बुधवार, सितंबर 23, 2009

बिहार पुलिस का यह हैं पीपुल्स फ्रेडली चेहरा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेलगाम शासन व्यवस्था का यह महज एक वानगी हैं आम लोगो का क्या हाल हैं आप खुद देखे।साईकिल सवार की गलती सिर्फ इतनी ही हैं कि वह जाम हटा रहे पुलिस के बीच से निकलना चाह रहा था।निरीह साईकिल सवार पर डंडा चलाने वाले कोई और नही बेगूसराय जिले के सबसे महत्वपूर्ण थाना नगर थाने का थाना अध्यक्ष विश्व रंजन हैं।थाना अध्यक्ष को इससे भी मन नही भरा तो उसके चेहरे को जूता से तब तक मसलता रहा जब तक उसके मुंह से खुन नही निकल गया।इस मर्दगानगी का क्या मतलब हैं किसी को समझ में नही आ रहा हैं। थानेदार कितने दुसाहसी हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता हैं कि थानेदार के हरकत को कैमरे में कैंद करने वाले स्थानीय अखबार के फोटोग्राफर को इतनी पिटाई किया कि उसका हाथ टुट गया हैं और अस्पताल में भर्ती हैं।घटना के 24घंटे हो गये हैं लेकिन कारवाई तो दूर बेगूसराय के एसपी0सुलह कराने में लगे हैं।ये वही थानेदार हैं जिनकी पत्नी मुकदमें में मदद करने के नाम पर लाखों रुपये का जेवरात जबरन दुकान से ले आयी थी। जब दुकानदार इसका फरियाद लेकर दानेदार के पास पहुंचा था तो तीन दिनों तक लांक्प में बंद रखा था।बेगूसराय के तत्तकालीन विधायक और मंत्री भोला सिंह तत्तकाल इस थानेदार को हटाने की मांग की थी लेकिन कारवाई तो दूर इन्हे पुरस्कृत करते हुए नगर थाने का थाना अध्यक्ष बना दिया गया। इस तरह के दर्जनों शिकायतों पर अभी भी जांच चल रही हैं लेकिन कारवाई तो दूरे इन्हे तीन माह के अंदर ही पुन बेगूसराय जिला बुला लिया गया। आम लोग सरेआम यह आरोप लगा रहे हैं कि सुशासन बाबू के विरादरी के होने का करण इस पर कोई कारवाई नही हो रहा हैं।इससे भी दुखद पहलु यह हैं कि इस मामले को लेकर मीडिया पूरी तरह से मौंन हैं और सुशासन बाबू के इमेंज को बचाने में लगा हैं।

6 टिप्‍पणियां:

विजयप्रकाश ने कहा…

ऐसे लोग ही पुलिस की छवि खराब कर रहे हैं.
इनको सेवा से बर्खास्त कर सार्वजनिक दंड देना चाहिये.
ये मानवाधिकार वाले सो रहे हैं क्या?

बेनामी ने कहा…

इसलिए तो बिहार बिहार है. इन सबके बिना बिहार अपनी वह पहचान गँवा बैठेगा जिसपर लोग हंसते हैं और बिहारी शामिंडा होते हैं.

निशाचर ने कहा…

भैया मानवाधिकार वाले अभी उसके दारू- मुर्गे के इंतजाम में व्यस्त हैं......अरे वही जो कल पकडा गया है न ......वो माओवादी.......क्या नाम है उसका............कुछ गाँधी जैसा है (कमाल है! यह गाँधी तो हमारा पीछा ही नहीं छोड़ते). तो भैया अभी गरीबों को इंतजार करना पड़ेगा अपने "मानवाधिकार" पाने को.

SANTOSH ने कहा…

AAPNE TO BIHAR POLICE KA ASLI CHEHARA HI DIKHA DIYA.

सागर ने कहा…

यही घटना कल न्यूज़ रूम में फ्लैश हो रही थी... पी टी आई से भी खबर आई है...

ओम आर्य ने कहा…

बहुत ही ज्यादा जरुरी है ऐसी घटनाओ को उजागर करने की ताकि आमानुषिक हरकतो से निजात पाने के लिये/साथ ही प्रशासन का असली चेहरा भी दिखे/ऐसे दानवो को तो निष्कासित कर देना चाहिये/एक सार्थक पोस्ट/बहुत बहुत आभार!