गुरुवार, अगस्त 05, 2010

निरुपमा मौंत मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए

निरुपमा मामले में माँ को जमानत मिल गयी है, कोडरमा पुलिस द्वारा 90दिनो के अंदर हत्या से जुड़े साक्ष्य जुटा नही पाने के कारण कोर्ट ने 167के तहत जमानत दे दी है।हलाकि पूरे घटना क्रम पर मेरी नजर थी लेकिन कुछ भी लिखने से पहले मैं पूरी केश डायरी और पुलिस के अनुसंधान पर अध्ययण करना चाह रहा था।अब मुझे लगता है कि पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए या फिर ऐसे ऐंजसी से जांच होनी चाहिए जिनके पास अनुसंधान के सभी आधुनिक संसाधन उपलब्ध हो, क्यो कि इस मामले में कोडरमा पुलिस ने कई महत्वपूर्ण साक्ष्यो को नजरअंदाज किया है।ऐसा लग रहा है कि पुलिस अनुसंधान के दौरान निरुपमा के मौंत की वजह तलासने के बजाय पूरे मामले को किसी तरह निपटाना चाह रही थी।

निरुपमा के कई मित्र से पुलिस की बात हुई जिसमें निरुपमा के मौंत से जुड़े कई महत्वपूर्ण साक्ष्य पुलिस को मिली है लेकिन उस पर जांच करने का साहस अभी तक कोडरमा पुलिस नही उठा पायी है।निरुपमा के बैंक खाते से घटना के बाद एटीएम से पैसा निकाला गया है वही प्रियभांशु द्वारा एसएमस से छेड़छाड़ करने की बात जांच के दौरान साबित हो चुका है।वही कई ऐसे साक्ष्य पुलिस ने डायरी में दर्ज किया है जिसमें निरुपमा के माँ बनने की खबर के बाद प्रियभांशु और निरुपमा के रिश्ते में खटास आने की बात सामने आयी है।पुलिस इस मामले में प्रियभांशु से पुछताछ की जरुरत की बात डायरी में जरुर लिखा है, वही प्रियभांशु के कई करीबी मित्रो की भूमिका पर भी सवाल उठाया गया है ।लेकिन उस पर कोई कारवाई पुलिस की औऱ से नही हुई है, हलाकि निरुपमा के हत्या से जुड़े तमाम साक्ष्यो की जांच के बाद पुलिस ने पूरे मामले को आत्महत्या मान लिया है।लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर निरुपमा ने आत्महत्या क्यो कि उसके आत्महत्या करने के लिए कौन कौन जिम्मेवार है।पुलिस उनके खिलाफ कारवाई करने से क्यो घबरा रही है हलाकि कोडरमा एसपी ने भरोसा दिलाया है कि इस मामले में दोषी बक्से नही जायेगे।

कहा गये वी वान्ट जसटिस वाले लोग आगे आये अब तो जांच की प्रक्रिया पूरी हो रही है चलिए मैं भी आपके साथ हूं तय किजिए मोमबत्ति जुलूस की तारीख।कहा गये आर्नर किलिंग साबित करने वाले पत्रकार बंधु खोलिए अपने ज्ञाण का पिटारा औऱ बसर परिये कोडरमा पुलिस पर,क्यो खामोश है हत्यारिण माँ बाहर आ गयी है क्यो नही पुलिस पर सवाल खड़े कर रहे हैं ।जब उस बेबस माँ के खिलाफ कोई साक्ष्य नही था तो फिर सुधा पाठक को क्यो जेल भेजा गया।कहा है वे मुहल्ले वाले जो ब्लांग पर सिरिज निकाल रहे थे।ओपेनियन पोल करा रहे थे जबाव दिजिए ।बड़ी बड़ी बाते करने वाले दिलीप मंडल,अविनाश कहा हैं। आये सामने सीबीआई जांच के लिए रांची हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले क्यो बीच में ही मुकदमे की पेरवी छोड़कर भाग गये सिर्फ बड़ी बड़ी बाते लिखने से समाजिक न्याय या फिर ब्रह्मणवादी व्यवस्था को कमजोर नही किया जा सकता है।चले है ब्रह्राणवादी व्यवस्था पर सवाल खड़े करने तो उस व्यवस्था के दूसरे पहुलु पर भी गौर किया होता ।जिसने भी महाभारत लिखा उसने एकलभ्य के अंगूठा काटने की बात को भी लिखा लेकिन आप लोगो ने क्या किया सारी मर्यादाओ को ताख पर रखते हुए एक पंक्षीय बाते लिखते रहे।

ब्लांग पर लगे तस्वीर को गौर करे, जेल से बाहर निकलते उस बेवस और लाचार माँ को देखे अपने पति से भी आंख नही मिली पा रही है इसके लिए कौन जिम्मेवार है। क्या मीडिया इस जिम्मेवारी से अपने को बचा सकती है।

क्या वे लोग जिम्मेवार नही है जिन्होने दिल्ली की सड़को पर वी वान्ट जिसटिंस के नारे लगाकर पुलिस पर दबाव बना रहे थे।हम सब के सब जिम्मेवार है कहा है वे लोग जो मुझे ब्लांग पर मेरी माँ बहनो को गाली देते थे ।मैं भगवान को नही मानता हूं लेकिन समय को जरुर मानता हूं। उस समय से मेरी विनती है इन्हे सद बुद्धि दे नही तो आने वाला कल इतना भयावह होगा कि मैं पत्रकार हूं कहने से पहले दौ सौ बार सोचना होगा।

3 टिप्‍पणियां:

vijay jha ने कहा…

aap kis avinash aur dilip mandal ki bat karte hai ye jativadi log kya jativad se ladenge.

report ke liye dhanyvad.

बेनामी ने कहा…

tttttnjhbvvcydrs

आकाश ने कहा…

इन सबके लिये आनन्द प्रधान नाम का मूर्ख भी उत्तरदायी है
ईश्वर आनन्द प्रधान नाम के गधे को भी सद्बुद्दि दे