गुरुवार, जुलाई 22, 2010

आदमखोर हीरा सिंह को ग्रामीणो ने पीट पीटकर कर मार डाला

बिहार इन दिनो फिर सुर्खियो मे है,नीतीश कुमार पर 11हजार करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप है ।आरोप में कितना दम है यह तो जांच के बाद सामने आयेगा लेकिन यह तो पूरी तौर पर सिद्ध है कि बिहार के नौकरशाह ने देश की जनता की मेहनत की कमाई को खर्च किया लेकिन पिछले आठ वर्ष बाद भी उस खर्च का हिसाब देना जरुरी नही समझा।दुर्भाग्य यह है जिसे हिसाब लेना था वह आज नौकरशाह के बचाव में लगा है और उसके लिए नीतीश कुमार कुछ भी करने को तैयार है।लेकिन जिस नौकरशाह को बचाने में नीतीश कुमार अपना सब कुछ दाव पर लगाये हुए है उनका चरित्र किया है उसे आप भी जाने---

मामला बिहार के दरभंगा जिले के मब्बी थाना क्षेत्र स्थित मखनाही गांव का है जहां दो दिन पूर्व गांव के ग्रामीणो ने एक तीस वर्षीय युवक हीरा सिंह पर आदमखोर होने का आरोप लगाते हुए गांव के बीचो बीच बिजली के खम्भे में बांध कर तब तक पिटता रहा जब तक उसकी मौंत नही हो गयी। इस दौरान दर्द से कराह रहे हीरा को पानी की जगह ग्रामीण, बच्चो को सामने में पेसाब करावा कर उसे पिलाया गया। इसकी सूचना गांव के कुछ युवक पूरी रात जिले के एसपी से लेकर तमाम आलाधिकारी को देते रहे। लेकिन रात भर कोई अधिकारी नही आया।सुबह में भी थाना वाला इस मामले को रफा दफा करने में लगा हुआ था लेकिन गांव के कुछ युवक ने इसकी सूचना मीडिया वाले को दे दी, मीडियाकर्मियो के पहुंचने के बाद पुलिस घटना स्थल पर पहुंची।

अब जरा आदमखोर हीरा सिंह के द्स्तान के बारे में जान ले ये लड़का एक पुलिसकर्मी का बेटा था।गांव में खेती करता था आज से छह माह पूर्व गांव के पास से गुजर रही नदी में ग्रामीणो ने एक लाश देखा लाश का पेट फटा हुआ था इसकी सूचना गांव वाले ने पुलिस को दी पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि लाश का पोस्टमार्टम हुआ है।पुलिस वाले उसके बाद लाश को नदी में बहा दिया किसी ने कहा कि जिस व्यक्ति का वह लाश था उसे दो तीन दिनो से हीरा सिंह के साथ घूमते हुए देख रहे थे।

इस घटना के एक सप्ताह के अंदर फिर एक लाश नदी में तैरते हुए देखा गया उसका भी पेट फटा हुआ था इस बार ग्रामीणो ने पुलिस को सूचना दिया तो पुलिस नही आयी इसको लेकर पुलिस वालो का तर्क था कि जो लाश को पहचानने वाला कोई नही होता है उसे पोस्टमार्टम के बाद नदी में फैक दिया जाता है।वही इस मामले को लेकर गांव में चर्चाये होने लगी कि जो आज लाश नदी में तैर रहा था रात मे उसे हीरा सिंह के साथ दरभंगा से लौटते हुए देखा गया है।बात बढते बढते यहा तक पहुंच गयी कि हीरा सिंह लोगो को बाहर से फसा कर लाता है और उसको मारने के बाद उसका खून पीता है और फिर उसका पेट फारकर उसका कलेजा खाता है।

बात इतनी बढ गयी कि आज उस गांव में एक लाश मिला है फिर दो दिनो के बाद फिर अफवाह फैलता कि रात में हीरवा किसी राहगीर को मार कर खा गया है।स्थिति इतनी भयावह वह गयी कि गांव के बच्चो से लेकर जवान तक शाम ढलने से पहले घर लौट जाते थे।कई चैनल वाले आदमखोर मानव की स्टोरी बनाने गांव भी पहुंच गये लेकिन आसपास के किसी भी गांव से किसी के लपाता होने की सूचना नही मिलने के बाद मीडिया वाले भी चुप बैंठ गये।

इस बीच गांव वालो ने महापंचायत बुलाकर हीरा को गांव छोड़ने का आदेश दिया और उस पर उसके रिटायर पुलिसपदाधिकारी पिता से जबरन हस्ताक्षर भी करा लिया।इसकी सूचना हीरा सिंह और उसके पिता ने थाने को भी दिया लेकिन थान की औऱ से कोई कारवाई नही हुई।गांव वाले का रुख देखते हुए हीरा सिंह गांव छोड़कर चला गया।उसके जाने के बाद भी आये दिन हल्ला होता रहता था की आज हीरा सिंह को वहा देखा गया एक अजनवी व्यक्ति के साथ घूमते देखा गया स्थिति यहा तक आ गयी कि गांव के लोग रात में जगकर पहरेदारी करने लगे। इन सारी घटनाओ की सूचना थाने को थी।एक माह पहले उसी गांव के पास खानाबदोस जाति के लोगो ने अपना डेरा डाला एक दिन किसी गांव वाले ने हल्ला किया कि रात में हीरा सिंह को इस खानाबदोस के टेंट से निकलते देखे हैं।

फिर क्या था देखते देखते गांव के बच्चे से लेकर बूढे तक यहा तक कि महिलाये भी जिसको जो मिला वही लेकर खानाबदोस के डेरा को घेर लिया। किसी ने कहा यही चारो है जिसे हीरा के साथ में रात देखे थे।फिर क्या था सबके सब उस पर टूट परा। किसी तरह से चारो भागते भागते मब्वी थाने पर पहुंचा।पूरे गांव वाला थाना को घेर लिया और उस चारो पर हीरा का दोस्त होने का आरोप लगाते हुए पुलिस से जबरन छुड़ाने लगा स्थिति यहा तक बिगड़ गयी की लोगो ने थाना में आग लगा दिया उसके बाद जिले के तमाम आलाधिकारी औऱ दस थाने की पुलिस और पदाधिकारी स्थिति को नियत्रित करने मब्वी थाने पहुचे तब भी स्थिति नियत्रित करने में कई घंटे लग गये।इस दौरान कई बार पुलिस को गोली चलाने के लिए पोजीशन भी लेनी पड़ी।शाम तक पुलिस और प्रशासन के लोग समझाते रहे की यह अफवाह है ऐसा नही होता है।किसी तरह मामला शांत हो गया और फिर हमारे अधिकारी वापस अपने अपने धंधे में लिप्त हो गये ।

दो दिन पहले किसी तरह से छुप कर आधी रात में अपने बीमार बाप को देखने आये हीरा के बारे में गांव वालो को भनक लग गयी औऱ फिर क्या था गांव वालो ने बिमार बाप से लिप्टे हीरा को खिचकर बाहर निकाला, और घर के सामने लगे बिजली के खम्भे में उसे बांध दिया धीरे धीरे पूरे गांव के लोग आ गये और उसके बाद शुरु हुआ पिटाई का दौड़।

अब मेरा सवाल राज्य के मुखिया और आप सबो से है हीरा के मौंत के लिए कौन जिम्मेवार हैं। पिछले छह माह से आये दिन हो रही घटनाओ को रोकने की जिम्मेवारी किसकी है।वही दूसरा सवाल राज्य के मुखिया से भी है जो दरभंगा जिले के नौकरशाह के चरित्र के सहारे सूबे में सुशासन लाने की बात करते हैं जहां पुलिस महानिरीक्षक और आयुक्त जैसे अधिकारी बैंठते हैं। (---राज्य के नौकरशाह के आचरण का एक और पंक्ष आप सबो को जल्द ही पढने को मिलेगा।)

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