गुरुवार, जुलाई 15, 2010

मेरे दिवानगी पर कुछ तो रहम करो

मीडियाकर्मियो को किन किन हलातो से गुजरना पड़ता है उसकी एक बनगी आप सबो से शेयर कर रहा हूं,पिछले एक माह से हमारे दरभंगा के साथी एक अंननोन लड़की की समस्या को लेकर परेशान है।लड़की की समस्या है कि दरभंगा(बिहार)का लड़का उसके साथ शादी करने के कुछ माह बाद छोड़कर दूसरा शहर चला गया है।लड़की चाहती है कि किसी तरह उस लड़के को वापस लौटने पर मजबूर किया जाये।इसके लिए स्थानीय समाज द्वारा लड़के के परिवार पर दबाव बनाने में पत्रकार मित्रो का सहयोग चाह रही है।स्थानीय पत्रकारो ने इसके लिए पहल भी किया स्थानीय वार्ड पार्षद,मुहरंम कमिटी के अध्यक्ष के माध्यम से लड़के के परिवार वालो पर दबाव भी बनाया गया लेकिन बाद में धर्म के नाम पर दोनो अपने को इस मामले से अलग कर लिये।इसी दौरान दरभंगा के मेरे मित्र ने इस मसले पर मेरी राय जाननी चाही और बातचीत में यह तह हुआ कि इस मसले पर लड़की पहले आपसे बात करे।


दो दिन पूर्व दिन के तीन बजे के करीब उस लड़की का फोन आया बोली में वो बोल रही हूं थोड़ा अटपटा लगा फिर दरभंगा का हवाला देते हुए अपनी बात कहने लगी।मैं दरभंगा के एक मुस्लिम लड़के से पिछले 14 वर्षो से प्यार कर रही हूं इस दौरान कई बार हमारे रिश्ते में तनाव भी आया लेकिन अक्सर लड़का किसी न किसी स्थिति में मेरा गुस्सा शांत कर देता था।पिछले वर्ष हम दोनो ने शादी करने का निर्णय लिया मेरी शर्त थी कि मैं मुस्लिम नही बनूगी,लड़के ने आर्य समाज मंदिर दिल्ली मे हिन्दू धर्म अपनाने के बाद मुझसे शादी कर लिया।सब कुछ ठिक ठाक चल रहा था कि अचानक एक दिन वह घर से निकला और फिर कई दिनो तक वापस नही आया।बात करने पर उसने कहा कि तुम मुस्लिम धर्म अपनाओ तो फिर मैं तुम्हारे साथ रहूगा।मैने पुछा क्या लड़का कोई काम नही करता है।बोली मेरठ में किसी डेयरी फर्म में काम करता है।मैने पुछा तुम इतने बड़े पद पर कार्यरत हो और लड़का सड़क छाप है ऐसे प्यार का क्या मतलव है।(लड़की आईसीआई बैंक में अधिकारी है)बोली मैं उसे 14 वर्ष से जानती हूं ऐसा लड़का नही था उसे किसी कोलकोता की लड़की से चेटिंग के दौरान प्यार हो गया है।

उसी के चक्कर में वह दिवाना है, एक बार उस लड़की से रिस्ता खत्म हो जाये वह भागे भागे मेरे पास आ जायेगा।मैने सवाल किया क्या उस लड़की को आप जानती है उसने बोली उसके पूरे खनदान को जानती हू कोलगर्ल है वह शाहिद को ट्रेप करने अपने जाल में फसाये हुए है एक बार शाहिद कोलकोता गया था वही उसे कुछ खिला दिया है उसके बाद से वह उसका दिवाना बना है उससे सम्बन्ध तोड़ने के लिए मैने उस लड़की के परिवार से भी बात किया।लेकिन लड़की के परिवार वाले वे भी मुस्लिम है मेरी एक नही सूना।

उसके खिलाफ कोलकोता क्रायम ब्रांच में मेरे पति को बहलाह फुसला कर रखने के आरोप में मुकदमा भी दर्ज किया है।लेकिन जानते ही मुकदमे में कितना वक्त लगता है।वही लड़का दिल्ली कोर्ट में जबरन धर्म परिवर्तन कराकर शादी करने की बात कर मुकदमा किया है। लेकिन तारीख के अलावे अभी कुछ भी नही हुआ है।इतनी बातो के बाद मैने पुछा तो फिर जब ममाला कोर्ट में चल रहा है तो फिर आप हमलोगो से क्या चाहती हैं।मैं चाहती हू कि शाहिद के परिवार पर समाजिक दबाव बने, किस तरह एक लड़की के साथ शादी करने के बाद धोखा दे रहा है।मैने सीधे सीधे पुछा क्या आपने समाज से पुछकर या फिर समाज की सहमति से शादी की है।जब आपने समाजिक मान्यताओ के ठीक उलट आपने अपनी मर्जी से अपने माँ बाप की जानकारी के बगैर शादी की और अब आप समाज से मदद की उम्मीद कर रही है क्यो।इस सवाल पर थोड़ी झल्ला गयी और फिर मै किससे उम्मीद करु कानूनी प्रक्रिया इतनी जटील है कि समाधान में वर्षो लग जायेगा।

तो मैने बड़ी आराम से पुछा उस सड़क छाप में रखा क्या है क्यो उसके लिए जान दी हुई है जब आपका परिवार इस शादी के बारे में कुछ भी नही जानता है तो बात खत्म करे। नये सिरे से अपना जीवन शुरु करे क्यो ऐसे लोगो के चक्कर में अपना जीवन तबाह कर रही है।बड़ी मासूमियत मे बोलती है क्या करे रहा नही जाता है।मैं चाहती हू कि किसी भी स्थिति में एक बार शाहिद मेरे पास आ जाये फिर वे मुझे कभी छोड़कर नही जायेगा।पिलिज कुछ करिये,मैने कहा कोई कानून नही है जो शाहिद को तुम्हारे साथ रहने पर मजबूर करे रही बात समाजिक दबाव का तो उसकी एक सीमा है वार्ड पार्षद और मुहरंम किमटी के अध्यक्ष भी उसी मुस्लिम समाज से आता है ।वह आज तक जो भी कुछ पहल किया है वह इसलिए की हमलोगो से उसका सम्बन्ध बेहतर है।

अब आप ही बताये इस समस्या का क्या समाधान हो सकता है,क्योकि आज इस तरह के स्थिति से लाखो युवा गुजर रहा है,कहते है प्यार मजहब और देश की सीमाओ को नही मानती,प्यार करने वाले समाजिक मान्यताओ को दकियानुसी मानता है। मीडिया हो या फिर देश के बुद्दिजिवी इस मसले पर बड़ी ही प्रोग्रेसिव पोस्जर देते है और इस तरह से शादी करने वाले को क्रांतिकारी मानते हैं। लेकिन शादी के बाद जो समस्याये सामने आती है उसके समाधान का उपाय न तो मीडिया के पास है और ना ही प्रोग्रेसिव विचार के सहारे बाते करने वाले बुद्दिजिवीयो के पास। यह एक अहम सवाल है और आने वाले समय में हमारे समाज के सामने एक बड़ी चुनौती होगी क्यो कि यह कहना कि लवमेरेंज से जाति का बंधन टुटेगा और दहेज जैसी कुप्रथा पर लगाम लगेगा यह तो दिख रहा है लेकिन इस तरह के शादी का जो प्रभाव सामने आ रहा है वह इन कुप्रथाओ से कम भयावह नही है।वक्त इस विषय पर गम्भीरता से सोचने का है क्यो कि जैसे जैसे उदारीकरण का दौड़ तेज हो रहा है इस तरह के मामले और तेजी से बढेगे ऐसे हलात में देश के युवा पीढी के साथ साथ अभिभावको को भी इस मसले पर सोचना चाहिए क्यो कि देश में कानून और न्याय प्रणाली की जो स्थिति है उसमे आने वाले समय में अराजक स्थिति हो जायेगी।

1 टिप्पणी:

सागर ने कहा…

जाती, धर्म, उंच-नीच हमेशा से बाधक रहा है अभी कई साल और रहेगा... इससे बचना बहुत मुश्किल है विशेष कर निम्न, निम्न-माध्यम परिवार में..

इसके लिए अत्यंत उच्च वर्ग में जन्म लेना पड़ेगा फिर दूसरी वजहें हो सकती हैं लेकिन यह नहीं होगा.