रविवार, मार्च 14, 2010

इस जहा मैं मनुवादी कौन हैं

वेद में देवता और दानव के बीच कई युद्धो की चर्चा मिलती हैं।जिसमें संख्या बल के बावजूद दानव की हमेशा हार होती हैं।इस युद्द को लेकर बाद के दिनो में जातिवादी सोच रखने वाले इतिहासकारो ने सर्वण और शुद्र के बीच युद्ध की संज्ञा दी और इतिहास की एक धारा इसी पर केन्द्रीत होकर लिखा गया।बाद के दिनों में पिछड़ा और अगड़े की राजनीत करने वाले राजनीतिज्ञ भी इस इतिहास का सहारा लिये। लेकिन किसी ने भी युद्ध में हुई पराजय के कारणों का न तो विशलेषण किया और ना ही हार के कारणों से सीख लेने की कोशिश की।


महिला आरक्षण के मसले पर एक बार फिर यह विवाद सामने आया हैं लालू,रामविलास,शरद और मायावती राजनैतिज्ञ लाभ और नुकसान को लेकर फैसले का विरोध कर रहे हैं ।लेकिन जिस अंदाज में पिछड़े जाति से जुड़े पत्रकार और बुद्दिजीवी इस मसले पर अपनी राय जाहिर कर रहे हैं मुझे लगता हैं कि दानव के लगातार हार का कारण इन्ही सोच में छुपा हैं।

इस मसले पर खुलकर चर्चाये होनी चाहिए और मुझे यह कहने में कोई संकोच नही हैं कि वैसे लोग जो समाज को देवता और दानव के रुप देखते हैं उनसे मैं पुछना चाहता हू कि इस देश के इतिहास में जितने समाज सुधारक हुए हैं जो दानवों के सावल पर समाजिक परिवर्तन लाने का काम किया हैं ।उनमें से चार पांच सुधारक को छोड़कर दानव जाति से आये हुए कितने लोग हैं।समाज तोड़ना और उस पर अपनी राजनीत करनी अलग बात हैं लेकिन समाज में बदलाव लाने के लिए अपने कुटुभ से वगावत कर आपके हक की लड़ाई लड़नी बहुत बड़ी बात हैं।सिर्फ दानव कुल में पैंदा लेने से ही कोई दानव का सबसे बड़ा हितैसी नही हो सकता और इतिहास गवाह हैं कि ऐसा हुआ भी नही हैं।

वीपी सिंह ने जिस अंदाज में मंडल कमीशन लागू किये इसको लेकर बहस हो सकती हैं लेकिन इस राजनीत के बल पर सत्ता हासिल करने वाले लालू,मुलायम,शरद,रामविलास और मायावती जी क्या कर रही हैं।लालू प्रसाद के बिहार में पला और बढा इसलिए कुछ ज्यादा ही एहसास हैं जरा मैं पुछना चाहता हू उन पत्रकार और बुद्धिजीवीओ से लालू प्रसाद 15 वर्ष तक बिहार में शासन किया इसने दानवो के लिए क्या किया किसका चारा इन्होने लूटा कहते थे बड़े घर के लोग सड़क पर चलते हैं सड़क बनाने की जरुरत क्या हैं,बाढ का चावल और गेहू कागज पर ही बेच दिया इसमें देवता के हिस्से का चावल गेहू कितना था।

इसमे कोई शक नही हैं कि लालू के 15वर्ष के शासन काल में बिहार के समाज में काफी बदलाव आया लेकिन यह बदलाव किसी ठोस नतीजे पर नही पहुंच पायी और 15वर्ष होते होते दानवो के शासन का अंत हो गया।जिनकी चिंता हैं कि दानवो का शासन बना रहे उन्हे लालू के हार के कारणो से सीख लेनी चाहिए।

मयावती,मुलायम,और रामविलास का इसी अंदाज में हार तय हैं।नीतीश कुमार के महादलित कार्ट ने रामविलास के राजनैतिक कैरियर अंतिम दौड़ में ला खड़ा किया हैं और यही स्थिति मुलायम का हैं और आने वाले समय में मायावती का भी यही हाल होगा।भावनाओ को भड़का कर ज्यादा दिनो तक सत्ता में बने रहना सम्भव नही हैं।अब तो एक बार फिर से नांलेज की प्रधानता बढने लगी हैं। ऐसे हालात में बाजार और समाज में बने रहने के लिए देवता का चरित्र तो धारण करना ही पड़ेगा।

देवता ने तो अपने समाज के कोस्ट पर दानवो के लिए बहुत कुछ किया हैं लेकिन मैं पुछना चाहता हू दानवो के उस सरोकार से उसने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को दरकिनार कर दानवो के लिए क्या किया।वीपी सिंह ने आरक्षण लागू कर दिया लेकिन उस वक्त भी सवाल उठा था और आज भी सवाल उठ रहा हैं कि गांव में रहने वाले या फिर दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करने वाले मेघू यादव या फिर खलटु पासवान का बेटा सिविलसर्विस या किरानी का भी नौंकरी प्राप्त कर सका हैं दानवा जो सोचना होगा कहने के लिए रामविलास पासवान का भाषण मैं पिछले बीस वर्षो से सून रहा हू मैं उस घर में दिया जलाउगा जिस घर में सदियों से अंधेरा छाया हैं लेकिन जिसके घर में दिया जलाने का वादा कर वोट लेते रहे उसके घर में आज तक दिया नही जला लेकिन अपने पूरे खानदान को सांसद और विधायक बनाकर अपना घर तो रोशन कर ही लिया।जिस महिला आरक्षण बिल को लेकर हाई तोबा मच रहा हैं लोग तो यहां तक कहने लगे की इस बिल के बहाने देवताओ के घर को रोशन करने की साजिश चल रही हैं।मै उनसे पुछना चाहता हू लालू प्रसाद के पार्टी में सबसे योग्य महिला राबड़ी देवी ही थी।क्या मुलायम सिंह यादव के पार्टी में सबसे योग्य महिला उनकी पुतुहु डिम्पल यादव ही थी।दानव भाई देवता को पराजित करना चाहते हो तो त्याग करना सीखा नही तो आने वाले समय में आपको औऱ बुरी स्थिति देखनी पड़ सकती हैं।क्यो कि सत्ता आपके हाथ में और सत्ता के शिखर पर जाने की चांभी भी आपके ही के हाथ मैं हैं।अंतिम आदमी के लिए नही कुछ किया तो फिर लाख चाहने के बाद भी दक्षिण भारत की तरह एक बार फिर देवताओ के हाथ में सत्ता चली जायेगी औऱ आप संख्या बल के राग अलापते रह जायेगे।समय हैं सुधर जाये नही तो वक्त अब दूर नही रह गया हैं.।मेरी भी इक्छा हैं कि दनावो का शासन रहे लेकिन दानवो के कोस्ट पर नही।लेकिन दुख हैं जो सवाल एक तथाकथित देवता कुल का व्यक्ति खड़ा कर रहा हैं वह सवाल दानवो की और से उठनी चाहिए थी। जब तक यह नही होगा।देवता का शासन चलता रहेगा।

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