बिहार में 18 विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव हो रहा हैं। सभी राजनैतिक दल इस चुनाव को सेमीफाईनल मान रही हैं और पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रहे हैं।नीतीश कुमार का सारा मंत्रीमंडल इन क्षेत्रों में कैम्प कर रहे हैं वही मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का हेलीक्पटर से तुफानी दौड़ा चल रहा हैं।दोनो नेताओं का एक विधानसभा क्षेत्र में आठ से दस चुनावी सभाये हो रही हैं य़ही स्थिति लालू और पासवान का हैं।राजद और लोजपा के विधायक गांव गांव में कैम्प किये हुए हैं वही कांग्रेस ने भी अपनी पूरी फौंज गांव में उतार दी हैं।कई केन्द्रीय मंत्रीयों का दौड़ा हो चुका हैं और आज कल में कई और दौड़ा होने वाले हैं।
राजनैंतिक टीकाकार भी इस चुनाव से खासा उम्मीद कर रहे हैं।यह चुनाव लालू प्रसाद और रामविलास पासवाने के लिए अस्तित्व की लड़ाई हैं इस चुनाव में लोकसभा चुनाव जैसा हस्र हुआ तो इनकी पार्टी की लोटुआ डुमनी तय हो जायेगी।वही कांग्रेस दो तीन सीट भी जीत लिया तो आने वाले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को बड़ी चुनौती दे सकती हैं।वही दूसरी और जिस तरिके से नीतीश कुमार ने पार्टी को परिवारवाद के चंगुल से बाहर निकालने का साहस दिखाया हैं।अगर परिणाम अनुकुल नही हुआ तो नीतीश कुमार को पार्टी के अंदर विरोध का सामना करना पड़ सकता हैं।
चुनाव परिणाम जो भी हो लेकिन नीतीश कुमार के विकास के दावे पर बिहार की जनता ने सवालिया निशान लगा दिया हैं।कई चुनावी सभा में नीतीश कुमार को विरोध का सामना करना पड़ा हैं।सोमवार को समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र में यहां की जनता ने पिछले चालीस वर्षों से बागमती नदी पर पुल बनाने को लेकर हो रहे आन्दोलन का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री से पुल बनाने की मांग की। लेकिन मुख्यमंत्री इस मसले को पूरी तरह अनदेखी कर सभा को आगे बढा रहे थे ।सभा में उपस्थित ग्रामीण मुख्यमंत्री के इस रवैये पर हंगामा करने लगे और देखते देखते स्थिति इतनी बिगड़ गयी की मुख्यमंत्री को बिना भाषण दिये हुए जाना पड़ा। हद तो तब हो गयी जब मुख्यमंत्री जाते जाते कह गये कि आप के वोट की मुझे जरुरत नही हैं।यह पहली सभा नही हैं जहां विकास के नाम पर नीतीश जी को विरोध का सामना करना पड़ा हैं।यही स्थिति बिहार सरकार के मंत्रीयों को भी झेलना पड़ रहा हैं।वारिसनगर विधानसभा के चुनावी दौरे पर निकले आपदा प्रबंधन मंत्री दवेश चद्र ठाकुर अपने विरादरी के गांव में वोट मांगने जा रहे थे कि उनकी गांड़ी बार बार किचर में फस रहा था ।तीसरी बार जब उनकी गांड़ी फसी तो मंत्री जी आपा खो दिये और कार्यकर्ताओं पर बरस परे आखिर में साथ चल रहे एक विरिष्ठ कार्यकर्ता मंत्री के कान में बूदबूदये बेली रोड और सचिवालय रोड के चमकाने से बिहार थोड़े ही चमक गया हैं ।इस रास्ते से किसी तरह पहुंच भी जाएगे दूसरे रास्ते से पैदल चलना भी सम्भव नही हैं।यह सुनते ही मंत्री जी नजर चुराते हुए गांड़ी निकालने में मदद करने लगे।
बिहार के विकास के दावे को समझने के लिए इतना काफी हैं कि गांव जहां सूबे की 90प्रतिशत जनता रहती हैं वहां आज भी विकास की रोशनी पहुच नही पायी हैं।देर से ही सही नीतीश कुमार ने बिहार की जनता को विकास के प्रति जागरुक जरुर मना दिया हैं।यह जागरुकता नीतीश कुमार के लिए वरदान साबित होता हैं या अभिशाप वह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।
1 टिप्पणी:
हम भी उसी आने वाले वक़्त का इंतज़ार कर रहे हैं जनाब... बेली रोड देख कर तो यही लगता है बिहार में सकदों की हालत अच्छी है,, तभी महेश भट्ट या कोई और मेहमान आता है तो उसे मोरया होटल से ठहराते है और बेली रोड से जरूर ले जाते है... इससे उनके बिहार के बारे में ख़यालात अच्छे बने रहते है... लेकिन सिर्फ बिहार में ही बाहर निकलते ही...
एक टिप्पणी भेजें