बुधवार, सितंबर 30, 2009

बिहार में नौका दुर्घटना सौ के मरने की आशंका जिम्मेवार कौन

बिहार और हादसा एक दूसरे का प्राय बन गया हैं।छतीशगढ के कोरबा में चिमनी गिरने से 31बिहारी मजदूर के मरने का गम अभी मिटा भी नही था कि ,दशहरे की शाम खगड़िया और दरभंगा जिले में हुए नौंका दुर्घटना में सौं से अधिक लोगो के मरने की आशंका हैं।शवों के निकालने का काम अभी भी जारी हैं।घटना दलित नेता रामविलास पासवान के गांव और ननिहाल में घटा हैं जहां से इन्होने अपने राजनैतिक जीवन कि शुरुआत की और आज भी इन क्षेत्रों का प्रतिनिधुत्व उनके अपने रिश्तेदार ही कर रहे हैं। रामविलास पासवान अपनी सभा में हमेशा यह जुमला दोहराते रहे हैं कि मैं उस घर में दिया जलाउँगा जिस घर में सदियों से अंधेरा हैं ।लेकिन इस नारे में कितना दम हैं वह इस हादसे से समझा जा सकता हैं।मरने वालों में अधिकांश रामविलास पासवान के गांव शहरबन्नी का रहने वाले हैं।यह गांव खगड़िया जिले के अलौली प्रंखड में पड़ता हैं जहां आज भी जाने के लिए सड़के नही हैं खगड़िया आने के लिए नाव से नदी पार करनी पड़ती हैं।रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपतिपारस पिछले 25वर्षों से लगातार इस क्षेत्र से चुनाव जितते रहे हैं लेकिन अपने गांव जाने के लिए एक पुल तक नही बनवा पाये । आम राय यह हैं कि बड़े घर में पैदा लेने वाले ऐसे लोग जो गांव की पगडंडी नही देखी हैं वे देश का कैसे प्रतिनिधुत्व करेगे।आप ही बताये रामविलास पासवान बिहार के सबसे पिछड़े इलाकों में जन्म लिय़े हैं वही पले बढे उसी गांव में पढाई की ।खेतो के मेर पर चल कर दिल्ली पहुंचे और फिर भूल गये अपने ही गांव को। जिस बागमति नदी के घाट पर घटना घटी हैं उस नदी को हजारो बार पार किये होगे रामविलास पासवान, नदी पार करने के दर्द को हजारो बार महसूस किये होगे लेकिन उस दर्द को मिटाने के लिए कोई पहल नही किया।क्या दर्द महसूस करने वाला ही गरीबों का भाग्यविधाता हो सकता हैं इस घटना ने वर्षों पुरानी इस मिथिया को तोड़ दिया हैं जिसको लेकर हमारे दिल्ली में बैठे मित्र आये दिन बड़े बड़े आर्टकिल लिखते रहते हैं। हादसे का यह एक पहलु हैं दूसरा पहलु भी कम गम्भीर नही हैं पर्व का मौंसम आते ही उसके तैयारी को लेकर पंचायत से लेकर मुख्यमंत्री स्तर तक बैंठके होती हैं।एक से एक फरवान जारी की जाती हैं लेकिन उसके प्रति पदाधिकारी कितने गम्भीर रहते हैं उसका एक यह जीवंत नमूना हैं।उत्तरी बिहार में करीब सौ से दो सौ ऐसी घाट हैं जहां से रोजना लोग नांव से पार करते हैं ।इसके बदले में गांव वाले को पैसा भी देना पड़ता हैं ।सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ो रुपये इसके ठिके से आता हैं लेकिन इसके रख रखाव पर सरकार कुछ भी ध्यान नही देती हैं।जिसके कारण आये दिन नौंका दुर्धटनाये होती रहती हैं और सरकार लाख रुपये मुआवजा की घोषणा कर अपने जबावदेही से मुक्त हो जाती हैं।मेरा खुद का अनुभव हैं जब में दरभंगा में पदस्थापित था शुक्रवार का दिन था करेह नदी पर स्थित हथौंड़ी घाट पर पहुचे तो हैरान रह गया जिस घाट पर पांच से दस आदमी नाव से पार करते थे आज दौ सौ आदमी पार कर रहा हैं और हजारों लोग लाईन में लगे हैं।,नाव के किनारे पहुचते ही लोग नाव पर चढने के लिए टूट पड़ते थे।हलात यह था कि किसी भी समय नाव पानी में पलटी मार देता नाविक और घाट के ठिकेदार हल्ला कर रहा हैं लेकिन कोई मामने वाला नही था।हमारे लिए यह एक बड़ी खबड़ थी।खबड़ करने के बाद जब लोगो का बाईट लेने लगा तो पता चला कि हथौंड़ी बजार में हर शुक्रवार को हाट लगता हैं और आसपास के गांव के लोग समान खरीदने जाते हैं।अंधेरा होने से पहले गांव लौंट जाय इस हरबरी में खासकर महिलाये जान जोखिम में डालकर नदी पार करना चाहती हैं जिस दौरान कई बार हादसा भी हुआ।खबड़ पर डीएम का जब बाईट लेने पहुंचा तो पहले उनको पूरा भिजुउल दिखा दिया ।किस तरह लोक जान हथेली पर लेकर नदी पार कर रहे थे।डीएम ने बाईट देने के साथ साथ शुक्रवार को पुलिस बल और मजिस्ट्रेट की नियुक्ति के साथ साथ ठिकेदार को शुक्रवार को अधिक नाव रखने का निर्देश दिया।कल की घटना के बाद जब मैं हथौंड़ी घाट के ठिकेदार के मोबाईल पर फोनकर हालचाल जानने के बाद शुक्रवार वाली व्यवस्था के बारे में पुछा तो पता चला कि सर उस डीएम साहब के जाने के बाद पुलिस बल और मजिस्ट्रेट की तैनाती बंद ही हो गयी और आप भी इधर नही आ रहे हैं जो ये बाते बताते।कहने का मेरा मकसद यह हैं कि सभी अधिकारी जानते हैं कि हाट के दिन और पर्व त्यौहार के दिन गांव की महिलाये सजधज कर पास के छोटे शहरो में अपने बच्चों के साथ मेला देखने जाती हैं जिसमें शतप्रतिशत महिलाये निरक्षर होती हैं और कई तो पहली बार बाजार देखती हें।पूरे दिन शहर आती हैं और शाम होते ही गांव जाने की जल्दी में किसी भी तरह जान जोखिम में डालकर नदी पार करना चाहती हैं ।जिसके कारण बिहार में प्रति वर्ष नौका दुर्घटनाये होती हैं और इसमें सैकड़ो लोगो की जाने भी जाती हैं।लेकिन प्रशासन आज तक इस घटना से सीख नही ली हैं।क्या ऐसे प्रशासक को जनता के गाढी कमाई से वेतन पाने का हक हैं क्यों न इन्हे बर्खास्त कर दिया जाता हैं इस मौंत के लिए आखिर कौन जिम्मेवार हैं जब तक जिम्मेवारी तय नही की जायेगी यह सिलसिला जारी रहेगा।

रविवार, सितंबर 27, 2009

जुल्म सहने से बेहतर हैं पति के बगैर जीने की आदत डालों

मैंच भारत और पाकिस्तान के बीच हो और रोमांस न हो ऐसा हो नही सकता हैं।सुबह से ही मैंच को लेकर बेचैनी थी। लेकिन दिन की शुरुआत कुछ अच्छा नही रहा 21वी संदी में भी लड़किया कितनी विवश और लाचार हैं उसका एहसास पहली बार मुझे हो रहा था ।अब तक तो एक पत्रकार के रुप में लड़कियों के मसले को देखते और दिखाते रहे थे ।लेकिन आज मुझे एहसास हुआ कि लड़किया इतनी विवश क्यो हैं।मैं वह सब कुछ देखता रहा जिसको लेकर मैं कभी टीवी एसक्रिन पर आग उगला था ,मैं वह सब कुछ देखता रहा जिसको लेकर मैने पूरी सिरीज लिख डाली थी लेकिन आज मेरा कैमरा और कलम दोनों खामोंश हैं।चीख चीख कर स्वाती बोल रही थी जीजा जी मुझे रोक लो नही तो मेरी लाश देखोगे। लेकिन मैं विवश स्वाती को उस जुल्मी के साथ जाने देने को विवश था जिस को मैं कल तक अपना सबसे अजीज मानता था। भारत की बैंटींग शुरु हो गयी थी और अपने युवा बिग्रेड का खेल देख कर आने वाले बेहतर कल की उम्मीद में स्वाती के बारे में ही सोचे जा रहा था।मोबाईल की घंटी बचते ही चौंक उठता था कही कोई अशुभ समाचार तो नही हैं।खैर भारतीय टीम के युवा बिग्रेड का खेल देख कर बड़ा सकून हुआ और विस्तर पर आते ही नींद भी आ गयी ।कल उपवास खत्म होने वाला था उसकी भी बैंचनी थी फिर भी आराम से सोया हुआ था कि अचानक छोटे छोटे बच्चियों के किलकारी की आवाज सुनायी दी।आंख खुली तो सामने के छत पर खुबसुरत पंडाल के बीच छोटी छोटी लड़किया बैठी हुई थी।अचानक याद आया अरे आज तो कुमारी पूजा हैं ।विस्तर पर लेटे लेटे ही देखने लगे महिलाये लड़कियों को सजा रही थी फिर बारी बारी से पैर छू कर आशीर्वाद ले रही थी। एक लड़की पर मेरी नजर पड़ी पूरी तरह से खामोश चुप चाप पूरी गतिविधि को देख रही थी अचानक वह उठकर चल दी महिलाये दोड़ी बैंठ जाओं बैंठ जाओं लेकिन किसी की एक नही सूनी सामने स्थिति नल पर चली गयी और पानी चलाकर रंगे हुए पैंर को धोने लगी उसके चेहरे को देखने से लग रहा था कि उसके साथ जो व्यवहार किया जा रहा था वह उसे पसंद नही था।उसके इस विरोधी तेवर को देख मैं विस्तर से उठ बालकोनी की तरफ भागा जब तक मैं पहुचता वह नीचे उतर चुकी थी और महिलाये आपस में फुदफुदा रही थी।काश यह विद्रोही तेवर स्वाती की होती तो आज उसे जलालत की जिंदगी जीना नही पड़ता।उसका एक ही जवाव मेरे दिलो दिमाग को झकझोड़ रहा था जीजा जी जिस दिन लड़की में पैदा लिया पिता का घर बेगाना हो गया जब से होश सम्भाला बुआ, दादी मां,चाची बस इतना ही कहती थी दूसरे घर की अमानत हैं ऐसा मत कर ऐसा क्यों करती हो।जीजा जी सत्या को कैसे छोड़ दे बाहर की दुनिया में जीना तो और भी मुश्किल हैं,ताना सुनते सुनते मैं मर जाउगी। आज पति चरित्र पर सवाल खड़ा कर रहा हैं कल सारी दुनिया मेरे चरित्र को तार तार करने में लग जायेगी। यह हकीकत हैं मंदी के इस दौड़ में परेशान निराश एक युवा कप्ल का जिसकी शादी को हुए आठ माह भी नही हुआ हैं।स्वाती की शादी एलजी0में काम करने वाले एक योग्य इंनजीनयर से हुआ सपनों की बड़ी बड़ी उड़ाने लेकर अपनी ससुराल आयी ।लेकिन स्वाती सपनो में भी यह नही सोची थी कि उसके साथ यह सब होगा।हनीमून मनाने शिमला गयी एक पखवाड़े बाद जब लौटकर आयी तो अचानक बिमार हो गयी डांक्टर पर डांक्टर बदलते रहा लेकिन बुखार कमने का नाम नही ले रहा था।यह देखकर महिलाये भूत प्रेत की चर्चाये करनी लगी और होते होते बात डायन पर आ गयी। इस बीच स्वाती का जन्म पत्री देखाया गया तो वह मंगली निकली इसके बाद तो उसके उपड़ दुख का पहाड़ ही टुट परी सास का ताना शुरु हुआ और देखते देखते पूरे घर की वह भिलेन बन गयी फिर भी पति का साथ मिलता रहा इस बीच कम्पनी के उतार चढाउ को देखते हुए उसे कम्पनी बदलनी पड़ी और नये कम्पनी में आते ही मंदी का मार पड़ने लगा।चार माह में तीन कम्पनी बदलनी पड़ी और इसके कारण शहर भी बदलता रहा। नौकरी के उठापठक और नये दौड़ के युवाओं में रातो रात करोड़पति बनने और बीबी के साथ फाईव स्टार होटल में रात गुजारने और बीबी हो तो ऐश्वारिया राय की तरह।इस सनक के कारण आज देश का लाखों युवक डिप्रेशन का शिकार हैं।उदारीकरण के दौड़ में रातो रातो इतनी कमाई बढ गयी कि उसका पैर जमीन पर नही रहा और पैसे के दंभ पर वो सब कुछ पाने का ख्वाब देखने लगा जिसके वह काबिल नही था।उसी सनक की शिकार स्वाती बनी हैं आफिस के टेशन के साथ साथ अपने अयोग्यता का ठिकरा स्वाती पर मढने का जो सिलसिला शुरु हुआ वह यहां तक पहुंच गया कि उसे रात रात भर पिटायी की जाने लगी। सबसे दुखद पहलु यह हैं कि इस मसले पर ससुराल के लोग चुप्पी साधे हुए हैं।स्वाती के लिए आज हर रात एक खोफनाक रात के समान हैं रोज उसे नये नये तरीके से प्रताड़ित किया जा रहा हैं। लेकिन वह सब कुछ सह रही हैं बस इस उम्मीद से की एक दिन ऐसा आयेगा कि उसका सत्या पहले जैसा प्यार करेगा।पता नही कब वह दिन आयेगा लेकिन मैं तो दोराहे पर खड़ा हुं एक तरफ मेरे ससुराल वाले हैं तो दूसरी और मेरी पत्रकारिता मैंने तय किया हैं कि अगर कोई घटना घटती हैं तो मेरी लड़ाई स्वाती को न्याय दिलाने के पंक्ष में रहेगी।शायद मेरे इस व्यवहार से लोग चेते और जेल जाने का डर भी रहे।लेकिन इस मसले का दूसरा पंक्ष यह भी हैं कि लड़की के पंक्ष में उसका बाप भी नही हैं।वो भी अपनी बेटी को यही नसीहत दे रहे हैं कि किसी तरह स्थिति को संभालो। पता नही स्वाती किस हाल में हैं लेकिन मेरा एक सवाल आप सबों से हैं और दुनिया बनाने वाले से भी हैं कि लड़की में जन्म लेना क्या वाकई अभिशाप हैं।यह मेरी लड़ाई हैं नही हैं इस जहां की लड़ाई हैं आपके आसपास रोजना इस तरह के वारदात होते रहते हैं लेकिन हम सब लड़कियों पर आरोप मंढ कर उस पर जुल्म करते हैं य़ा फिर जुल्म होते देखते रहते हैं ।

गुरुवार, सितंबर 24, 2009

नीतीश जी यह कैसा सुशासन हैं।

दुहाई हो नीतीश जी आपके सुशासन में यह क्या हो रहा हैं,पुलिस सरेआम आमलोगो की पिटाई करता हैं और आपकी सरकार उस अधिकारी को बचाने में लगा हैं।मामला बेगूसराय में एक निरीह साईकिल सवार का हैं जिसे पुलिस ने सरेआम पिटाई की हैं।शुक्र हैं ब्लांग पर खबड़ आने के बाद दिल्ली के एक बड़े पत्रकार द्वारा पुलिस मुख्यालय से पुछताछ करने के बाद दामन बचाने के लिए आनन फानन में कारवाई की गयी। बेगूसराय के नगर थानेदार विश्वरंजन को लाईन हाजिर कर दिया गया हैं।सरेआम एक निर्दोष को आमानवीय तरीके से पीट रहा हैं उससे भी मन नही भरता हैं तो पुलिस अपने बूट से सिर को तब तक कुचलता हैं जब तक वह लहुलहान नही हो जाये ऐसे मामले में महज थानेदार को लाईन हाजिर करना कहा का इंसाफ हैं।क्या नीतीश के शासन में न्याय की यही परिभाषा हैं। पूरे मामले का यह एक पंक्ष हैं दूसरा पंक्ष तो और भी घिनौंना हैं शायद आज जेनरल डायर भी रहता तो इस कृत्य को देख कर नौकरी छोड़ देता।जब पुलिस मुख्यालय ने मामले को लेकर बेगूसराय एसपी0 से पुछताछ करनी शुरु की और तय हो गया कि कारवाई होगी। तो आनन फानन में उस साईकिल वाले की खोज शुरु हुई पता चला वह व्यक्ति लक्ष्मण साह बस स्टेंट में रिक्शा चला रहा हैं। इतनी पिटाई के बावजूद दो वक्त की रोटी के लिए लक्ष्मण सुबह से ही रिक्शा चला रहा था।सूचना मिलते ही नगर थाने की पूरी फोर्स बस स्टेट को घेर लिया चारो और पुलिस को देख कर लक्ष्मण बस के नीचे छुप गया इस डर से की आज पुलिस किसकी पिटाई करने आया हैं।काफी खोजबीन के बाद भी लक्ष्मण जब नही मिला तो पुलिस वाले उसके रिक्शे को तोड़ने लगा यह देख लक्ष्मण को रहा नही गया और बस के नीचे से बाहर निकल कर चिल्लाने लगा। देखते देखते पुलिस उसे उठाकर गाड़ी में बैंठा लिया और सीधे नगर थाना पहुचा ।जहां पहले से एफआईआर का मजबून तैयार था बस नाम और पता भरना बाकी था।पहुचते ही सारी प्रक्रिया आनन फानन में पूरी की गयी और लक्ष्मण को पुलिस पर जानलेवा हमला करने के आरोप में जेल भेज दिया गया।घायल में वे सभी पुलिस वाले का नाम दर्ज हैं जो बूट से लक्ष्मण की बेहरमी से पिटाई किया था।यह सारा खेल जिला मुख्यालय में खेला गया जहां डीएम0,एसपी0और जिला जज बैठते हैं।लक्ष्मन की लड़ाई में आपका सहयोग अपेक्षित हैं ।

बुधवार, सितंबर 23, 2009

बिहार पुलिस का यह हैं पीपुल्स फ्रेडली चेहरा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेलगाम शासन व्यवस्था का यह महज एक वानगी हैं आम लोगो का क्या हाल हैं आप खुद देखे।साईकिल सवार की गलती सिर्फ इतनी ही हैं कि वह जाम हटा रहे पुलिस के बीच से निकलना चाह रहा था।निरीह साईकिल सवार पर डंडा चलाने वाले कोई और नही बेगूसराय जिले के सबसे महत्वपूर्ण थाना नगर थाने का थाना अध्यक्ष विश्व रंजन हैं।थाना अध्यक्ष को इससे भी मन नही भरा तो उसके चेहरे को जूता से तब तक मसलता रहा जब तक उसके मुंह से खुन नही निकल गया।इस मर्दगानगी का क्या मतलब हैं किसी को समझ में नही आ रहा हैं। थानेदार कितने दुसाहसी हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता हैं कि थानेदार के हरकत को कैमरे में कैंद करने वाले स्थानीय अखबार के फोटोग्राफर को इतनी पिटाई किया कि उसका हाथ टुट गया हैं और अस्पताल में भर्ती हैं।घटना के 24घंटे हो गये हैं लेकिन कारवाई तो दूर बेगूसराय के एसपी0सुलह कराने में लगे हैं।ये वही थानेदार हैं जिनकी पत्नी मुकदमें में मदद करने के नाम पर लाखों रुपये का जेवरात जबरन दुकान से ले आयी थी। जब दुकानदार इसका फरियाद लेकर दानेदार के पास पहुंचा था तो तीन दिनों तक लांक्प में बंद रखा था।बेगूसराय के तत्तकालीन विधायक और मंत्री भोला सिंह तत्तकाल इस थानेदार को हटाने की मांग की थी लेकिन कारवाई तो दूर इन्हे पुरस्कृत करते हुए नगर थाने का थाना अध्यक्ष बना दिया गया। इस तरह के दर्जनों शिकायतों पर अभी भी जांच चल रही हैं लेकिन कारवाई तो दूरे इन्हे तीन माह के अंदर ही पुन बेगूसराय जिला बुला लिया गया। आम लोग सरेआम यह आरोप लगा रहे हैं कि सुशासन बाबू के विरादरी के होने का करण इस पर कोई कारवाई नही हो रहा हैं।इससे भी दुखद पहलु यह हैं कि इस मामले को लेकर मीडिया पूरी तरह से मौंन हैं और सुशासन बाबू के इमेंज को बचाने में लगा हैं।

सोमवार, सितंबर 21, 2009

बिहार को जलाने की रची गयी थी साजिश

रात के लगभग दो बज रहे थे अचानक मेरे मोबाईल की घंटी बजी मोबाईल की घंटी सुनते ही आत्मा दहल गया कि आखिर इतनी रात को क्या हो गया हैं, जो कोई पत्रकार को फोन कर रहा हैं।जब तक मोबाईल उठाता रिंग बंद हो गया आंनन फानन में मिसकांल देखा तो नम्बर था पटना जिला के सूचना जनसम्पर्क पदाधिकारी का इतनी रात गये प्रशासनिक अधिकारी का मोबाईल नम्बर देख कर मेरी नींद उड़ गयी । तुरंत कांल बेंक किया तो डायल किया गया नम्बर व्यस्त हैं की आवाज आने लगा यह सिलसिला लगभग दो तीन मिनट तक चलता हैं।जैसे जैसे बात नही हो रही थी मेरी बैंचेनी बढती जा रही थी,अचानक मोबाईल लगा गया घबराये स्वर में उस और से डीपीआरओ0 की आवाज आती हैं संतोष जी आपही को फोन लगा रहे थे।तुरंत पटना डीएम और कोमफेट के एमडी0 अतिश चन्द्रा से बात कर ले। डीपीआरओं से मैं पुछा इतनी रात गये क्या बात हैं संतोष जी मदद किजिए बिहार जल जायेगा।इतना सुनते ही मोबाईल काट दिया और पटना डीएम0को मोबाईल लगाया जैसे ही रिंग हुआ डीएम0तुरंत फोन उठा लिये नमस्कार मैं ई0टी0भी0से संतोष बोल रहा हुं।इतना सुनते ही डीएम0ने कहा संतोष जी अफवाह फैल गया हैं कि सुधा के दुध में जहर हैं और लोग सड़को पर आ गये हैं और जगह जगह सुधा के गाड़ी पर हमला किया जा रहा हैं आप तुरंत एम0डी0साहब के इस मोबाईल नम्बर पर बात कर ले। मोबाईल काटते हुए एमडी0के मोबाईल पर रिंग किया जैसे ही रिंग हुआ हैलो मैं अतिश चन्द्रा बोल रहा हू, मैंने जबाव दिया संतोष ई0टी0भी से बोल रहा हूं।संतोष जी पूरे बिहार में यह अफवाह फैलाया जा रहा हैं कि सुधा के दूध में जहर मिला हैं।इसकी हमने जांच भी करा दी हैं ऐसी कोई बात नही हैं जरा खबर चला दे कि सुधा के दुध में जहर बाली बात पूरी तरह गलत हैं और इस पर ध्यान न दे। इतनी रात गये अपने डैक्स पर फोन करना थोड़ा अटपटा लग रहा था कि एसी0में बैंठे मेरे मित्र को कही नागवार न गुजरे खैर मैंने फोन किया औऱ फोन उठाने वाले बन्धु को सांरी कहते हुए मामले की जानकारी दी। कहा संतोष जी हमलोग तो रात11बजे से ही परेशान हैं बिहार और झारखंड के कई जिलों से मेंहदी लगाने से सैंकड़ो महिलाओं के अस्पताल में भर्ती होने की खबड़ आ रही हैं वही कई जिलों से भिजुउल भी आ गया हैं।मैंरे दिमाग में तुरंत कौंधा की कही मामला गणेश भगवान के दुध पिलाने जैसा तो नही हैं।तभी डीएम0पटना का फोन आया आपके इस मैहरवानी के लिए हमारे पास शब्द नही हैं आप के चैनल ने तो फलैंस करना शुरु कर दिया हैं।मैने सवाल किया कि इसमें परेशान होने की कोई बात तो नही हैं इसी बीच बातचीत के दौरान अचानक फायर बिग्रेड के साईरन की आवाज सुनाई दी,मैने पुछा क्या सर आप लोग सड़क पर हैं। संतोष जी स्थिति काफी तनावपूर्ण हैं ईद के कारण मुसलिम महिलाये मेंहदी लगायी और इतना बड़ा बवाल हो गया हैं दानापुर और पी0एम0सी0एच0में लोगों ने बवाल मचाने का प्रयास किया हैं।अब मामला दुध का फैल गया हैं सेवई बनाने के लिए मुसलिम भाई दुध लेने के लिए बूथ पर आ रहे थे इसी बीच यह अफवाह फैल गया कि सुधा के दुध में जहर मिला हुआ हैं। लोग काफी उग्र हैं।अब समझ में आया कि मामला कितनी भयावह हैं।फौरन आफिस फोन करके कैमरा मैंन को शीघ्र पी0एम0सी0एच0 जाने को कहा जहां आक्रोशित लोग सुधा डेरी के गांड़ी को जलाने का प्रयास कर रहे थे।इस खबड़ को फलैंस करने के बाद भागे भागे टी0भी0 खोला तो कई खबड़िया चैनल पर खबड़ चल रही थी मेंहदी लगाने से हजारों महिलाये बिहार अस्पतालों में, मची हैं अफरातफरी कैमूर में दो महिलाओं की हुई मौंत,एंकर चीख चीख कर खबड़ के अपडेन्टस दे रहे थे।वही सूधा के दूध पीने से लोगो के बिमार होने की खबड़े भी आ रही थी इसी बीच खबड़ फलैंस होता हैं इमाम ने सुधा का दूध सहित पांकेट में बंद समान नही लेने का जारी किया फतवा ,ऐसे खबड़े चल रही थी की जैसे पूरे बिहार झारखंड में कोहराम मच गया हैं।जब मैं अपने चैनल पर गया तो खबड़ अपवाह पर ध्यान नही देने को काफी प्रमुखता से दिखाया जा रहा था।इसी बीच मैं पटना के सिविल सर्जन को फोन किया मैंने पुछा क्या हो रहा हैं सर उन्होने कहा किसी को कुछ नही हुआ हैं अपवाह इस कदर फैंली हैं कि लोग बदहवास होकर अस्पताल आ रहे हैं और हम लोग ऐभील देकर जाने के लिए कह रहे हैं अभी तक एक भी सिरियस मरीज नही आया हैं।संतोष जी एक मदद करिये लोगो के बीच फैंल रहे अफवाह पर किसी तरह रोके। मैंने तत्तकाल स्वास्थय सचिव का नम्बर मांगा नम्बर मिलते ही मैंने रींग किया मोबाईल उठाते ही उन्हे सारी बात बतायी उन्होने कहा कि मैं दिल्ली में हू ,मैंने कहा आपका इस बार बयान दे जिससे लोगो में भय का वातावरण खत्म हो।उन्होने कहा पाच मिनट में कांल बेंक करते हैं,मोबाईल काटते ही मैंने पुलिस प्रवक्ता और एडीजीपी(पुलिस मुख्यालय)को रिंग किया मैंने कहा सोरी सर इतनी रात को फोन कर रहा हूं उन्होने कहा कि नही नही मैं भी जगा हुआ हैं।बातचीत में दोनो घटना पर मुख्यालय द्वारा मोनेटरिंग करने की बाते सामने आयी।मैंने कहा ठिक हैं सर फिर बात करते हैं,। मैं सोचने लगा कि मुख्यालय के हवाले से किस अंदाज में खबड़ चलाया जाय क्यो कि एडीजीपी0और मेरे बीच इतना अंडर ऐसटेनडिंग हैं कि उनके हवाले से मैं खबड़ चला सकते हैं।मैंने खबड़ फलैस किया अफवाह फैलाने वाले पर होगी सख्त कारवाई ,स्पीडी ट्रायल के तहत चलेगा मुकदमा पूरे सूबे के पुलिस को किया गया एलर्ट।खबड़ फैलेस होते ही थोडी देर बाद एडीजीपी0का फोन आया संतोष जी क्या खबड़ चला रहे हैं कई एस0पी0का फोन आय़ा हैं जब मैने बताया कि ये खबड़े चल रही हैं उन्होने थैक्स दिया। इसी बीच स्वास्थय सचिव का फोन आया कि मेरे हवाले से खबड़ चला सकते हैं जो आप बेहतर समझे।उनसे बातचीत के आधार पर मैंने मेंहदी और दूध मामले की जांच का आदेश के साथ साथ अपवाह पर ध्यान नही देने से समबन्धित फलैंस स्वास्थय सचिव के हवाले से चला दिया। लगभग 11बजे दिन में डी0पी0आर0ओं का फोन आया संतोष जी आपके कार्य की भूरी भूरी प्रशंसा हो रही हैं आप के चैनल ने बड़ी साजिश को नकाम करने में प्रशासन को काफी मदद पहुचाई हैं।बाद मैं डीएम0पटना,एमडी0कोमफेंटऔर स्वास्थय सचिव का भी बधाई का फोन आया।एमडी0ने यहा तक कहा कि संतोष जी दो लाख लीटर दूध की बिक्री हुई हैं पूरी संस्था की और से आप को बधाई। लेकिन हमारे लिए महत्वपूर्ण तथ्य यह था कि आखिर यह अफवाह फैला कैसे लोगो से बातचीत करने पर पता चला कि मेंहदी की खबड़ रांची से फैली हैं।जब अपने रिपोटर से रांची बात किया तो कहा कि अपवाह ऐसा था कि हर पांच मिनट पर लोग फोन कर रहे थे कि मेंहदी लगाने से फलाने जगह दो की मौंत हो गयी तो रिम्स में दो सौ से अधिक महिला भर्ती हो चुकी हैं भागे भागे जब रिपोटर रिम्स पहुचा तो कही कोई नही था डां0 ने बताया कि कुछ महिलाये आयी हुई थी इलाज के बाद घर चली गयी हैं।जिस जिस अस्पताल के बारे में कहा जा रहा था सभी अस्पतालों का यही हाल था।यह खबड़ इस तरह फैला की लोग अपने रिश्तेदार को जगह जगह फोन कर मेंहदी नही लगाने की सलाह देने लेगे जो मेंहदी लगा रखी थी वो एन्टीएलर्जी दवा लेने लगी।एक माह से उपवास के बीच एन्टीएलर्जी दवा लेने से महिलाओं को नशा आने लगा देखते देखते कोहराम मच गया इसी तरह के एन्टीएलर्जी दवा लेने वाली कई महिलाये पी0एम0सी0एच0पहुंच गयी डां0से मन मिचलाने और भोमेंटिंग की टेन्टेंसी होने की बात बताने पर डां0ने खाना खाने के बारे में पुछने लगा अधिकांश महिलाये दुध खायी हुई थी।देखते देखते अस्पताल में हल्ला होने लगा कि दुध में जहर मिलाया गया हैं।यह अफवाह इतना तेजी से फैला की चंद मिनटों में पूरे बिहार में कोहराम मच गया। लेकिन मामला जितना सीधा लग रहा हैं उतना सीधा भी नही हैं कही न कही इस मामले को संप्रदायिक रंग देने और दंगा फैलाने की साजिश से भी इनकार नही किया जा सकता हैं।खैर इस स्थिति में प्रशासनिक अधिकारी ने जिस सुझ बुझ का परिचय दिया उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाये कम ही होगा।

रविवार, सितंबर 20, 2009

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पाखंड-भाग-1

भारतीय राजनैंतिक इतिहास में शायद चाणक्य के बाद किसी और राजनेता की नीति पर बहस की जा सकती हैं तो वह हैं नीतीश कुमार, जिनकी नीति के सामने चाणक्य नीति भी मात खा जायेगी।यह संयोग ही हैं कि इतिहास जिस चाणक्य को पाटलिपुत्र के शासक के मंत्री के रुप में जानता हैं। उसी पाटलिपुत्र के सिंहासन पर आज नीतीश विराजमान हैं।दोनो में फर्क सिर्फ इतना हैं कि चाणक्य ने अपने नीति का उपयोग पाटलिपुत्र के वेभव को बढाने में किया वही नीतीश अपने नीति के सहारे पूरे देश को बेवकूफ बनाकर पाटलिपुत्र के वेभव को मिटाने में कर रहे हैं।आज के समय नीतीश कुमार को लेकर यह टिप्पणी करना शायद लोगो को नागवार गुजरे लेकिन नीतीश के नीति को लेकर लोगो के अंदर जो भ्रम हैं उसे बाहर निकालना एक पत्रकार की सबसे बड़ी जबावदेही हैं।इसी जबावदेही को निभाते हुए मैंने नीतीश के पाखंड को आपके सामने लाने के लिए आज से एक अभियान शुरु किया हैं।इस अभियान का मकसद हैं पाटलिपुत्र के गौरवशाली इतिहास के सहारे लोगो को जागृत करना।------- शुरु करते हैं नीतीश कुमार के उस नीति को जिसको लेकर वे इन दिनों सुर्खियों में हैं।नीति हैं राजनीत में परिवारवाद का इन्होने बिहार विधानसभा के उप चुनाव में सासंद ,विधायक और मंत्री के परिवार को टिकट नही देने का फैसला लिया।नीतीश कुमार के इस फैसले को लेकर मीडिया में जमकर तारीफ हुई और लिखने वाले यहां तक लिख डाले की नीतीश कुमार उपचुनाव भले ही हार गये हो लेकिन इतिहास उन्हे एक सुधाकर के रुप में याद रखेगा।दैनिक हिन्दुस्तान के स्थानीय संपादक अंकु श्रीवास्तव ने तो संपादकीय पेज पर नीतीश की इस नीति पर पूरा आलेख ही लिख डाला जिसमें नीतीश कुमार के इस कदम को भारतीय राजनीत में एक क्रांतिकारी कदम मानते हुए नीतीश कुमार को एक नायक के रुप में पेश किया गया। इसी तरह का लेख बिहार के चर्चित पत्रकार सुरेन्द्र किशोर ने भी लिखा।नीतीश के इस फैसले पर लगा जैसे देश मं राजनीत की एक नयी बयार निकल पड़ी हो हिन्दी अखबार को कौन कहे अंग्रेजी अखबार के बड़े बड़े विद्वान नीतीश के इस फैसले पर कलम तोड़ने लगे ।लगा कि राजाराम मोहन राय के बाद देश में कोई दूसरा सबसे बड़ा सुधारक अवतरित हुआ हो। लेकिन जब चुनाव परिणाम सामने आया तो नीतीश के हार को लेकर मीडिया के परोधाओं मैं राजनीत मैं परिवारवाद के प्रयोग को हार का एक बड़ी बजह दिखाने का होड़ लग गया।दैनिक हिन्दुस्तान ने अपने संपादकीय में लिखा कि नीतीश कुमार और शरद यादव ने परिवारवाद को लेकर जो कदम उठाये वह हार का कारण बना हैं तो इसे सकारात्मक परिणाम कहा जा सकता हैं बिहार की जनता में परिवारवाद की बिमारी इस कदर घर कर गयी हैं कि उससे निजात के लिए और काम करने की जरुरत हैं।कहने का मतलब यह हैं कि नीतीश के हार से एसी0मैं बैठने वाले विद्वान मित्र इतने विचलित हो रहे हैं कि इसके लिए बिहार की जनता को ही जबावदेह ठहराने लगे।इसी तरह की टिप्पणी प्रभात खबर में सुरेन्द्र किशोर द्वारा लिखे गये,कैसे बदला तीन महीने में मतदाताओं का मूड,आलेख में देखा जा सकता हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में मेरी कोई विसात नही हैं और ना ही मैं बड़े घराने से जुड़ा हुआ हैं। लेकिन पिछले दस वर्षों की पत्रकारिता में प्रखंड से लेकर राजधानी तक के पत्रकारिता का सकारात्मक अनुभव जरुर हैं।मुझे मुखिया के चुनाव से लेकर सासंद,विधायक और मुख्यमंत्री बनने के चुनाव को बड़ी ही बारीकी से देखने और समझने का अवसर जरुर मिला हैं। मुझे बेहद दुख के साथ कहना पड़ रहा कि हमारे विरादरी के लोक जनता से काफी दूर हो गये हैं।पटना से चुनाव के दौरान भ्रमण कर जनता के नब्ज के टटोलने का दावा करने वाले पत्रकार बंधु नीतीश कुमार जो बोलते हैं उसके कुटनीति को समझने का प्रयास करे। आपके जरिये किस तरह वे अपना स्वार्थ सिद्दी कर रहे हैं कभी आप ने सोचा हैं।नीतीश कुमार की कुटनीति का सबसे पहला मंत्र हैं ऐसे विचारों को सामने लाये जो आदर्श स्थिति की बात करने वाले को लगे कि नीतीश महान राजनेता हैं। अब जरा उनके परिवारवाद के सिद्धात का विशलेषण करे नीतीश कुमार के कहा था कि परिवारवाद स्वस्थय राजनीत के लिए बड़ी बाधा हैं और इसके कारण जमीन पर कार्य करने वाले कार्यकर्ता निराश होते हैं।इस बार के चुनाव में मेरी पार्टी किसी भी सांसद,विधायक और मंत्री के रिश्तेदार को टिकट नही देगी।पार्टी इस बार अपने समर्पित कार्यकर्ताओं को टिकट देगी जिससे पार्टी नेतृत्व के प्रति कार्यकर्ताओं में विश्वास जगेगा।नीतीश कुमार के इस बयान पर भूचाल आ गया बिहार के सभी अखबारों ने नीतीश के इस बयान को काफी प्रमुखता से छापा और इसको लेकर सभी अखबारो ने कांलम शुरु कर दिया ।लेकिन नीतीश को महिमामंडीत करने के इस होड़ में, पत्रकार बंधु बिहार के जिस बारह सीटों पर नीतीश ने अपना उम्मीदवार खड़े किये उनकी राजनैतिक हैसियत क्या हैं किस आधार पर टिकट दिया गया हैं उसकी पड़ताल करने की जिम्मेवारी भी भूल गये। शायद यह भूल नही करते तो नीतीश कुमार के हार का ठिकरा आप बिहार की जनता पर नही फोड़ते।नीतीश कुमार जहानावाद और गोपालगंज के सासंद जगदीश शर्मा और पूर्णमासी राम के पत्नी और बेटे को टिकट नही देकर जिस परिवारवाद का डंका पिटे उनसे जरा पुछे घौरैया विधानसभा से जद यू के टिकट पर चुनाव जीतने वाले मनीष कुमार की क्या राजनैतिक हैसियत हैं।पटना में जन्म लिया यही पला बढा और इन्हे पार्टी ने बांका जिले के घौरेया विधानसभा क्षेत्र से टिकट दे दिया जरा मैं पुछना चाहता हू अपने विरादारी के लोगो से मनीष कुमार को किस आधार पर नीतीश कुमार ने टिकट दिया न तो यह बांका जिले का रहने वाला हैं और ना ही जद यू का समर्पित कार्यकर्ता हैं इसकी योग्यता सिर्फ यह हैं कि ये विधानसभा अध्यक्ष के रिश्तेदार हैं । क्या परिवारवाद में सिर्फ पत्नी बेटा ही आता हैं कहां गया नीतीश की घोषणा जमीनी कार्यकर्ता को पार्टी टिकट देगी।इसी तरह त्रिवेणीगंज से चुनाव जीतने वाले दिलेश्वर कामत को ले ये जनाव एक वर्ष पूर्व रेलवे की नौंकरी से रिटायर हुए हैं और पार्टी इन्हे टिकट देती हैं।नौतन विधानसभा से चुनाव लड़ने वाली मनोरमा देवी इसी वर्ष शिक्षक पद से रिटायर हुई हैं बेतिया के एक बड़े डां की पत्नी हैं इनकी राजनैंतिक हैसियत यह हैं कि जहां से यह चुनाव लड़ रही थी उस क्षेत्र में कितने पंचायत हैं यह भी इन्हें पता नही था। पत्रकारों ने जब जद यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बारे में जानना चाहा तो पार्टी अध्यक्ष का नाम भी ठीक से नही बता पायी। औराई विधानसभा क्षेत्र से इन्होने मुजफ्फपुर के एक बड़े ठिकेदार जो चुनाव के दो वर्ष पूर्व तक जद यू का प्राथमिक सदस्य भी नही था उसको टिकट दिये।कहने वाले तो यहां तक कह रहे हैं कि पार्टी की टिकट के लिए बोली लगायी गयी और सबसे अधिक बोली लगाने वाले को टिकट दिया गया।12 उम्मीदवारों में एक को छोड़कर ऐसा कोई भी प्रत्याशी आपको नही मिलेगा जो जमीनी कार्यकर्ता था या फिर पार्टी का वफादार सिपाही।कहने का मतलब यह हैं कि परिवारवाद के आर में नीतीश कुमार की पार्टी ने वो सारा कुकर्म किया जिसको लेकर भारतीय लोकतंत्र बदनाम हैं।

रविवार, सितंबर 13, 2009

ये हैं मेरा बिहार

काफी लम्बे अर्से बाद राजधानी हस्तिनापुर के बाहर नेताओं और अफसरों के कागजी डाटे को देखने और समझने का मौंका मिला। अवसर था उपचुनाव का, मेरी डियूटी लगी थी समस्तीपुर जिले के वारिसनगर विधानसभा क्षेत्र में यह सीट दलित नेता रामविलास पासवान के भाई के बगावत के कारण खाली हुआ हैं।वर्षों से इस सीट पर रामविलास पासवान के रिश्तेदारों का कब्जा रहा हैं।रामविलास पासवान भी इस क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं और अनुज रामचन्द्र पासवान यहां से लगातार दो बार सांसद रह चुके हैं।इसलिए मेंरी रिपोर्टिंग का ऐंगल शुरु से ही दलित राजनीत और नीतीश सरकार के महादलित और अति पिछड़ा समीकरण और विकास के दावे पर केन्द्रीत रहा। शाम से देर रात तक मित्र मंडली के साथ बाते हुई और जमकर खाना पीना हुआ जिस दौरान सरकार के सुशासन के दावे से लेकर विकास पर भी चर्चाये हुई।भ्रष्टाचार बहस का मुख्यविन्दु रहा इस महफिल में पदाधिकारी से लेकर व्यवसायी तक मौंजूद थे।सुशासन पर चर्चाये शुरु हुई तो जिले के पुलिस कप्तान का मामला बहस का मुख्य ऐंजडा रहा।नीतीश कुमार के कार्यकाल में समस्तीपुर जिले में चार एस0पी0 आये जिसमें अम्बेदकर पर तबादले होने के बाद एक दर्जन से अधिक थानेदारों का मोटी रकम लेकर पोस्टिंग करने का आरोप हैं।इसकी जांच तत्तकालीन आई0जी0आर0एल0कनौंजिया ने किया था। जिसमें एस0पी0दोषी पाये गये लेकिन सरकार कारवाई करने के बजाय अम्बेकर को प्रमोंटकर डी0आई0जी0 बना दिया। यही स्थिति शोहाब अख्तर,सुरेन्दलाल दास के समय चला कहने वाले तो यहां तक कहे कि एक थाने की किमत तीन से चार लाख होती थी,बैंठकी में मौंजूद पुलिसअधिकारी भी इसकी मौंन स्वीकृति दे रहे थे बातचीत में ये बाते भी सामने आयी कि एस0पी0के इस कमाई में मुख्यमंत्री के करीबी विधायक को प्रतिमाह शेयर निर्धारित था जिसके कारण लगातार क्रायम होने के बाद भी एस0पी0का बाल बाका नही हुआ।इसका प्रभाव थाने के कार्यशैली पर भी देखने को मिला जनता पर झूठे मुकदमें किये गये और अपराधियों की तूति बोलती रही। बातचीत के दौरान समय का पता भी नही चला घड़ी पर नजर पड़ी हो रात के एक बज रहे थे। भ्रष्टाचार के इस सच को जानकर बची हुई रात भी बिस्तर पर करवट बदलते गुजर गयी खैर सुबह सुबह तैयार होकर लोकतंत्र के महापर्व को देखने निकल गया। अधिकांश मतदान केन्दों पर वोटर नदारत थे।नीतीश कुमार के समीकरण वाले मतदान केन्द्र पर भी यही स्थिति थी।राशन और किराशन को लेकर महिलाये ज्यादा उग्र थी बौंआ पाच माह से राशन नई मिल रहे छई,एक महिला से जिसकी उर्म करीब साठ की होगी मैंने पुछा जब राशन और बिना पैंसा दिये इंदिरा आवास नही मिल रहा हैं तो फिर वोट देने क्यों आयी हो उसकी बात सुनकर मैं भौंचक रह गया।बौंआ वोट दयी छिए इ उम्मीद से की कही तो अच्छा आदमी विधायक मंत्री बनथिन त हमरा सब के न्याय भेटंतय।इन्हे कौंन समझाये कि इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अच्छे व्यक्ति के विधायक बनने की सम्भावना हैं ही नही। मतदान केन्द्रों के भ्रमण का सिलसिला जारी था इसी दौरान बूथ संख्या 75पर पहुचे जहां चुनाव एक हरिजन चौपाल पर चल रहा था और उसी के साथ चाय की दुकान भी चल रही थी जिस पर तैनात पुलिसकर्मी के साथ साथ गांव वाले चाय बिस्कुट खा रहे थे। यह देख कर थोड़ा अटपटा भी लगा गांव वालों से बात हुई तो पता चला कि इस गांव में कोई भी सरकारी भवन नही हैं यह चौपाल आज के दस वर्ष पूर्व विधायक जी बनवाये थे जिसमें चाय नास्ता और खाने के सामन की दुकाने चलती हैं ।स्कूल था जो पांच वर्ष पूर्व ही गिर गया हमलोग अपना जमीन दिये हैं स्कूल भवन का नीव तीन वर्ष पूर्व पड़ा लेकिन अभी तक बना नही हैं पता चला कि मुखिया और बीडियों मिलकर दस लाख रुपया निकाल लिया हैं और स्कूल काजग में बनकर तैयार दिखाया गया हैं। मीडियाकर्मीयों के लिए इससे बेहतर और क्या हो सकता हैं खबड़ बनी दलित बस्ती में एक भी सरकारी भवन नही ,चाय की दुकान पर चल रहा हैं मतदान ,दलित वोट बैंक पर राजनीत करने वाले पासवान के क्षेत्र का हैं यह हाल.बीडियों मुखिया ने कागज पर स्कूल भवन बनाया।दोपहर बारह बजे से यह खबड़ चलने लगी देखते देखते तमाम आलाधिकारी उस मतदान केन्द्र पर पहुंच गये और चाय के दुकान का अवशेष तक नही बचा। इसकी सूचना मुझे भी मिली मैं भी भागे भागे उस गांव में पहुचा मुझे लग रहा था कि चाय की दुकान हटाने पर गांव वाले नराज होगे लेकिन गांव में पहुंचते ही सभी लोग घर से बाहर आकर मेरी प्रशंसा करने लगे चलिए इसी बहाने प्रशासन के लोग यह तो जाने की यह भवन सरकारी स्कूल नही हैं सरकारी स्कूल कागज में बन गया हैं।देर शाम तक क्षेत्र में घुमते रहे और खबड़ का असर मेरे चैनल पर चलता रहा चुनाव आयोग ने भी डीएम0 से पूरे मामले की रपट मांगी।मुझे लगा कि चलो समस्तीपुर आना सार्थक हुआ। इस खबड़ को लेकर समस्तीपुर की जनता ने भी काफी बधायी दी लेकिन शाम होते होते नजारा बदलने लगा हमारे बिहार प्रभारी पर इस खबड़ का खंडन जारी करने का दवाव बनाया जाने लगा ।डीपीआरओं की भाषा बदल गयी जो दिन भर मतदान का प्रतिशत बता रहा था।डीएम0ने यहां तक कह दिया कि हमारे इक्छा के विपरित खबड़ नही चलती हैं और ना ही छपती हैं।प्रबंधन से इतने सवाल जबाव होने लगे कि मेंरी सारी खुशी तनाव में बदल गया।रात्री दस बजे खबड़ के खंडन के लिए डीएम0की जगह फोन लाईन पर डी0पी0आर0ओं मजूद था।टी0भी0स्क्रिन पर चाय की दुकान वाली और कारवाई के बाद बंद पड़े दुकान का भिजुउल साथ चल रहा था और डी0पी0आर0ओं0थोथी दलील दिये जा रहा था।खैर जनता ने प्रशासन के सफेद झुठ पर जमकर उपहास उड़ाया। इस मसले का जिक्र करना इसीलिए अनिवार्य समझा की बिहार में मीडिया पर किस तरह का दवाव हैं कि आप सच्ची बात नही तो दिखा सकते हैं और ना ही छाप सकते हैं।ऐसा करेगे तो आपके अखवार या फिर चैनल को सरकारी विज्ञापन नही दिया जायेगा।यह प्रवृति इसलिए बढ गयी हैं कि यह सब सरकार के स्तर पर हो रहा हैं। इसी की परीणति हैं कि आये दिन मीडिया वाले पर झूठे मुकदमें दायर हो रहे हैं। वही इस सच्ची खबड़ पर इस तरह का दुहसाहस करने वाले डीएम के बारे में पता किया तो भौंचक रह गया डीएम खुद आरक्षण के आधार पर सिविल सर्विस में आय़े हैं और इनकी डीएम में पहली पोस्टीग समस्तीपुर में हुई हैं ये यंग हैं लेकिन आलोचना इन्हे पंसद नही हैं।यह सब स्कूल की राशी हरपने वाले बीडियों और मुखिया के इशारे पर किया गया हैं ।

मंगलवार, सितंबर 08, 2009

नीतीश जी इतने गुस्से में क्यों हैं।

बिहार में 18 विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव हो रहा हैं। सभी राजनैतिक दल इस चुनाव को सेमीफाईनल मान रही हैं और पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रहे हैं।नीतीश कुमार का सारा मंत्रीमंडल इन क्षेत्रों में कैम्प कर रहे हैं वही मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का हेलीक्पटर से तुफानी दौड़ा चल रहा हैं।दोनो नेताओं का एक विधानसभा क्षेत्र में आठ से दस चुनावी सभाये हो रही हैं य़ही स्थिति लालू और पासवान का हैं।राजद और लोजपा के विधायक गांव गांव में कैम्प किये हुए हैं वही कांग्रेस ने भी अपनी पूरी फौंज गांव में उतार दी हैं।कई केन्द्रीय मंत्रीयों का दौड़ा हो चुका हैं और आज कल में कई और दौड़ा होने वाले हैं। राजनैंतिक टीकाकार भी इस चुनाव से खासा उम्मीद कर रहे हैं।यह चुनाव लालू प्रसाद और रामविलास पासवाने के लिए अस्तित्व की लड़ाई हैं इस चुनाव में लोकसभा चुनाव जैसा हस्र हुआ तो इनकी पार्टी की लोटुआ डुमनी तय हो जायेगी।वही कांग्रेस दो तीन सीट भी जीत लिया तो आने वाले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को बड़ी चुनौती दे सकती हैं।वही दूसरी और जिस तरिके से नीतीश कुमार ने पार्टी को परिवारवाद के चंगुल से बाहर निकालने का साहस दिखाया हैं।अगर परिणाम अनुकुल नही हुआ तो नीतीश कुमार को पार्टी के अंदर विरोध का सामना करना पड़ सकता हैं। चुनाव परिणाम जो भी हो लेकिन नीतीश कुमार के विकास के दावे पर बिहार की जनता ने सवालिया निशान लगा दिया हैं।कई चुनावी सभा में नीतीश कुमार को विरोध का सामना करना पड़ा हैं।सोमवार को समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र में यहां की जनता ने पिछले चालीस वर्षों से बागमती नदी पर पुल बनाने को लेकर हो रहे आन्दोलन का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री से पुल बनाने की मांग की। लेकिन मुख्यमंत्री इस मसले को पूरी तरह अनदेखी कर सभा को आगे बढा रहे थे ।सभा में उपस्थित ग्रामीण मुख्यमंत्री के इस रवैये पर हंगामा करने लगे और देखते देखते स्थिति इतनी बिगड़ गयी की मुख्यमंत्री को बिना भाषण दिये हुए जाना पड़ा। हद तो तब हो गयी जब मुख्यमंत्री जाते जाते कह गये कि आप के वोट की मुझे जरुरत नही हैं।यह पहली सभा नही हैं जहां विकास के नाम पर नीतीश जी को विरोध का सामना करना पड़ा हैं।यही स्थिति बिहार सरकार के मंत्रीयों को भी झेलना पड़ रहा हैं।वारिसनगर विधानसभा के चुनावी दौरे पर निकले आपदा प्रबंधन मंत्री दवेश चद्र ठाकुर अपने विरादरी के गांव में वोट मांगने जा रहे थे कि उनकी गांड़ी बार बार किचर में फस रहा था ।तीसरी बार जब उनकी गांड़ी फसी तो मंत्री जी आपा खो दिये और कार्यकर्ताओं पर बरस परे आखिर में साथ चल रहे एक विरिष्ठ कार्यकर्ता मंत्री के कान में बूदबूदये बेली रोड और सचिवालय रोड के चमकाने से बिहार थोड़े ही चमक गया हैं ।इस रास्ते से किसी तरह पहुंच भी जाएगे दूसरे रास्ते से पैदल चलना भी सम्भव नही हैं।यह सुनते ही मंत्री जी नजर चुराते हुए गांड़ी निकालने में मदद करने लगे। बिहार के विकास के दावे को समझने के लिए इतना काफी हैं कि गांव जहां सूबे की 90प्रतिशत जनता रहती हैं वहां आज भी विकास की रोशनी पहुच नही पायी हैं।देर से ही सही नीतीश कुमार ने बिहार की जनता को विकास के प्रति जागरुक जरुर मना दिया हैं।यह जागरुकता नीतीश कुमार के लिए वरदान साबित होता हैं या अभिशाप वह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

रविवार, सितंबर 06, 2009

कानून अपना काम करेगा--नीतीश कुमार

बिहार इन दिनों फिर सुर्खियों में हैं मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हत्या के एक मामले में संज्ञान लेने से जुड़ा हैं।विपक्षी राज्य में संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए राज्यपाल से मिल रहे हैं वही नीतीश कुमार की और से पार्टी के अध्यक्ष और राज्य के महाअधिवक्ता मोर्चा संभाले हुए हैं। नीतीश के मामले में आज तक जो मीडिया का रुख रहा हैं वही रुख इस मामले में भी कायम हैं।प्रिट मीडिया हो या फिर इल्कट्रानिग मीडिया दोनों नेताओं का पंक्ष रखने के साथ खामोस हैं।उनके अनुसंधानक सोच पर ऐसा लगता हैं की वर्फ की बड़ी सीली रख दी गयी हैं। अक्सर किसी भी मामले में अमेरीकी खुफिया ऐंजसी की तरह अनुसंधान करने वाली भारतीय मीडिया इस मामले में पूरी तरह खामोस हैं। मामले के तह में जायेगे तो ज्ञात होगा कि 1991 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार लालू प्रसाद के पार्टी से बाढ लोक सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे। चुनाव के दिन 16नवम्बर 1991 को बाढ लोकसभा क्षेत्र के मतदान केन्द्र संख्या 168मीडिल स्कूल डीवर पर शाम के तीन बजे बूथ लूटेरों ने मतदान कर रहे ग्रामीण से मतदान केन्द्र से तुरत हट जाने का निर्देश दिया।वोट डालने के लिए लाईन में खड़े लोगो ने इसका विरोध किया जिससे आक्रोशित होकर बूथ लूटरों ने मतदान केन्द्र पर अंधाधुध गोली चलाने लगा जिसमें एक व्यक्ति की घटना स्थल पर ही मौंत हो गयी और एक का अस्पताल में ईलाज के दौरान मौंत हो गयी।इस मामले में मृत्तक के भाई के बयान पर नीतीश कुमार को मुख्यअभियुक्त बनया गया ।लेकिन मामला सत्ता के शीर्ष से जुड़ा हुआ था इसलिए पूरे मामले को ही ठंठे बस्ते में डाल दिया। 17वर्षों तक मामला कोर्ट में लम्बित रहा मुख्यमंत्री के स्पीडी ट्रायल योजना में भी इस मुकदमें की सुनवाई नही हुई।पिछले वर्ष अगस्त माह में इस मामले की फिर सुनवाई शुरु हुई और पुलिस डायरी के आलोक में नीतीश कुमार और कुख्यात डाकू दुलारचंद यादव को छोड़कर अन्य सभी अभियुक्तों पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए गिरफ्तारी का आदेश जारी कर दिया।इस मामले के प्रकाश में आने के बाद उसी गांव के एक व्यक्ति ने नीतीश कुमार पर संज्ञान नही लेने के विरुध आवेदन दिया और कोर्ट में गवाही होने के बाद बाढ कोर्ट ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दुलारचंद यादव पर संज्ञान लेते हुए सम्मन जारी कर दिया। मैं मानता हूं कि नीतीश कुमार पर जो आरोप हैं कि खुद नीतीश कुमार राईफल से गोली चला रहे थे पूरी तरह राजनीत से प्रेरित हैं उनका यह चरित्र नही रहा हैं।लेकिन इस मामले के प्रकाश में आने के बाद मुख्यमंत्री के सिपहसलहार की जो भूमिका रही हैं वह वेहद ही आपत्तिजनक हैं।यह सब एक संवैधानिक प्रक्रिया से चुनी गयी सरकार को शोभा नही देती हैं।एक बार फिर आम और खास लोगो के बीच नीतीश कुमार ने रेखा खिचने में अपनी पूरी मशीनरी को लगा दिया जिसका वह खुद विरोध करते रहे हैं।नीतीश कुमार के इसी दोहरे चरित्र से मेरा विरोध हैं जिसको समझने में बिहार की जनता को वक्त लग रहा हैं।मुख्यमंत्री के पार्टी के अध्यक्ष प्रेस कांन्फर्स कर न्यायपालिका के कार्यप्रणाली पर जमकर प्रहार किया और जिस जज ने नीतीश कुमार पर सम्मन जारी किया उसके योग्यता पर ही सवाल खड़ा कर दिया।महाअधिवक्ता ने तो पूरी मर्यादा को ही दाव पर लगा दिया और इनका आचरन कानून के प्रहरी का नही बल्कि जद यू के प्रवक्ता जैसी दिख रही हैं।पूरी न्यायिक प्रक्रिया को इस अंदाज में खारिज कर रहे हैं जैसे कोई कानूनविद नही पार्टी का विधायक बोल रहा हो।उक्त जज के बारे में जिस तरीके से अमर्यादित भाषा का उपयोग महाअधिवक्ता ने किया हैं ।शायद यह कोई आम आदमी किया होता तो आज कोर्ट आफ कन्टेम्ट चलता। यह धमकी देना की जज के खिलाफ पार्टी पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टीस से मिल कर शिकायत करेगी । क्या यह न्यायपालिका के कार्य को प्रभावित करने की बात नही हैं मामला मुख्यमंत्री से जुड़ा हैं तो पूरी मशीनरी भीष्मपितामह की तरह चुप्पी साधे हुए हैं इतिहास उन्हे कभी माफ नही करेगी।मैंने इस मसले पर अपने कई मित्रों से बात किया हैं जो न्यायिक सेवा से जुड़ा हैं उनका कहना हैं कि यह तो न्यायलय का रुटीन मामला हैं प्रधानमंत्री के खिलाफ भी तीन चार लोग गवाही दे दे की उन्होनें मेंरी पोकेटमारी कर ली हैं तो कोर्ट संज्ञान ले लेगी और प्रधानमंत्री को कोर्ट में हाजिर होने का सम्मन जारी कर देगी और हाजिर नही होगे को गिरफ्तारी का वांरट जारी कर दिया जायेगा।रोजाना इस तरह के मामले में पूरे देश में हजारों मामले दर्ज होते हैं और लोगो को ऐसी ही गवाही के आधार पर सजा भी मिलती हैं।कोर्ट ने भी न्याय पाने के इस प्रावधान को इसीलिए प्रारम्भ किया कि बड़े लोग और सत्ता के शिखर पर बैठे लोगो के खिलाफ पुलिस की संदिग्ध भूमिका के कारण लोगो को न्याय नही मिल रहा था।जज भी मानते हैं कि इस प्रावधान का दूर उपयोग हो रहा हैं लेकिन आप पुलिस को स्वतंत्र नही करेगे।अंनुसंधान की सभी कड़ियों पर अंकुश लगा कर रखेगे तो फिर लोगो को न्याय कैसे मिलेगा।आज मुख्यमंत्री की बाड़ी आयी हैं तो हाई तौवा मचा हैं,जब कि स्पीडी ट्रायल के नाम पर बिहार के 28हजार लोगो को सजा मिली हैं और जेल के सलाखों के पीछे हैं।इसमें अधिकांश मामले लालू प्रसाद के कार्यकाल के दौरान की हैं जिसमें कानून व्यवस्था के नाम की कोई चीज सूबे में नही रह गया थी लोग अपनी अस्मिता की लड़ाई लड़ रहे थे जिसमें हजारों ऐसे मामले दर्ज हुए जो पूरी तौर पर राजनीत से प्रेरित थे।वैसे मामले मैं भी लोगो को सजा मिली हैं। इस मामले के प्रकाश मैं आने के बाद से मुख्यमंत्री मीडिया से लगातार दूर भाग रहे हैं इसलिए कि कही मीडिया वाले यह सवाल न खडा कर दे की आपने भी चुनाव जीतने के लिए बाहुवलियों का कभी सहारा लिया हैं।

गुरुवार, सितंबर 03, 2009

काश में लड़की होती तो हालात को बेहतर तरीके से समझ पाता

अगर इस जहा में ईश्वर,अल्लाह,ईशा जैसा कोई भगवान हैं। तो मेरी एक फरियाद सुन ले। अगले जन्म में पटना के पत्रकारों का अगर इंसान के रुप में जन्म देते हो तो।, हलाकि इसकी सम्भावना कम ही हैं तो इन्हे महिला में जन्म देना।यह अभिशाप ऐसी टीन ऐंजर छात्राओं की हैं।जिसने काफी उम्मीद से पटना के पत्रकारों से मदद मांगी थी।मामला कांलेज आंफ कोमर्स से जुड़ी हुई हैं जहां पिछले एक सप्ताह से सीनियर छात्रों द्वारा जमकर रैंगिग ली जा रही थी रैंगिग के दौरान लड़के गर्लस कांमन रुम में भी जाने से परहेज नही करते थे।शादी करने के प्रस्ताव के लेकर गद्दी गद्दी गाली देने और इससे भी मन नही भरा तो शाररिक रुप से लड़कियों को प्रताड़ित करने से भी परहेज नही कर रहे थे।हद तो तब हो गयी जब एक दिन छात्रों ने रैंगिग नही करने पर एक लड़की को चाटा मार बैठा।अधिकांश लड़किया लड़कों के इस जुल्म को सहती रही लेकिन कुछ छात्रा ने कांलेज के प्रचार्य से इसकी लिखित शिकायत की लेकिन कारवाई के बदले उलटे प्रचार्य ने लड़कियों को ही नसीहत दे डाली यह सब होता हैं और इसे फैंस करने की आदत डालनी चाहिए प्रचार्य के इस रवैये से छात्राओं को गहरा सदमा लगा लेकिन इन लड़कियों ने हार नही मानी और पूरे मामले की जानकारी अपने अभिभावक को दिया अभिभावक कांलेज आये और मामले को लेकर कांलेज के प्रचार्य से बात की मामला बढता देख कांलेज प्रशासन दो तीन दिनों तक चौंकसी बरती और छात्रों को हिदायत दिया।जैसे ही मामला शांत हुआ लड़कों का आतंक फिर से बढने लगा और स्थिति बढते बढते लड़कियों को पोज में फोटे खिचवाने पर मजबूर करने लगा।इसी बीच किसी लड़की ने जलालत की जिदंगी से मुक्ति के लिए मीडिया का दरवाजा खटखटाया इस उम्मीद से की मीडिया मामले को हाईलाईट करेगे तो कारवाई होगी अक्सर टीवी और अखवार खबड़ के असर के रुप में इस तरह की चीजे लिखते और दिखाते रहते हैं।तय कार्यक्रम के अनुसार रैंगिग करने जैसे ही छात्रों की टीम गलर्स कांमन रुम के पास पहुचा एक लड़की ने मीडिया वाले को फोन कर दिया।तय कार्यक्रम के अनुसार इसकी सूचना सिटी एसपी0 को भी दिया गया।पहले से ही सादे वर्दी में मौजूद पुलिस हरकत में आयी और तीन छात्रों को हिरासत में लेकर जमकर कांलेज परिसर में ही धुनाई कर दी यह सब मीडिया वाले के पहुचने के पहले हो चुका था।इस बीच कई छात्राओं के अभिभावक भी कांलेज पहुंच गये मीडिया वालों की भीड़ देख कांलेज के प्रचार्य की बोलती बंद थी ।उनकी एक की विनती थी कांलेज की छवी धुमिल हो जायेगी।इस बीच कुछ मीडिया वालों की भाषा बदलने लगी यह रैंगिग हैं या फिर छेडखानी।मीडिया वाले के इस रुख से मैं हैरान था और तुरंत ही मैं लड़कियों को अपने चेहरे पर डुपटा ओढ लेनी की सलाह दी क्यों की मीडियाकर्मीयों के बदले रुख को मैं समझ गया था।चंद सैंकेड बाद ही चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज आने लगी कांलेज आंफ कोमर्स की छात्रा के साथ छेड़खानी पुलिस ने तीन छात्रों को हिरासत में लिया।उस वक्त मेरी पूरे मामले को लेकर फोनिंग चल रही थी जिसमें कांलेज प्रशासन के गैर जिम्मेदराना रवैये के साथ सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बावजूद सरेआम रैंगिग होने को लेकर ऐंकर के सवाल का जबाव दे रहा था।थोड़ी देर बाद खबड़ भी इसी ऐंगिल से बुलेटिन में चलने लगी।लेकिन शाम होते होते कई चैनलों का तैवर बदलने लगा और मामले को लगभग छेड़खानी पर लाकर खत्म कर दिया।मीडिया के इस रुप को देख लड़किया थोड़ी विचलित हुई और चैनल वाले से खुला चेहरा नही दिखाने का आग्रह करते हुए छेड़खानी की बातो का प्रतिवाद किया। लेकिन हद तो तब हो गयी जब सुबह आखवार ने पूरे मामले को प्रेम प्रसंग का मामला बताकर लड़कियों के चरित्र का ही मुल्याकन करने लगा।सात बजते बजते लड़कियों के घर में कोहराम मच गया जिस अंदाज में फोटो छापा था मानों फिल्म की सुटींग हो रहा हो।चाय की दुकान से लेकर दूध बेचने वालो की जबाव पर एक ही बाते आ रही थी फलाना की बहन और बेटी कांलेज में क्या क्या गुल खिलाती रहती हैं।देखते देखते जो अभिभावक बेटी की इस लड़ाई में खुल कर मदद कर रहे थे अचानक सकते में आ गये और लड़कियों पर ही बरसने लगे।पूरे परिवार के जुवान पर मीडिया वालों को लिए बददुआ ही निकल रहा था।मीडिया वालो के घर में मां बहने हैं की नही इसी बीच कांलेज की एक छात्रा ने फोन कर यह सारी बाते बतायी खबड़ पढकर मैं भी काफी विचलित था लेकिन मुझे एक दिन पहले ही अंदेशा हो गया था।शर्मीदगी महसूस करने के आलावे और मेरे पास कोई विकल्प भी नही था फोलोअप स्टोरी की सारी सम्भावनाये ही खत्म हो चुकी थी।महिला आयोग के अध्यक्ष से मिलने,मगध विश्वविधालय के अधिकारी से मिलने का पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों को रद्द करनी पड़ी।भारी मन से अपने आप को कोसते हुए अपने दफ्तर पहुंचा मन इतनी व्यथित था कि कुछ भी करने का मन नही कर रहा था ।इसी दौरान हमारे वरिष्ट साथी हिन्दुस्तान के कभी संपादक रहे गिरिश मिश्रा के कार्यकलापों का पुल बाधने लगे और कहते कहते यहां तक कह गये की आज अखबार में नये नये लोग दिख रहे हैं उसमें गिरिश मिश्रा की बड़ी भूमिका रही हैं।यह सूनते ही मैं आपा खो बैंठा जिस गिरिश मिश्रा के आलेख को आज भी मैं संयोग कर रखा हैं और प्रेरणा के लिए आये दिन पढता रहता हैं उस गिरिश मिश्रा को गाली देते हुए मैंने कहा कि लानत हैं गिरिश मिश्रा को जिन्होने ऐसे संवेदनहीन व्यक्ति को समाज को दिशा दिखाने की जिम्मेवारी सौंपी।गुस्से मैं कही बातो को लेकर मेरे वरिष्ट साथी को बूरा भी लगा लेकिन मैं आज भी बैचेन हू की उन लड़कियों के मन मैं मीडिया के प्रति जो भावना पैंदा हुई हैं उसका कितना बुरा असर हमारे प्रोफेसन पर पड़ेगा।