रविवार, सितंबर 13, 2009

ये हैं मेरा बिहार

काफी लम्बे अर्से बाद राजधानी हस्तिनापुर के बाहर नेताओं और अफसरों के कागजी डाटे को देखने और समझने का मौंका मिला। अवसर था उपचुनाव का, मेरी डियूटी लगी थी समस्तीपुर जिले के वारिसनगर विधानसभा क्षेत्र में यह सीट दलित नेता रामविलास पासवान के भाई के बगावत के कारण खाली हुआ हैं।वर्षों से इस सीट पर रामविलास पासवान के रिश्तेदारों का कब्जा रहा हैं।रामविलास पासवान भी इस क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं और अनुज रामचन्द्र पासवान यहां से लगातार दो बार सांसद रह चुके हैं।इसलिए मेंरी रिपोर्टिंग का ऐंगल शुरु से ही दलित राजनीत और नीतीश सरकार के महादलित और अति पिछड़ा समीकरण और विकास के दावे पर केन्द्रीत रहा। शाम से देर रात तक मित्र मंडली के साथ बाते हुई और जमकर खाना पीना हुआ जिस दौरान सरकार के सुशासन के दावे से लेकर विकास पर भी चर्चाये हुई।भ्रष्टाचार बहस का मुख्यविन्दु रहा इस महफिल में पदाधिकारी से लेकर व्यवसायी तक मौंजूद थे।सुशासन पर चर्चाये शुरु हुई तो जिले के पुलिस कप्तान का मामला बहस का मुख्य ऐंजडा रहा।नीतीश कुमार के कार्यकाल में समस्तीपुर जिले में चार एस0पी0 आये जिसमें अम्बेदकर पर तबादले होने के बाद एक दर्जन से अधिक थानेदारों का मोटी रकम लेकर पोस्टिंग करने का आरोप हैं।इसकी जांच तत्तकालीन आई0जी0आर0एल0कनौंजिया ने किया था। जिसमें एस0पी0दोषी पाये गये लेकिन सरकार कारवाई करने के बजाय अम्बेकर को प्रमोंटकर डी0आई0जी0 बना दिया। यही स्थिति शोहाब अख्तर,सुरेन्दलाल दास के समय चला कहने वाले तो यहां तक कहे कि एक थाने की किमत तीन से चार लाख होती थी,बैंठकी में मौंजूद पुलिसअधिकारी भी इसकी मौंन स्वीकृति दे रहे थे बातचीत में ये बाते भी सामने आयी कि एस0पी0के इस कमाई में मुख्यमंत्री के करीबी विधायक को प्रतिमाह शेयर निर्धारित था जिसके कारण लगातार क्रायम होने के बाद भी एस0पी0का बाल बाका नही हुआ।इसका प्रभाव थाने के कार्यशैली पर भी देखने को मिला जनता पर झूठे मुकदमें किये गये और अपराधियों की तूति बोलती रही। बातचीत के दौरान समय का पता भी नही चला घड़ी पर नजर पड़ी हो रात के एक बज रहे थे। भ्रष्टाचार के इस सच को जानकर बची हुई रात भी बिस्तर पर करवट बदलते गुजर गयी खैर सुबह सुबह तैयार होकर लोकतंत्र के महापर्व को देखने निकल गया। अधिकांश मतदान केन्दों पर वोटर नदारत थे।नीतीश कुमार के समीकरण वाले मतदान केन्द्र पर भी यही स्थिति थी।राशन और किराशन को लेकर महिलाये ज्यादा उग्र थी बौंआ पाच माह से राशन नई मिल रहे छई,एक महिला से जिसकी उर्म करीब साठ की होगी मैंने पुछा जब राशन और बिना पैंसा दिये इंदिरा आवास नही मिल रहा हैं तो फिर वोट देने क्यों आयी हो उसकी बात सुनकर मैं भौंचक रह गया।बौंआ वोट दयी छिए इ उम्मीद से की कही तो अच्छा आदमी विधायक मंत्री बनथिन त हमरा सब के न्याय भेटंतय।इन्हे कौंन समझाये कि इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अच्छे व्यक्ति के विधायक बनने की सम्भावना हैं ही नही। मतदान केन्द्रों के भ्रमण का सिलसिला जारी था इसी दौरान बूथ संख्या 75पर पहुचे जहां चुनाव एक हरिजन चौपाल पर चल रहा था और उसी के साथ चाय की दुकान भी चल रही थी जिस पर तैनात पुलिसकर्मी के साथ साथ गांव वाले चाय बिस्कुट खा रहे थे। यह देख कर थोड़ा अटपटा भी लगा गांव वालों से बात हुई तो पता चला कि इस गांव में कोई भी सरकारी भवन नही हैं यह चौपाल आज के दस वर्ष पूर्व विधायक जी बनवाये थे जिसमें चाय नास्ता और खाने के सामन की दुकाने चलती हैं ।स्कूल था जो पांच वर्ष पूर्व ही गिर गया हमलोग अपना जमीन दिये हैं स्कूल भवन का नीव तीन वर्ष पूर्व पड़ा लेकिन अभी तक बना नही हैं पता चला कि मुखिया और बीडियों मिलकर दस लाख रुपया निकाल लिया हैं और स्कूल काजग में बनकर तैयार दिखाया गया हैं। मीडियाकर्मीयों के लिए इससे बेहतर और क्या हो सकता हैं खबड़ बनी दलित बस्ती में एक भी सरकारी भवन नही ,चाय की दुकान पर चल रहा हैं मतदान ,दलित वोट बैंक पर राजनीत करने वाले पासवान के क्षेत्र का हैं यह हाल.बीडियों मुखिया ने कागज पर स्कूल भवन बनाया।दोपहर बारह बजे से यह खबड़ चलने लगी देखते देखते तमाम आलाधिकारी उस मतदान केन्द्र पर पहुंच गये और चाय के दुकान का अवशेष तक नही बचा। इसकी सूचना मुझे भी मिली मैं भी भागे भागे उस गांव में पहुचा मुझे लग रहा था कि चाय की दुकान हटाने पर गांव वाले नराज होगे लेकिन गांव में पहुंचते ही सभी लोग घर से बाहर आकर मेरी प्रशंसा करने लगे चलिए इसी बहाने प्रशासन के लोग यह तो जाने की यह भवन सरकारी स्कूल नही हैं सरकारी स्कूल कागज में बन गया हैं।देर शाम तक क्षेत्र में घुमते रहे और खबड़ का असर मेरे चैनल पर चलता रहा चुनाव आयोग ने भी डीएम0 से पूरे मामले की रपट मांगी।मुझे लगा कि चलो समस्तीपुर आना सार्थक हुआ। इस खबड़ को लेकर समस्तीपुर की जनता ने भी काफी बधायी दी लेकिन शाम होते होते नजारा बदलने लगा हमारे बिहार प्रभारी पर इस खबड़ का खंडन जारी करने का दवाव बनाया जाने लगा ।डीपीआरओं की भाषा बदल गयी जो दिन भर मतदान का प्रतिशत बता रहा था।डीएम0ने यहां तक कह दिया कि हमारे इक्छा के विपरित खबड़ नही चलती हैं और ना ही छपती हैं।प्रबंधन से इतने सवाल जबाव होने लगे कि मेंरी सारी खुशी तनाव में बदल गया।रात्री दस बजे खबड़ के खंडन के लिए डीएम0की जगह फोन लाईन पर डी0पी0आर0ओं मजूद था।टी0भी0स्क्रिन पर चाय की दुकान वाली और कारवाई के बाद बंद पड़े दुकान का भिजुउल साथ चल रहा था और डी0पी0आर0ओं0थोथी दलील दिये जा रहा था।खैर जनता ने प्रशासन के सफेद झुठ पर जमकर उपहास उड़ाया। इस मसले का जिक्र करना इसीलिए अनिवार्य समझा की बिहार में मीडिया पर किस तरह का दवाव हैं कि आप सच्ची बात नही तो दिखा सकते हैं और ना ही छाप सकते हैं।ऐसा करेगे तो आपके अखवार या फिर चैनल को सरकारी विज्ञापन नही दिया जायेगा।यह प्रवृति इसलिए बढ गयी हैं कि यह सब सरकार के स्तर पर हो रहा हैं। इसी की परीणति हैं कि आये दिन मीडिया वाले पर झूठे मुकदमें दायर हो रहे हैं। वही इस सच्ची खबड़ पर इस तरह का दुहसाहस करने वाले डीएम के बारे में पता किया तो भौंचक रह गया डीएम खुद आरक्षण के आधार पर सिविल सर्विस में आय़े हैं और इनकी डीएम में पहली पोस्टीग समस्तीपुर में हुई हैं ये यंग हैं लेकिन आलोचना इन्हे पंसद नही हैं।यह सब स्कूल की राशी हरपने वाले बीडियों और मुखिया के इशारे पर किया गया हैं ।

4 टिप्‍पणियां:

Vinay ने कहा…

हर अत्याचार और दुख का अंत होता है, भले की आशा रखनी चाहिए
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Carbon Nanotube As Ideal Solar Cell

ravishndtv ने कहा…

संतोष

अच्छा लिख रहे हैं आप। आप के ही लेख पढ़ने के बाद दरभंगा की उस लड़की की कहानी को मैंने टीवी में करवाया। जिसके बाप पर मुकदमा लाद दिया गया और लड़की वेश्यालय पहुंच गई। इस तरह की बातों को सामने लाने के लिए शुक्रिया।

सागर ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
सागर ने कहा…

आप सतही और यथार्थ पत्रकारिता कर रहे है और उसे भोग भी रहे हैं... जो कर रहे है वो पोस्ट पर दिख भी रहा है... बधाई... तीन दिनों से यह पोस्ट देख रहा था ... पढने का वक़्त नहीं निकल पा रहा था... आज फुर्सत से पढ़ा तो अच्छा लगा ... रविश जी जो खुद एक पत्रकार हैं, और हिंदुस्तान में ब्लॉग वार्ता भी लिखते हैं... उन्होंने आपकी तारीफ कर दी... जाहिर है आप अच्छा कार कर रहे होंगे...