने डीपीआरओ को कहकर सारा फोटो कांपी करवाया और सचिव को दे दिया।तत्तकाल सचिव ने अपने कार्यलय में फोन करके सारे कागजात को निकलवाने का निर्देश दिया।बातचीत के दौरान इन्होने भी यह अहसास दिलाने से बाज नही आये कि आप इतने इन्ट्रेस्टेंट क्यों हैं सब कुछ मैं धेर्य से देखता और सूनता रहा।थोड़ी देर बाद जनता दरवार खत्म हो गया औऱ अब पत्रकारों के सवाल जबाव का सेशन शुरु हुआ।नेशनल मीडिया वाले तेलगंना मामले फिल्म पा और अल्पसंख्यकों के आरक्षंण से जुड़े सवालों का बोछार किये हुआ था क्यों कि उनके लिए बिहार की जनता की व्यथा का कोई मतलव नही हैं।रही बात अखवार वालों की तो उसके जुवान पर मैनेजमेंन्ट का ताला लगा हैं कोई ऐसा मसला नही उठाये जिनसे मुख्यमंत्री कि छवी पर कोई असर पड़े और इसका खामियाजा विज्ञापन पर पड़े।मैने निरंजन का मामला उठाया मुख्यमंत्री पूरे मामले को गम्भीरता से सुने और सूचना विभाग के प्रधानसचिव राजेश भूषण को बुलाया और कहा इनसे मिलकर पूरे मामले को देखे।मैं हतफ्रभ था मामला शिक्षा से जुड़ा हें और बात करने के ले सूचना विभाग के प्रधान सचिव को कह रहे हैं मैं फिर से सवाल दोहराया लेकिन मुख्यमंत्री साहब बीच में ही रोकते हुए कहा राजेश भूषण आपसे बात कर लगे।वार्ता खत्म होने के बाद मैंने देखा कि राजेश भूषण बिना कुछ बात किये हुए अपनी गाड़ी की तरफ बढ गये मैं तेजी से बढा और कहा कुछ बात करनी हैं पलट कर वे इस तरह देखे जैसे मैंने कोई गुनाह कर दिया।अब बात मेरी समक्ष में आयी कि मुख्यमंत्री ने राजेश भूषण को क्यो कहा,राजेश भूषण तय करते हैं कि किस चैनल को कितना विज्ञापन देना हैं और किस अखवार को कितना विज्ञापन देना हैं।खैर मैने हार नही मानी और जंग जारी रखने का फैसला लिया।

इस बीच बिहार विधालय समिति के सचिव जिन्हे जांच का जिम्मा सौंपा गया था उनसे मिलने के लिए बुधवार को उनके दफ्तर पहुंचा उसने मिलने से इनकार कर दिया मुझे लगा क्या बात हैं।मैं भी उनके चैम्बर के सामने डटा रहा थोड़ी देर बाद निकला और भागते हुए अपनी गाड़ी और बढा संतोष जी प्रधान सचिव के यहां बैंठक हैं बाद में मिलते हैं जाते जाते उनसे मैंने निरंजन मामले के बारे में जानकारी मांगी सभी फर्जी हैं और मैंने सभी शिक्षकों को बर्खास्त करने को लिख दिया हैं ।मैंने कहा खबर चला देते हैं कहा नही नही हम आपसे बात करते हैं।शाम में मिलते हैं लेकिन तीन दिनों तक वह मुझसे कटते रहे लेकिन शुक्रवार को मैं बोर्ड के दफ्तर में पहुंच कर जबरदस्ती मिला देखते हैं साहब निरंजन के मामले से जुड़ी फाईल लेकर बैंठे हैं।इन्होने कहा कि फर्जी सार्टीफिकेंट मामले से जुड़ी जांच रिपोर्ट बोर्ड से नही गयी हैं।किसी ने फर्जी सत्यापन पत्र पुलिस को भेजा हैं।सूचना के अधिकार के तहत दी गयी जानकारी सही हैं और सभी शिक्षक जो अभी भी कार्य कर रहे हैं उनकी ड्रिग्री पूरी तरह फर्जी हैं।मैने जांच रिपोर्ट सरकार को भेज दी हैं।थोड़ी राहत मिली चलो मामला एक कदम आगे तो बढा विधानसभा सत्र के कारण शिक्षा मंत्री से बात नही हो पायी हैं।अब आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि नीतीश के शासन में ब्यूरोक्रेसी कितनी निंरकुश हैं।(नोट-मामले से जुड़ी पूरी खबर-ये हैं मेरा बिहार,लेख में पढ सकते हैं)

मंगलवार, दिसंबर 15, 2009

ये हैं मेरा बिहार



आज से करीब दस वर्ष पूर्व गांधीवादियों के एक सम्मेलन में भाग लेने का मौका मिला था। सम्मेलन में अधिकांश कांलेज के लड़के मौजूद थे।मंच पर गांधिवादियों का जमावरा लगा हुआ था और दर्शक दिर्घा में अधिकांश ऐसे युवक मौंजूद थे जिनके मन में गांधी के प्रति कोई आदर भाव नही था कार्यक्रम शुरु हुआ एक से एक वक्ता अपनी बात रख रहे थे।इसी दौरान एक व्यक्ति जिसकी उम्र 70वर्ष के करीब होगा अपनी बात रखने किसी तरह से मंच पर खड़े हुए जहां तक मुझे याद हैं वे दादा धर्माधिकारी थे और महाराष्ट्र से आने की बात कह रहे थे।भाषण की शुरुआत बिहार के पावन धरती को प्रणाम करने साथ हुआ। इन्होने कहा कि 1977के बाद बिहार आया हूं जब मैं अपने लोग से कहा कि मैं बिहार जा रहा हूं तो बहुत सारे मित्र मुझे स्टेशन तक छोड़ने आये,और कहा कि बिहार जा रहे हैं तो बिहारवालों को अवश्य बोलियेगा की पूरा देश उनसे एक और क्रांति की आस लगाये बैंठा हैं।भाषण का सिलसिल आगे बढा 70 वर्ष का वह व्यक्ति बोलते बोलते रोने लगा कहा बस अब आप से ही उम्मीद बची हैं सारा मुल्क आर्थिक उदारीकरण के सामने नस्तमस्तक हो गया हैं ।बहुराष्ट्रीय कम्पनी एक एक कर हमारे आर्थिक संरचना को धवस्त कर रहा हैं,एक बेवस और लाचार मराठी आपसे विनती करने आया हैं ।जागो और पूरे देश को जगाओं नही तो आने वाला कल बड़ी भवावह होगा। मैं इसी उम्मीद से बिहार आया हूं क्यों कि मुझे सभी बिहाररियों में गांधी, विनोवा और जेपी की प्रतिभा दिखती हैं।भाषण समाप्त होने के बाद सवाल जबाव का सत्र शुरु हुआ मैंने महाराष्ट्र से आये उस व्यक्ति से सीधा सवाल किया बिहार और बिहारियों में ऐसी कौन सी बात हैं जो पूरा देश क्रंति की उम्मीद लिए बैंठा हैं।उस वक्त इन्होने जो जबाव दिया था वह मुझे स्वीकार्य नही था। फिर भी मेरे जेहन में बिहार और बिहारियों के प्रति इस तरह के विचार रखने के पीछे के कारणों की तलाश छात्र जीवन से लेकर पत्रकारिता के आठ वर्षो के सफर तक सत्तत जारी रहा।कभी उम्मीद जगी भी लेकिन बाद मैं निराशा ही हाथ लगा। लेकिन कल जिस बिहारी से मिला उसकी बात सुनकर लगा कि आखिर बिहार का इतिहास इतना गौरवशाली क्यो रहा हैं और आज भी लोग बिहार से परिवर्तन की उम्मीद क्यों लगाये हुए हैं।

नाम निरंजन तिवारी पिता स्व-वीर तिवारी घर-धोकरहा,थाना मझौलिय,प0चम्पारण(बेतिया)के स्थायी निवासी हैं। अपने बड़े भाई के खिलाफ पिछले तीन वर्ष से धर्म युध लड़ रहा हैं अभी तक इस युध में उसे जलालत ही झेलनी पड़ी हैं ।लेकिन आज वे हमारे दफ्तर में न्याय के इस युध में मदद की गुहार लेकर आया हैं।मामला बिहार सरकार के सुशासन से जुड़ा हैं।

निरंजन दिल्ली में काम करता था छुट्टी में घर आया तो देखा कि उसके घर पर रात भर लोगो का आना जाना लगा रहता हैं।मालूम करने पर पता चला कि उसका बड़ा भाई राम जी तिवारी फर्जी डिग्री का कारोबार कर रहे हैं।बात 2007की हैं जब पूरे बिहार में प्राप्ताक के आधार पर शिक्षक की बहाली चल रहा था।राम जी तिवारी टिचर ट्रेनिंग से लेकर बोर्ड और संस्कृत बोर्ड का फर्जी सार्टीफिकेट बेचता था।घर में फर्जी सार्टीफिकेंट बनाने की फैक्ट्री चल रहा था पहले निरंजन ने अपने भाई को समझाया यह क्या कर रहे हैं यह देश के भविष्य के साथ खिलवार होगा ।लेकिन भाई के इस सलाह को गम्भीरता से नही लिया तब जाकर इस मामले की सूचना निरजंन ने बेतिया के तत्तकालिन डीएम और एसपी0 को दिया लेकिन कारवाई करना तो दूर उलटे निरंजन पर झूठा मुकदमा कर जेल भेज दिया।यह खेल वैसे एसपी के मिली भगत से किया गया जो बाहुबलि शहाबुदीन के घर पर पुलिस फोर्स ले जाने का साहस दिखाया था बच्चू सिंह मिणा जिनके बारे में बिहार में एक अलग छवि मानी जाती हैं।जेल से छुटने के बाद निरंजन फर्जी फर्जी सार्टिफिकेट रेकैट को उजागर करने की ठानी और पुलिस और प्रशासनिक विभाग के तमाम आलाधिकारी के दरवार में जा कर न्याय की गुहार लगायी लेकिन कोई कारवाई नही हुई अंत में पूरे साक्ष्य के साथ नीतीश कुमार के जनता दरवार में कई बार गया कारवाई नही होते देख एक दिन नीतीश के दरवार में जमकर हंगामा किया नीतीश कुमार खुद डीजीपी को छापामारी करने का निर्देश दिया जब छापामारी हुई तो राम जी तिवारी के घर से सैकड़ो जाली प्रमाण पत्र, मोहर बगैरह मिला ।बेतिया पुलिस प्रेस कान्फरेन्स कर एक बड़े रैकेट के भंडाफोर होने की बात कही लेकिन पुलिस का सुर कुछ ही दिनों में बदल गया और बीस दिनों के बाद कोर्ट से बेल भी मिल गया और बरामद सार्टीफिकेंट को सही लिखते हुए पुलिस ने केश को झुठा करार कर दिया और झुठा मुकदमा दर्ज करने का आरोप लगाते हुए निरंजन पर धारा 211के तहत कारवाई करने का आदेश तत्तकालीन एस0पी के0एस0अनुपम ने जारी किया।पुलिस ने मुकदमें के अनुसंधान के दौरान पांच लोगो का प्रमाण पत्र बिहार विधालय परीक्षा समिति और सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविधालय वाराणसी जाकर जांच किया उपकुलसचिव के हस्ताक्षर से जांच कर्ता को पत्र दिया गया जिसमें राम तिवारी के घर से बरामद सभी प्रमाण पत्र को सही लिखा।लेकिन निरंजन तिवारी मानने को तैयार नही था इन्होने जांच में शामिल पांच लोगो के प्रमाण पत्र की सत्यता जानने के लिए सूचना के अधिकार के तहत बिहार विधालय परीक्षा समिति और सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविधालय के सूचना पदाधिकारी से इन छात्रों के परीक्षा परीणाम के बारे में जानकारी मांगी।रिपोर्ट चौकाने वाला हैं सभी विधार्थी का प्रमाण पत्र फर्जी निकला जिसके बारे में पुलिस ने अपने अनुसंधान के दौरान कुल सचिव के पत्र के आधार पर सही लिखा था।यह सभी छात्र बेतिया में पंचायत शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं जिसमें राम तिवारी की बेटी,बेटा और पुतहु भी शामिल हैं।निरंजन की माने तो पूरे बिहार में इस तरह के फर्जी सार्टीफिकेंट के माध्यम से एक हजार से अधिक शिक्षक के पद पर कार्यरत और सैंकड़ो पंचायत सेवक, सेना और पुलिस में नौकरी कर रहा हैं।इस रैकेट के भंडाफोर होने से कई अधिकारियों का जेल जाना तय हैं इसलिए पूरी मशीनरी इस मामले को दवाने में लगा हैं।

मामला जो भी हो लेकिन निरजंन इसे उजागर करने को लेकर अभी भी व्यवस्था से लड़ रहा हैं और आज भी मुख्यमंत्री से लेकर तमाम प्रशासनिक अधिकारी के पास जाकर न्याय की गुहार लगा रहा हैं।जब मैंने पुछा ऐसे हलात में हिंसा का रास्ता क्यो नही अख्तियार किया जबाव हिंसा कायर कि निशानी हैं आज न कल न्याय जुरुर मिलेगा।रही बात सुशासन की तो आप समझ सकते हैं बिहार में सुशासन क्या हैं।फिर मेरा सवाल था नीतीश कुमार को वोट देगे कहां जरुर देगे लालू का राज्य रहता तो कब की मेरी हत्या हो गयी रहती कम से कम सच्चाई की लड़ाई लड़ने वाला अपनी बात तो कह पा रहा हैं.।इतने दिनों से मीडिया के पास क्यो नही जा रहे थे बड़ी जोर से हंसा कहा सर जी अखबार के दफ्तर में कागज देते देते थग गया लेकिन आज तक नही छापा मैने पुछा तो मेरे पास क्यों आये, उम्मीद हैं एक न एक दिन सत्य उजागर होगा और सत्य की जीत होगी । अगला सवाल था इस लड़ाई में आपकी नौकरी गयी कई कई दिनों तक बिना खाये रात में सोना पड़ा लोगो की जलालत झेलनी पड़ी जेल जाना पड़ा आखिर इस लड़ाई से आपको क्या बास्ता हैं। कहा सर जी बिहार के भविष्य का सवाल हैं।इसका जबाव सुनकर महसूस हुआ कि आखिर उस मराठी मानुष को बिहार के लोगो से इतनी उम्मीद क्यो थी।---------