रविवार, नवंबर 16, 2008

भारतीयता अब पहचान नही रही

भारतीयता अब पहचान नही रही-- इन दिनों बिहार के गांव की गलियों से लेकर शहर के रेस्तरा तक बस एक ही चर्चा हैं राज ठाकरे और मालेगांव।हलाकी दोनो मामला महाराष्ट्र से जुङा हैं लेकिन इसकी कीमत पूरे देश को चूकानी पङ रही हैं।इस मामले में सबसे गैर जवावदेह भूमिका मीडिया की दिख रही हैं,जो विषय की गम्भीरता पर डींवेट कराने के बजाय सनसनी और विद्वेश फैलाने में लगे हैं।राजनीतिज्ञ इन दोनों मामलो में अपने अपने वोट बैक की राजनीत के अनुसार रोल कर रहे हैं।देश का सबसे बङा मध्यमवर्ग आर्थिक मंदी की समीक्षा करने में लगे हैं।और बुद्धिजीवी वर्ग ओबामा के विशलेषण करने में लगे हैं।वही भारतीय लोकतंत्र और देश की एकता और अखंडता को बनाये रखने के लिए जबावदेह संस्था अपनी भूमिका भूल चूके हैं।प्रधानमंत्री राजनैतिक विवशता के शिकार हैं और सर्वोच्च न्यायलय जिन्हे भारतीय संविधान का संरक्षक माना जाता हैं दूसरी दुनिया में खोये हुए हैं और चुनाव आयोग मूकदर्शक बना हैं।बिहार के किसान मजदूर और छात्र की यह भावना की शिखंडी के इस महफिल में राज ठाकरे और उसकी पार्टी पर लगाम लगाने की बात सोचना ही बैमानी हैं ।इस सोच में दम है क्या-- दूसरा सवाल भी महाराष्ट्र के मालेगांव गांव धमाके से जुङा हैं,एटीएस ने इस कांड में हिन्दूवादी संगठनों के शामिल होने का दावा किया हैं।भारतीय इतिहास में शायद यह पहली वाकिया हैं जिसमें हिन्दूवादी संगठन ने हिंसा का जवाव हिंसा से दिया हैं।पुलिस के दावे में दम हैं तो आने वाले समय में इस तरह की स्वभाविक प्रतिक्रियाये और भी देखने को मिल सकती हैं।लेकिन इन दोनो मामलो पर गौर करे तो स्षष्ट दिखता हैं कि कानून अपना काम नही कर रही हैं।ऐसे हालात मे आज के युवा पीढी को नये सिरे से सोचने की जरुरत हैं नही तो अंग्रेजो की वह उक्ति आजादी भारतीयों के फिदरत में नही हैं,कही सच न साबित हो जाये।इस आलेख को खोयी हुई भारतीयता को जगाने के प्रयास के रुप में देखा जाना चाहिए ।

2 टिप्‍पणियां:

vijay srivastava ने कहा…

kshetriya parriyon ke uday aur sadak chhap netaon ki badhti mahatta ne 'desh' ko 'ek rashtra' se zyada 'kshetra' ke roop me badalne ka kam kiya hai. dhahe raj thakre ho ya hum, sabhi isi kshetriya ki lahar me behne lage hain.bharariyata ko bachane ki sachmuch bahoot zaroorat hai.

Sarita Chaturvedi ने कहा…

SANTOS JI...YOO HI TO AALOCHNA NAHI KI JA SAKTI...YE JAROOR HAI KI KABHI KABHI SIMA KO LANGHATE HUYE SECULARWAD KA DAMAN THAMA JATA HAI TAB JAROOR AAPTTI DARJ KARANI CHAIYE..PAR HAR MUDDE KO USI NAJARIYE SE DEKHNA...SHAYAD AAPKO BHI SOCHNA PAD JAYE.......!